Zoom Fatigue: दूर बैठकर कैमरों की जद में जिंदगी पर प्रभाव
Zoom Fatigue: हाल ही में दुनिया में बड़े पैमाने पर शुरू हुए जूम वर्क कल्चर का अध्ययन किया गया। इसमें लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर हुए असर का व्यापक अध्ययन किया था। इस अध्ययन के कई चैंकाने वाले निष्कर्षों का साझा सार यह था कि युवाओं में ज़ूम फटीग बड़ी तेजी से बढ़ रही है। ज़ूम दरअसल एक अमरीकी कंपनी का वीडियो कम्युनिकेशन एप है। कोविड-19 बाद दुनियाभर में हुई तालाबंदी के दौरान घर से कामकाज की जो व्यवस्था विकसित हुई,ज़ूम इस व्यवस्था का बहुत जरूरी हिस्सा है। जनसंचार माध्यमों और कैमरों की मदद से कोविड तालाबंदी के दौरान,ज्यादातर काम घर बैठे ही होने लगे। ऑफिस मीटिंग,फिर ऑनलाइन टीचिंग या ग्रुप वीडियो कॉलिंग ये सभी चीजें जूम एप के जरिये आसान हो गयीं। लेकिन क्या कामकाज के इस नए तरीके का लोगों शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई असर पड़ा? इसके अध्ययन के लिए जैफ़्री पोल्ज़र और उनके सहयोगियों ने अमरीका के 16 शहरों के 30 लाख से ज्यादा लोगों के कोरोना महामारी के पहले के कामकाज और इस महामारी के कारण हुए लाकडाउन के बाद के कामकाज का जायजा लिया।
कारण लोगों के व्यवहार में परिवर्तन
कामकाज में आये बदलाव के कारण लोगों के व्यवहार में हुए परिवर्तनों की जब गहन पड़ताल की गयी तो पता चला कि निष्कर्ष अगर भयावह नहीं तो डराने वाले तो हैं ही। इन अमरीकी शोधकर्ताओं ने तालाबंदी के आठ हफ्ते पहले और तालाबंदी शुरु होने के आठ हफ्ते के बाद के कामकाज का विस्तृत दस्तावेजीकरण किया। इससे स्पष्ट हुआ कि दूर बैठकर कैमरों की जद में काम करने का हमारी जिंदगी के हर पहलू पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। वास्तव में कामकाज के इस नये ढंग में हमारी संचार की गतिविधियां और सक्रियता कई गुना बढ़ गयी है। ई-मेल से लेकर वीडियो काॅलिंग तक इसमें शामिल है। वीडियो काॅलिंग इस मायने में सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह शारीरिक रूप से बहुत थकाती है। अपने इस अध्ययन में पोल्जर की टीम ने यह भी पाया कि वर्क फ्राम होम के दौरान कामकाज के घंटे 48 मिनट से लेकर 120 मिनट तक बढ़ गए हैं। शायद इसकी वजह यह है कि नियोक्ता यानी आपकी कंपनी यह मानकर चलती है कि आप घर से काम करते हुए दफ्तर आने की थकान, घर से दफ्तर तक पहुंचने वाले टाइम से तथा दफ्तर से घर पहुंचने तक के टाइम को बचा लेते हैं तो यह कंपनी का नैतिक हक बन जाता है कि वह आपके इस बचे हुए समय से साझा करे। इसलिए वर्क फ्राम होम में कंपनियों के वर्किंग आवर बढ़ गए हैं। लेकिन कंपनियां यह नहीं समझ रहीं कि घर से काम करना कोई आसान नहीं है बल्कि कई मामलों में यह ज्यादा चुनौतीभरा है।
घर में काम ज्यादा थकाऊ और अरूचिकर
अध्ययन में पाया गया है कि जब आप कार्यस्थल में सहकर्मियों के साथ बैठकर काम करते हैं तो काम करना न सिर्फ आसान हो जाता है बल्कि यह मनोरंजनपूर्ण भी होता है, जबकि घर में अकेले बैठकर यह काम करना ज्यादा थकाऊ और अरूचिकर हो जाता है। आमतौर पर जब लोग ऑफिस में काम करते हैं तो छुट्टी का एक निश्चित समय होता है। दफ्तर में लगी घड़ी इस समय को भूलने नहीं देती।
जब आप घर से काम करते हैं तो जब तक बास का ‘टुडे’ज वर्क ओवर’ का मेल नहीं आता, तब तक काम चलता रहता है। कई बार यह बहुत तनाव देने वाला होता है। चूंकि सबके पास घर में काम करने की बेहतर सुविधाएं नहीं होतीं, कुछ लोगों के घर में जगह की कमी होती है। कुर्सी मेज में बैठकर काम करने की व्यवस्था नहीं होती। घर में पर्याप्त वाईफाई कनेक्शन नहीं होता, इन स्थितियों में घर से काम करना कुछ ज्यादा ही मुश्किलों वाला साबित होता है। कुछ लोग तो अपने घर में वाईफाई कनेक्शन की समस्या के चलते पार्क में, घर के बाहर सड़क में या ऐसी ही किसी जगह पर बैठकर काम करते हैं और वह दफ्तर से काम करने के मुकाबले कई गुना ज्यादा थकाऊ होता है।
कई किस्म की बाधाएं आती हैं
घर में काम करने में कई किस्म की बाधाएं आती हैं, जिनका पूर्व में अंदाजा ही नहीं होता। बच्चों का रोना, मुहल्ले में कोई हलचल, घर में रहते हुए घर के लोगों के साथ तनाव। ये सब परिस्थितियां घर के कामकाज करने को अनुकूल नहीं प्रतिकूल बनाती हैं। शायद इसी वजह से ऑनलाइन काम करना ज्यादा थकाऊ और उबाऊ हो गया है। जहां तक जूम थकान या जूम फटीग से आशय सिर्फ जूम एप में कामकाज के दौरान होने वाली थकान से नहीं है बल्कि हर तरह की वीडियो चैटिंग और कान्फ्रेंसिंग इसी दायरे में आती हैं। ये गतिविधियां खासकर वीडियो चैटिंग शरीर को इस कदर निचोड़ लेती हैं कि हम सामान्य से कहीं ज्यादा थकते हैं और यह सिर्फ दफ्तरी काम के चलते होता हो, यह भी सही नहीं है। जब हम कई कई घंटे फेसबुक, ट्वीटर, लिंक्डइन या व्हाट्सअप, वीडियो चैटिंग आदि में समय बिताते हैं तो भी हमें इस थकान से गुजरना पड़ता है। क्योंकि वीडियो कान्फ्रेंसिंग या वन टु वन वीडियो चैटिंग हमें प्रत्यक्ष रूप से बैठकर बात करने के मुकाबले कई गुना ज्यादा एलर्ट रखती है। इस कारण वीडियो चैटिंग या कान्फ्रेंसिंग हमें सामान्य से कई गुना ज्यादा थकाती है।
थकान के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं लोग
अगर आप इन प्लेटफार्म पर कई घंटे गुजारते हैं तो जल्द ही आप थकान के चक्रव्यूह में फंस जाएंगे और अपने कामकाज से रूचि खो ही देंगे। शारीरिक अस्वस्थतता से भी नहीं बच पाएंगे। टेक्नोलाजी माइंड एंड बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित अपने एक लेख में प्रोफ़ेसर जेर्मी बेल्सन कहते हैं ‘जूम थकान हमारी भावनाओं तक को निचोड़ लेती है। यह थकान हमारे उत्साह और उमंग की दुश्मन है। हालांकि उन्होंने कहा कि वो कामकाज की इस तकनीक को बदनाम नहीं करना चाहते, लेकिन यह सब कभी कभार के लिए हो तो हेल्दी है। लेकिन इस पर नियमित तौरपर निर्भर हो जाना शारीरिक और मानसिक दोनो को ही थकाना है।
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