Farmer’s Movement – सुप्रीम कोर्ट ने कहा – संतुलित रुख अपनाते समस्या का हल निकालें
Farmer’s Movement: हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर खोलने का मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई फैसला नहीं आया है। वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने हाई पावर कमेटी का गठन किया। कोर्ट ने कहा कि हम कमेटी गठित तो कर रहे हैं, लेकिन इस मामले का कोई हल नहीं निकल रहा है। हम एक बार फिर यह अधिकार कमेटी को दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बार कमेटी में पंजाब और हरियाणा के और अधिकारियों को भी शामिल कर रहे हैं। कोर्ट ने कमेटी से कहा कि हाई पावर कमेटी आंदोलनकारी किसानों के बीच पहुंचकर अपने ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करें। इसके साथ ही कोर्ट ने कमेटी को सलाह दी कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए। ऐसे मुद्दे बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलित रुख अपनाते हुए समस्या का हल निकाला जाए।
किसान और कमेटी की हुए थी बैठक
दरअसल, पिछली दो सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप यानी की एक ही लेन को खोलने को कहा था। इस मामले को लेकर किसानों की पंजाब-हरियाणा के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई, लेकिन इस बैठक में समस्या का कोई समाधान नहीं निकला था। अधिकारियों का कहना था कि किसान दिल्ली जाएं, लेकिन ट्रैक्टर को अपने साथ न लेकर जाएं। आंदोलनकारी किसानों ने उनकी इस बात पर सहमती नहीं जताई और ट्रैक्टर समेत दिल्ली जाने पर अड़े रहे। सूप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को सुनवाई के दौरान शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने इस मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, छात्रों, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं और अन्य लोगों के लिए ये रास्ते खोल दिए जाएं, ताकि आम जनता को हो रही परेशानियों से छूटकारा मिल सके।
Read more: Haryana Election: UP के क्षेत्रीय दल प्रदेश से बाहर चाहते हैं ताल ठोकना
200 दिन पूरे हो गए, महिला पहलवान विनेश फोगाट पहुंची
शंभू बॉर्डर पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को 200 दिन पूरे हो गए। इस मौके पर किसानों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना बनाई। इसी बीच ओलंपियन रेसलर, महिला पहलवान विनेश फोगाट शंभू बॉर्डर पहुंचीं विनेश ने किसानों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, “किसान अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से यहां बैठे हैं, लेकिन उनकी ऊर्जा अभी भी कम नहीं हुई है। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मैं एक किसान परिवार में पैदा हुई। आपकी बेटी आपके साथ है। हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा, क्योंकि कोई और हमारे लिए नहीं आएगा। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि आपकी मांगे पूरी हों, और जब तक आप अपने अधिकार नहीं ले लेते, तब तक वापस न लौटें। हम जब अपनी मांगों के लिए अपनी आवाज उठाते हैं तो यह हर बार राजनीतिक नहीं होता। आपको हमारी बात सुननी चाहिए। यह हमेशा जाति या कुछ और के बारे में नहीं होता। मैं प्रार्थना करती हूं कि आपको आपके अधिकार मिलें, और हमारी बेटियां आपके साथ हैं।
किसानों के समर्थन में सरकार से अपील
विनेश फोगाट ने किसानों के समर्थन में सरकार से अपील करते हुए कहा, “किसान अपने अधिकारों के लिए 200 दिनों से बैठे हुए हैं और मैं सरकार से अपील करती हूँ कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए। यह बहुत दुखद है कि उन्हें 200 दिनों से सुना नहीं गया है। हमें उन्हें देखकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने की ताकत मिलती है।” किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने आंदोलन की प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि यह शांतिपूर्ण तरीके से, लेकिन बहुत तीव्रता के साथ चल रहा है। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार हमारे संकल्प की परीक्षा ले रही है और हमारी मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। हम एक बार फिर सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे और नई घोषणाएं भी की जाएंगी।” पंधेर ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के 200 दिन पूरे होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो किसानों के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
मीटिंग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी
शंभू बॉर्डर पर किसान बीते पांच महीने से डटे हुए हैं। अभी हाल ही में 22 अगस्त को प्रदर्शन कर रहे किसानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के साथ बैठक जारी रखने का निर्देश दिया था। इसी दौरान पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने किसानों के साथ हुई मीटिंग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। यह मीटिंग सुनवाई से एक दिन पहले पटियाला में हुई थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पंजाब से कहा था कि वह कमेटी के सदस्यों के लिए अगले तीन दिन में नाम सुझा दे।
Read more: Dynastic Politics: जम्मू-कश्मीर में भी वंशवाद राजनीति का दबदबा
2 दर्जन से ज्यादा किसानों की मौत
हफ्ते भर पहले सामने आई एक खबर के मुताबिक, पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से करीब 400 किसान अभी भी शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। हालांकि चावल की रोपाई के बाद अधिकांश किसान अपने खेतों में वापस लौट गए हैं। शंभू बॉर्डर पर 5 महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान 2 दर्जन से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। किसान यूनियनों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वे अपना मार्च कब फिर से शुरू करेंगे। शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) कर रहे हैं। किसानों ने तीन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर शंभू रेलवे स्टेशन को जाम कर दिया था, लेकिन एक महीने बाद इसे खाली करा लिया गया। किसान यूनियनों की मांगों में दो दर्जन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन और कर्ज माफी शामिल हैं।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025