WAQF Bill 2024 – माफियाओं के अवैध कब्जे से निजात दिलाना है बिल का मकसद
WAQF Bill 2024: वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में संशोधन के लिए लोकसभा में विधेयक पेश कर दिया गया। इस बिल पर सरकार ने पिछले दो महीने में करीब 70 ग्रुप से राय मशविरा किया है। सरकार की प्राथमिकता इस बिल को सदन में आम सहमति से पारित करवा गरीब मुस्लिम, मुस्लिम महिला, अनाथ मुस्लिम को न्याय दिलाया जाए। हालांकि आम सहमति नहीं बनते देख सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की घोषणा कर दी है। सरकार का दावा है कि इस बिल का मकसद वक्फ संपत्तियों को माफियाओं के अवैध कब्जे से निजात दिलाना है। अभी वक्फ बोर्ड डिफेंस और भारतीय रेलवे के बाद देश में तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी (चल-अचल संपत्ति) है। हालांकि, रेलवे और डिफेंस सरकारी संपत्ति हैं। अब तक वक्फ अधिनियम, 1995 नाम था। अब संशोधन विधेयक को नया नाम ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ दिया गया है। संशोधन बिल 2024 के जरिए सरकार 44 संशोधन करने जा रही है।
महिलाओं के विरासत अधिकार
अब तक अधिनियम में ‘वक्फ’ में मुस्लिम कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विभिन्न प्रकार के वक्फ शामिल हैं, लेकिन संशोधन विधेयक में जो व्यक्ति कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा है वही अपनी चल-अचल संपत्ति को वक्फ को दान कर सकता है। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि वक्फ-अलल-औलाद महिलाओं के विरासत अधिकारों से इनकार नहीं कर सकता है। वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है। इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था। दरअसल, वक्फ अधिनियम की धारा 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है। मूल अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नरों की नियुक्ति का प्रावधान है, लेकिन संशोधन विधेयक में कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर ही सर्वे कमिश्नर होगा। संशोधन विधेयक में वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट, ट्रांसपेरेंसी और एफिशियंसी का ख्याल रखा गया है। इसके लिए एक सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस का प्रावधान है। अब किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस दिया जाएगा और राजस्व कानूनों के अनुसार एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरना होगा।
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भूमिका में भी बदलाव किया गया
नए बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की भूमिका में भी बदलाव किया गया है। इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व भी होगा। केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा। महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा। इस विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड बनाए जाने का प्रस्ताव है। मसौदे में मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है। केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक प्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे। इनमें से कम से कम दो महिलाओं का होना जरूरी है।
ट्रिब्यूनल स्ट्रक्चर में सुधार
मूल अधिनियम में अपील के लिए कुछ पावर और प्रावधानों के साथ वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई थी, लेकिन संशोधन विधेयक में ट्रिब्यूनल स्ट्रक्चर में सुधार किया गया है। अब दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल होगा। ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील के लिए 90 दिनों की समय-सीमा। मूल अधिनियम में मुतवल्लियों (वक्फ के प्रबंधकों) को शुद्ध वार्षिक आय का सात प्रतिशत वार्षिक योगदान देना जरूरी है, लेकिन संशोधन विधेयक में कम से कम पांच हजार रुपये की शुद्ध वार्षिक आय वाले वक्फ के लिए वार्षिक योगदान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था। एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं। वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान करता है।
तब तक निर्णय अंतिम होता था
वक्फ अधिनियम, 1954 के तहत यह विचार पेश किया गया कि किसी संपत्ति को वक्फ माना जा सकता है यदि इसका उपयोग लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया गया हो, सिविल अदालतों को वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया, वक्फ के सर्वेक्षण की लागत वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्त मुतवल्ली द्वारा वहन की जाता थी। वक्फ आय से वित्त पोषित होता था सर्वेक्षण धारा 27 ने वक्फ बोर्ड को जानकारी एकत्र करने और यह तय करने का अधिकार दिया कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं, जब तक कि सिविल अदालत में चुनौती न दी जाए निर्णय अंतिम होता था। वहीं वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियां वर्तमान प्रयोग की परवाह किए बिना वक्फ की ही रहेंगी।
वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों का निपटारा करने के लिए वक्फ न्यायाधिकरणों की स्थापना की गई, जिनके फैसले अंतिम और सिविल अदालतों में अपील के अधीन नहीं थे। नामित मुतवल्ली, प्रबंध समितियों के सदस्य, कार्यकारी अधिकारी और वक्फ में पद संभालने वाले अन्य लोग लोक सेवक होते थे। इसके अलावा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के तहत गैर-मुसलमानों को वक्फ बनाने की अनुमति दी गई। वक्फ न्यायाधिकरणों को किरायेदारों की बेदखली और पट्टेदारों और पट्टेदारों के अधिकारों से संबंधित विवादों पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई। वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की लागत राज्य सरकार पर स्थानांतरित कर दी गई। बिना दस्तावेज के धार्मिक उपयोग के साक्ष्य के आधार पर भूमि को वक्फ घोषित करने की अनुमति। वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया गया, जिसमें यह तय करने का अधिकार भी शामिल है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।
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भूमि पर दुरुपयोग और अनधिकृत दावों का जोखिम
उपयोग के आधार पर भूमि को वक्फ के रूप में समर्पित करने की अनुमति देने से सार्वजनिक भूमि पर दुरुपयोग और अनधिकृत दावों का जोखिम। वक्फ बोर्ड की बढ़ी शक्तियां संभावित अतिक्रमण और विवादों को जन्म दे सकती हैं। सर्वेक्षण लागत को राज्य सरकार पर स्थानांतरित करने से राज्य पर वित्तीय बोझ पड़ता है। वक्फ न्यायाधिकरणों की बढ़ी हुई शक्तियां दूसरे धार्मिक प्रबंधन के संबंध में स्थिरता और निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं। दूसरे धार्मिक प्रबंधन की देखभाल करने वालों को वक्फ पदाधिकारियों के समान छूट प्रदान नहीं की जाती है। वक्फ बोर्ड कानून के संशोधन का समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और एआईएमआईएम विरोध कर रहे हैं। विपक्ष की मांग सरकार लिखित गारंटी दे कि वक्फ बोर्ड की जमीनें बेची नहीं जाएंगी। वक्फ बोर्ड कानून के संशोधन का विरोध करने वाले लोगों का मानना है कि ये फैसला वक्फ संपत्तियों के खिलाफ है। अगर संशोधन किया जाएगा, तो प्रशासनिक अराजकता होगी, वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और यदि वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा, तो वक्फ की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी।
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