Hindenburg Research Report -अदानी और सेबी चेयरपर्सन का दावा – जानकारी का गलत इस्तेमाल किया
Hindenburg Research Report: अमेरिकी शॉर्ट लिस्ट कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदानी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। हालांकि बुच ने इन आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया है। साथ ही सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड सार्वजनिक करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ जारी वकतव्य में उन्होंने कहा, ‘हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है। यह रिपोर्ट सेबी की कार्रवाई के खिलाफ लाई गई है।’ अदानी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का खंडन किया है।
ग्रुप ने कहा, ‘हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अदानी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं’। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की वर्तमान चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की अदानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए बरमूडा और मॉरीशस के ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अदानी ने किया था। ऐसा लगता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का स्रोत वेतन है और दंपति की नेटवर्थ 10 मिलियन डॉलर आंकी गई है।
2017 में बनीं सेबी की आजीवन सदस्य
माधबी बुच को अप्रैल 2017 में सेबी का आजीवन सदस्य नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले माधबी के पति धवल बुच ने मॉरीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेश के संबंध में ईमेल लिख खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने का अनुरोध किया था। 26 फरवरी 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के अकाउंट स्टेटमेंट में स्ट्रक्चर की पूरी डिटेल्स सामने आई है: जीडीओेप सेल 90 (आईपीई प्लस फंड 1) में उस समय बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 8।72 लाख डॉलर थी। अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक माधबी का एगोरा पार्टनर्स नाम की सिंगापुर ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% इंटरेस्ट था। 16 मार्च 2022 को सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने चुपचाप शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।
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सेबी धोखेबाजों को बचा रहा
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारे विचार में सेबी निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।’ हिंडनबर्ग ने कहा, ‘भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की अदानी को गुप्त सहायता हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट के प्रकाशित होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’ हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ब्लॉग में कहा- ‘जब जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच करने के लिए दबाव डाला गया, तो सेबी लड़खड़ाता दिखाई दिया। उदाहरण देते हुए रिसर्च फर्म ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट केस रिकॉर्ड के अनुसार: सेबी खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि एफपीआईएस को फंड देने वाले अदानी से जुड़े नहीं हैं। बाद में सेबी ने आगे जांच करने में असमर्थ होने का दावा किया’।
सत्यता से कर रहा इनकार
हिंडनबर्ग ने अब सेबी चीफ पर जो रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है, उसके नीचे जो अस्वीकरण यानी डिस्क्लेमर लगाया है, वह बेहद अजीबोगरीब है। इसका निचोड़ यह है कि अगर कोई हिंडनबर्ग रिसर्च कि रिपोर्ट के आधार कुछ भी करता है, तो वह इससे होने वाली लाभ-हानि के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा। डिस्क्लेमर में साफ-साफ लिखा गया है कि हम हर पाठक को सलाह देते हैं कि वे खुद से जांच-पड़ताल करें। हिंडनबर्ग रिसर्च के शोध का इस्तेमाल करना आपके अपने जोखिम पर है।
हिंडनबर्ग या इससे संबंधित लोगों के पास रिपोर्ट में उल्लेखित कंपनी या कंपनियों के शेयर या बांड में शार्ट पोजिशन हो सकती है और मुनाफे के लिए कभी भी इन्हें बेच सकते हैं। रिपोर्ट में जिस थर्ड पार्टी की सामग्री का उल्लेख किया गया है वह जैसी है वैसी ही प्रस्तुत की गई है और इनके सही या गलत होने की कोई गारंटी नहीं देता है। हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी रिपोर्टें पब्लिक डोमेन पर मौजूद जानकारियों, व्हिसलब्लोअर द्वारा उपलध्ब कराई सामग्री और समाचार प्रकाशनों की रिपोर्टों के आधार पर तैयार करता है। बाहरी स्रोतों से मिली जानकारी की पुष्टि हिंडनबर्ग नहीं करता है।
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