Jammu-Kashmir – करोड़ों का निवेश हुआ, रिकॉर्ड पर्यटक पहुंचने लगे थे
Jammu-Kashmir :कश्मीर के जो बॉर्डर इलाके 2023 में टूरिज्म के लिए खोले गए थे, उन्हें बंद कर दिया गया है। अब इन क्षेत्रों में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के किसी को जाने की अनुमति नहीं है। दरअसल, जुलाई में पाक बॉर्डर के केरन सेक्टर से आतंकियों ने दो बार घुसपैठ की कोशिश की। किशनगंगा नदी किनारे बसे छोटे से इलाके केरन में आतंकी पर्यटकों का फायदा उठाकर भारतीय सीमा में घुसना चाह रहे थे, लेकिन सेना ने उन्हें या तो ढेर कर दिया या फिर उल्टे पांव भगा दिया गया। इसके चलते फिलहाल केरन में बॉर्डर टूरिज्म बंद है। जम्मू-कश्मीर शासन के इस फैसले से पिछले साल बॉर्डर टूरिज्म पर लाखों रुपए खर्च करने वाले परेशान हैं। उन्हें पैसा डूबता दिख रहा है। जो लोग हर दिन 500 से 5000 रु. तक कमा रहे थे, वो खाली हाथ हैं। यह इलाका उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में हैं और यहां बहने वाली किशनगंगा नदी भारत-पाक के बीच सीमा रेखा है। यहां इक्के-दुक्के मोबाइल टावर हैं, इसलिए नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है।

ई-परमिशन मिलेगी
एक यूट्यूबर ने केरन के वीडियो अपलोड किए थे, तभी से इसकी खूबसूरती दुनिया के सामने आई। इसके बाद राज्य शासन ने इसे बॉर्डर टूरिज्म के रूप में खोला। इसका नतीजा हुआ कि करोड़ों का निवेश हुआ और रिकॉर्ड पर्यटक पहुंचने लगे। केरन में पर्यटन बंद होने के सवाल पर डिप्टी कमिश्नर ऑफिस ने इतना जरूर कहा कि आतंकी घुसपैठ के बाद वहां पर्यटन रोका है। यदि किसी को जाना है तो 15 अगस्त के बाद वह ऑनलाइन एप्लाई करे। उसे ई-परमिशन मिलेगी, वो भी 7 दिन बाद।
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15 दिन से खाली पड़े हैं 150 से ज्यादा होम स्टे
यहां स्थानीय नागरिक राजा ने बताया कि बीते साल करीब 35 हजार पर्यटक केरन पहुंचे थे। 2024 में अब तक 43 हजार से ज्यादा लोग आ चुके हैं। हमें उम्मीद थी कि यह साल हमारे लिए सबसे बेहतर रहेगा, लेकिन आतंकी घुसपैठ की घटनाओं से उम्मीदें टूट गईं। उन्होंने कहा कि यहां 100 से ज्यादा रेस्टोरेंट-होटल हैं। 150 से ज्यादा होम स्टे हैं। सब 15 दिन से खाली पड़े हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने सख्त पाबंदी लगा रखी है। मैंने और भाई ने मिलकर 15 लाख रु। निवेश किए हैं, लेकिन अब नहीं लगता कि उनकी भरपाई हो पाएगी। हम बैंक डिफॉल्टर हो जाएंगे।
किशनगंगा किनारे लगे टेंट सूने
केरन में किशनगंगा नदी किनारे बने होटल और रेस्टोरेंट के मालिकों का कहना है कि यहां 100 गेस्टहाउस, होटल, रेस्टोरेंट 2023 में बने थे। इसके बाद इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। अब तक टैंट या होटल में रुकने का एक रात का किराया 600 से 700 रुपए तक था, लेकिन अभी मजबूरी में किराए के मद में 100 रुपए भी लेने को तैयार हैं, फिर भी पर्यटक नहीं आ रहे। यहां लोगों ने होटलों के लिए एक करोड़ रु। तक का लोन लिया हुआ है। यदि जल्द हालात नहीं सुधरे तो हम कंगाल हो जाएंगे।
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हर महीने 60000 रुपए तक कमा रहे थे
किशनगंगा किनारे करीब 30 टेंट लगा रहे जुहैब बताते हैं कि यह इलाका अपनी खूबसूरती के चलते हमारी कमाई का जरिया बना। हर महीने 50 से 60 हजार रु। तक कमाने लगे थे। लेकिन, अब 20 से 40 लाख के नुकसान में हैं। 2023 में पहली बार सरकार नीलम वैली में बसे केरन जैसे एक छोटे से गांव को टूरिस्ट मैप पर लाई थी।
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