Non-Government Organizations : शिक्षा, भूख से राहत, महिला सशक्तीकरण और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में काम
Non-Government Organizations – गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) विश्व में लोगों के जीवन में सुधार लाने और सामाजिक चुनौतियों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज हम पाँच बेमिसाल एनजीओ के बारे में बता रहे हैं, जो शिक्षा, भूख से राहत, महिला सशक्तीकरण और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में स्थायी परिवर्तन लेकर आ रहे हैं।
टीच फॉर इंडिया : शिक्षा जगत में फैलोशिप प्रोग्राम
टीच फॉर इंडिया (टीएफआई) टीच फॉर ऑल ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है। यह संगठन प्रतिष्ठित टीच फॉर इंडिया फैलोशिप प्रदान करता है, जो दो वर्ष का फुलटाइम पेड फैलोशिप प्रोग्राम है। इसमें चयनित फैलो किफायती प्राइवेट स्कूलों या इंग्लिश मीडियम के सरकारी स्कूलों में फुल-टाइम टीचर्स के रूप में अपनी सेवाएं देते हैं और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत फैलोज़ को लीडरशिप के विभिन्न पहलुओं की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है। उन्हें समानुभूति, सक्रिय रूप से सुनने, संबंध-निर्माण जैसे भावनात्मक कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उनके व्यवसायिक विकास में योगदान मिलता है। टीच फॉर इंडिया द्वारा समानतापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षा प्रणाली में नेतृत्व के विकास के लिए 4 इनोवेटिव कार्यक्रम चलाए जाते हैं-
टीएफआईएक्सः टीएफआईएक्स शिक्षा के लिए महत्वाकांक्षी उद्यमियों को इन्क्यूबेशन का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। यह उन्हें अपने क्षेत्रों में समुदायों की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप दो वर्षीय संदर्भात्मक टीचिंग फैलोशिप प्रोग्राम डिज़ाइन करने और उसे शुरू करने में समर्थ बनाता है।
इनोवेटईडीः यह इन्क्यूबेटर प्रोग्राम अरली स्टेज के उद्यमियों को समर्थ बनाता है, जो अपने विचारों को प्रोटोटाईप से एक सस्टेनेबल ऑर्गेनाईज़ेशन बाजार में ले जाना चाहते हैं। 1-ऑन-1 कोचिंग, बूट कैंप्स, टूलकिट्स, फंडिंग की उपलब्धता, पीयर नेटवर्क आदि की मदद से इनोवेटईडी ने पिछले 7 सालों में 50 से अधिक एलुमनी-नेतृत्व वाले संगठनों को इन्क्यूबेट किया है।
फिरकीः यह एक विश्वस्तरीय ऑनलाईन टीचर एजुकेशन प्लेटफॉर्म है। फिरकी द्वारा टीचर्स के कौशल संवर्धन, सहयोग, विकास और समर्थन के लिए लर्निंग के अनुभव, वेबिनार, कोर्स और संसाधन प्रदान किए जाते हैं। फिरकी के पास 12,000 से अधिक संसाधन, 1.7 लाख से अधिक यूज़र्स और 270 से अधिक कोर्स हैं।
किड्स एजुकेशन रिवॉल्यूशनः किड्स रिवॉल्यूशन विद्यार्थियों और एजुकेटर्स के लिए एक प्लेटफॉर्म है। यह विद्यार्थियों की आवाज, साझेदारी और नेतृत्व का निर्माण कर शिक्षा में तब्दीली लाता है। केईआर द्वारा अभी तक लगभग 1,500 विद्यार्थियों और टीचर्स को नेतृत्व करने में समर्थ बनाया जा चुका है। यह 10 से अधिक देशों में 100,000 विद्यार्थियों और टीचर्स तक पहुँच चुका है, और 100 से अधिक संगठनों एवं स्कूलों के साथ सहयोग कर चुका है।
अक्षय पत्र फाउंडेशन : दुनिया की सबसे बड़ी मिड डे मील योजना
अक्षय पत्र फाउंडेशन दुनिया की सबसे बड़ी एनजीओ-संचालित मिड डे मील योजना है। इसका उद्देश्य है कि भूख की वजह से बच्चों की शिक्षा में बाधा न आए। इस फाउंडेशन की शाखाएं अमेरिका, कैनेडा और यूके में हैं। ये अंतर्राष्ट्रीय शाखाएं फंडरेज़िंग और जागरुकता अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे भारत में फाउंडेशन के अभियानों में सहयोग मिलता है। इस योजना द्वारा साल 2000 से भारत सरकार के पीएम पोषण अभियान (पूर्व में मिड-डे मील योजना) का क्रियान्वयन किया जा रहा है,
जो 16 राज्यों और 2 केंद्रीय प्रांतों में 2.25 मिलियन से अधिक बच्चों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करा रही है। पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल में काम करते हुए यह योजना सरकार, कॉर्पोरेट साझेदारियों और समाजसेवियों के सहयोग से आगे बढ़ती है। यह फाउंडेशन एफिशियंसी और विस्तार सुनिश्चित करते हुए 23,581 सरकारी स्कूलों और आंगनवाडी केंद्रों में विद्यार्थियों को गर्म व पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराता है। अक्षय पत्र स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने और वंचित बच्चों के अध्ययन के परिणामों में सुधार लाने में मुख्य भूमिका निभाता है।
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स्माइल फाउंडेशन : वंचित बच्चों के जीवन में सुधार
स्माइल फाउंडेशन भारत में वंचित बच्चों और परिवारों के जीवन में सुधार ला रहा है। यह फाउंडेशन 25 राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, और महिला सशक्तिकरण में 400 से अधिक परियोजनाएं चला रहा है, जिनका लाभ हर साल 1.5 मिलियन लोगों को मिल रहा है। स्माईल फाउंडेशन के अंतर्राष्ट्रीय चैप्टर वैश्विक सहयोग सुनिश्चित करते हैं। इन चैप्टर्स में 2020 में शुरू किया गया स्माईल फाउंडेशन यूएसए शामिल है। यह चैप्टर बालिकाओं के सशक्तीकरण और उन्हें समानता प्रदान करने पर केंद्रित रहते हुए जागरुकता एवं फंड एकत्रित करता है। स्माईल पिछले 20 सालों में लगातार विकास करते हुए एक मजबूत सामाजिक संगठन बन गया है, जो समावेशी विकास को बढ़ावा देता है। इसके मुख्य कार्यक्रमों में स्माईल ऑन व्हील्स, मिशन एजुकेशन, और स्माईल ट्विन ई-लर्निंग शामिल हैं, जो स्थायी सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर रहे हैं।
सेवा (सेल्फ-एम्प्लॉयड वीमेंस एसोसिएशन) : महिला कर्मियों के लिए सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन
इसका गठन 1972 में अहमदाबाद में किया गया था। सेवा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मियों के लिए भारत का सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन है। यह 3.2 मिलियन सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यह भारत के कार्यबल में 93 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले असंगठित श्रम क्षेत्र में महिलाओं की जरूरतों को पूरा करता है। इस समूह को कानूनी संरक्षण और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। सेवा द्वारा आर्थिक सशक्तीकरण, सामाजिक सुरक्षा, और कानूनी अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, ताकि हर महिला को बेहतर वेतन, काम की बेहतर परिस्थितियाँ, हैल्थकेयर और वित्तीय आत्मनिर्भरता प्राप्त हो सकें। अपने इंटीग्रेटेड दृष्टिकोण की मदद से सेवा द्वारा आत्मनिर्भरता और सामूहिक शक्ति का विकास किया जाता है, जिससे महिलाएं अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में समर्थ बनती हैं। सेवा द्वारा अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यन्मा, भूटान और बांग्लादेश जैसे देशों में वैश्विक गठबंधनों के विकास की प्रेरणा दी गई है, तथा सहायक संगठनों और साझेदारियों की स्थापना की गई है।
प्रथम : इनोवेटिव और टीचिंग मॉडल का उपयोग
प्रथम एक अग्रणी शैक्षणिक एनजीओ है, जो भारत में बच्चों की शिक्षा के परिणामों में सुधार लाने के लिए विस्तृत प्रयास करता है। प्रथम द्वारा रटी-रटाई शिक्षा की बजाय इनोवेटिव, कम लागत के टीचिंग मॉडल का उपयोग किया जाता है, ताकि जमीनी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव हो सके। प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के विस्तृत नेटवर्क के साथ प्रथम द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे केवल स्कूल में अपनी उपस्थिति न दें, बल्कि अपने अध्ययन में ठोस सुधार भी लेकर आएं। इस संगठन के ग्लोबल चैप्टर अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन में हैं, जो फंडरेज़िंग, रिसर्च और एडवोकेसी में सहयोग करते हैं। प्रथम द्वारा पूरे देश में अध्ययन के परिणामों का आकलन किया जाता है, जिससे भारत और विश्व में शिक्षा की नीतियाँ प्रभावित होती हैं। जवाबदेही और प्रमाण आधारित दृष्टिकोणों पर बल देते हुए प्रथम द्वारा अपने कार्यक्रमों में लगातार सुधार किया जाता है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा प्रभावशाली हो सकें।