Operation Green Scheme: देश में सब्जियों-फलों की कीमतें एकजैसी
देश के कई हिस्सों में कुछ फल व सब्जियां काफी ज्यादा पैदा होती हैं और कुछ दूसरे हिस्सों में ये बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती। जहां कोई फल व सब्जी बहुत पैदा होती है, वहां इसके उत्पादकों को उचित दाम नहीं मिलते और जहां कम या बिल्कुल पैदा नहीं होते वहां बहुत महंगे बिकते हैं। केंद्र सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखकर साल 2018-19 में खाद्य संस्करण उद्योग मंत्रालय की अगुवाई में ‘आपरेशन ग्रीन मिशन योजना’ की शुरुआत की थी।
इस योजना के तहत जो किसान या किसानों के संघ या उनकी कोई संस्था अधिसूचित फलों व सब्जियों को एक जगह से दूसरी जगह रेलवे के जरिये ले जाते हैं, उन्हें इसका महज आधा भाड़ा देना पड़ता है, रेलवे को आधा भाड़ा केंद्र सरकार अदा करती है। यह इसी योजना का नतीजा था कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान देशभर में खाने-पीने की चीजों की कमी नहीं पड़ी। क्योंकि पूरे समय सैकड़ों रेलगाड़ियां देश के एक कोने से दूसरे कोने तक फल व सब्जियां लेकर दौड़ती रही थी।
इससे किसानों की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ने से बच गई।
2021 में इस योजना को अपडेट किया गया
इस योजना में 10 फल एवं 8 सब्जियों को रखा गया है। फलों में केला, कीवी, अमरूद, आम, संतरा, पपीता, लीची, अनार, कटहल तथा अनानास को जोड़ा गया है जबकि सब्जियों में राजमा, गाजर, शिमला मिर्च, बैंगन, फूलगोभी, टमाटर, आलू और प्याज को शामिल किया गया है।
आने वाले सालों में इस योजना में और भी कई फल और कई सब्जियां शामिल होंगी। साल 2021 में इस योजना को अपडेट किया गया। इस अपडेट के तहत टमाटर उत्पादक राज्यों के रूप में आंध्र प्रदेश, कनार्टक, तेलगांना, ओडिसा और गुजरात को शामिल किया, प्याज उत्पादक राज्यों के रूप में महाराष्ट्र, गुजरात और कनार्टक को, आलू उत्पादक राज्यों के रूप में बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि को शामिल किया गया है। इस योजना की रणनीति यह है कि पूरे देश में सब्जियों और फलों के मूल्य तकरीबन एक जैसे हों तथा पूरे देश में एक समान पर किसी भी इलाके में पैदा हुआ फल व सब्जियां उपलब्ध हो।
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कई नोडल एजेंसियां बनायी जाएंगी
आने वाले दिनों में इस योजना के बड़े पैमाने पर क्रियान्वयन के लिए कई नोडल एजेंसियां बनायी जाएंगी, जो राज्य इस योजना को अपने किसानों के लिए प्रोत्साहित करेंगे उन्हें इसके लिए 50 फीसदी की सब्सिडी उपलब्ध करायी जाएगी। इस योजना के चलते पिछले कुछ सालों में 55 लाख से ज्यादा किसानों को 50 हजार से 2 लाख रुपये तक की आय वृद्धि हुई है।
साल 2021 के आम बजट में पहले इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 200 करोड़ रुपये प्रस्तावित किये गए थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे पहले संशोधित करके महज 32।48 करोड़ रुपये किया गया, फिर इसे नये सिरे से विस्तार देकर इसका बजट 127 करोड़ रुपये किया गया। इस योजना के तहत किसान कोई भी अधिसूचित फल व सब्जी को महज 50 फीसदी शुल्क के साथ खुद भी एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं। रेलवे को शेष 50 फीसदी शुल्क केंद्र सरकार देगा।
वैसे इस योजना की आखिरी तिथि दिसंबर 2022 तक रखी गयी थी, लेकिन केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि इसके बाद भी अगर किसान इस योजना के आवेदन करेंगे तो उनके बारे में सकारात्मक ढंग से सोचा जायेगा।
किसान उत्पादक संगठन और संस्थाएं भी पात्र
आपरेशन ग्रीन योजना का फायदा उठाने के लिए न सिर्फ किसान बल्कि किसान उत्पादक संगठन और संस्थाएं भी पात्र हैं यानी वे भी इसका फायदा ले सकते हैं। सहकारी समितियां और निर्यातक राज्य वितरण संघ भी इसका फायदा उठा सकते हैं। इस योजना का फायदा उठाने के लिए आपके पास अपना आधार कार्ड होना चाहिए। आपके अपने स्थायी आवास का प्रमाण होना चाहिए, जिसके रूप में बिजली का बिल, वोटर आईकार्ड या पासपोर्ट की फोटो कॉपी जमा होती है। आवेदक को अपना पैनकार्ड दिखाना भी अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए एक चालू हालत में मोबाइल नंबर भी शेयर करना होगा ताकि आगे की सारी जानकारियां आपको उसी मोबाइल से मिल सकें।
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ऑनलाइन तरीके से बनें हिस्सेदार
जो लोग ऑनलाइन तरीके से इस योजना के हिस्सेदार बनना चाहते हैं, उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की साइट में जाकर आवेदन करना होगा। इसके लिए उन्हें ऑफिशियल साइट खोलना होगा, वहां उन्हें आपरेशन ग्रीन योजना के तहत सब्सिडी के लिए आवेदन करना होगा। फार्म में जो भी जानकारियां पूछी गई हों, उन्हें देना जरूरी है। इस तरीके से इस योजना में शामिल होकर फल और सब्जी उत्पादक किसान न सिर्फ देश के किसी भी कोने तक अपनी फसलों को पहुंचा सकते हैं बल्कि इसके जरिये अच्छी खासी कमाई भी कर सकते हैं।
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