Housewife: बिना क्रेडिट घर के सारे काम; जानिये क्या हो सकता है इसका समाधान?
Housewife: ‘घर संभालना कोई बच्चों का खेल नहीं’ ऐसी बातें तो आप ने बहुत सुनी होगी। लेकिन जब कोई घर की बहु या कोई भी महिला अपना घर संभालती है तो उसे इस डायलाग जैसा महत्त्व नहीं मिलता। इस तरह से हम ये कह सकते हैं कि महिलाओं का काम यूं तो बहुत कठिन है लेकिन सिर्फ कहने के लिए।
क्यूंकि बाकियों के लिए उसकी कोई कीमत नहीं होती। उन्हें लगता है की ये तो उनका काम है। हैरानी की बात ये है कि ये अधिकतर लोगों की सोच को दर्शाता है। समस्या तब हो जाती है जब पढ़े लिखे समझदार लोगों के घर में भी कई बार जाने अनजाने में यही सब होता है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा? कब तक गृहणियां घर के सारे कार्य करती रहेंगी वो भी बिना किसी क्रेडिट के ?
घर का काम या बंधुआ मजदूरी ?
सुनने में थोड़ा सा अजीब लगेगा लेकिन कई बार ऐसा होता है कि गृहणी दिनभर काम करती रहती है। लेकिन उसके अलावा उसकी मौजूदगी और कहीं दिखाई नहीं देती। सुबह उठकर घर की पहली चाय बनाने से लेकर रात के खाने तक के काम उसे करने होते हैं। और यही नहीं वो भी बिना किसी स्वार्थ सभी काम करती भी रहती है। हालाँकि अपने परिवार के लिए काम करने में उसका क्या स्वार्थ होगा, परन्तु दिक्कत वहां आती है
जब उसे किसी चीज की दरकार हो या उसकी कोई इच्छा हो, और परिवार वाले उसे दरकिनार करके अपने में ही व्यस्त रहे। ऐसे में किसी भी गृहणी, चाहे वो शिक्षित हो या अशिक्षित, उसके आत्मसम्मान को ठेस तो पहुँचती ही है। जो दिन रात परिवार वालों के हित के लिए काम करें और उनकी सुविधा के लिए अपना सर्वस्व लगा दे, उसकी कोई परवाह न करे तो ये तो उसके साथ नाइंसाफी है। ये तो एक प्रकार से बंधुआ मजदूरी ही होगी।
क्या कारण हैं महिलाओं की ऐसी स्थिति का ?
महिलाओं की ऐसी स्थिति का कारण है समाज की सोच। आज भी लोगों की सोच में ये बात गहरे बैठी है या रची बसी है कि घर संभालना महिलाओं का काम है और बाहर के काम की जिम्मेदारी घर के पुरुषों की है। यही बात है कि महिलाएं भी बचपन से ऐसे ही पली बड़ी हैं। और उन्हें ये समझाया जाता है की उनका कर्तव्य है कि वो बिना स्वार्थ अपने परिवार के लिए कार्य करती रहे।
इतना ठीक है कि वो ऐसा करें लेकिन जहाँ उन्हें अपना पक्ष रखना चाहिए और अपने लिए खड़ा होना हो, वहां वो बिलकुल भी न चूकें। ये आवश्यक है कि समय के साथ साथ उन्हें भी खुद में बदलाव लाना होगा। गलत को गलत और सही को सही कहना आता हो। उनके अस्तित्व के महत्त्व को सभी समझे इसके लिए जरुरी है कि वो स्वयं और खासकर उनके घरवाले इसे समझते हों।
जानिये क्या है इसका समाधान
महिलाओं की सामाजिक और पारिवारिक स्थिति सँभालने और सही करने के लिए आवश्यक है कि महिलाएं अब जागरूक हों । अब समय आ गया है कि वो अपना महत्त्व स्वयं समझें। अपनी स्थिति सुधारने के लिए उन्हें अपने लिए खुद खड़े होना होगा। साथ ही ये समझना होगा कि जो उनके साथ हो रहा है वो स्थिति उनके बाद किसी और की न हो तो उन्हें आज से ही इसकी शुरुआत करनी होगी।
- सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है बेटियों को शिक्षित करना। जिससे उन्हें अपने अधिकार और समाज में उनके अधिकार मिल सके। वो स्वयं को काबिल बना सकें और किसी पर निर्भर न रहे।
- बचपन से ही घर में लड़के और लड़की में समानता रखने का हर संभव प्रयास करना आवश्यक है। कभी भी ये एहसास न दिलाएं कि बेटी दूसरे घर जाएगी और बेटा वंश का दीपक है।
- लड़कियों को घर के काम के सीखने के साथ साथ करियर बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करना होगा। ऐसे ही लड़कों को भी घर के काम के बारे में जानकारी देना आवश्यक है
- घर की महिलाओं को उनके रूचि के अनुसार कुछ समय निकालना चाहिए फिर चाहे वो थोड़े बहुत काम, जिनमे एडजस्ट किया जा सकता है, उन्हें बाद के लिए रख दें। या उनमे किसी अन्य सदस्य की मदद ले लें ।
- महिलाओं को स्वयं के बारे में स्वयं ही सोचना होगा। यदि महिला खुद ही इन सब से बाहर नहीं आना चाहती तो उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता।
- यदि वो इसका समाधान चाहती हैं तो सबसे पहले उन्हें अपने पार्टनर और फिर परिवार के अन्य सदस्यों से इस बारे में खुल कर बात करनी होगी। या फिर वो शुरुआत घर के उस सदस्य से भी कर सकती हैं जो उन्हें समझता हो या जिनसे बात करने में उन्हें सुविधा हो।
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