kastbhanjan Hanuman Mandir – किले की तरह दिखाई देता है मंदिर
kastbhanjan Hanuman Mandir: ज्योतिष में शनि को ग्रहों का न्यायाधीश माना गया है। शनि, सूर्यदेव के पुत्र हैं। शनि क्रूर ग्रह माना गया है। जिन लोगों की कुंडली में ये ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। शनि के अशुभ असर को कम करने के लिए हनुमानजी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इसी वजह से हर शनिवार शनि के साथ ही हनुमानजी के मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है। जानते हैं हनुमानजी के एक ऐसे मंदिर के बारे में, जहां शनिदेव स्त्री रूप में विराजित हैं। इस मंदिर का नाम कष्टभंजन हनुमान मंदिर है और ये गुजरात के भावनगर के पास सारंगपुर में स्थित है।
स्वरूप बहुत ही भव्य
सारंगपुर का कष्टभंजन हनुमान मंदिर किसी किले की तरह दिखाई देता है। इसका स्वरूप बहुत ही भव्य है। मंदिर अपने पौराणिक महत्व, सुंदरता और भव्यता की वजह से काफी प्रसिद्ध है। कष्टभंजन हनुमानजी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं। यहां हनुमानजी को महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा के आसपास वानर सेना दिखाई देती है। हनुमानजी के साथ ही शनिदेव स्त्री रूप में भी विराजित हैं और हनुमानजी के चरणों में बैठे हैं।
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हनुमानजी और शनि से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार धरती पर शनिदेव का प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था। शनिदेव की बुरी दृष्टि से मानव के अलावा देवता भी बहुत परेशान हो गए थे। इसके बाद सभी ने शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए महाबली हनुमानजी को याद किया और उनसे रक्षा की गुहार लगाई। भक्तों की गुहार पर हनुमान जी, शनिदेव को सजा देने के लिए निकल पड़े। जब इस बात की जानकारी शनिदेव को लगी तो वो भयभीत हो गए, क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमानजी के गुस्से से कोई रक्षा नहीं कर पाएगा। कथाओं के अनुसार, शनिदेव ने हनुमान जी के गुस्से से बचने का उपाय निकाला और नारी का रूप धारण कर लिया।
सर्वविदित है कि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं और वे किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाते, ना ही बुरा बर्ताव करते। बस यही सोचकर शनिदेव ने हनुमान जी से बचने के लिए नारी का रूप धराण कर लिया और भगवान हनुमान से उनके चरणों में शरण मांग ली। हनुमान जी को इस बात की जानकारी हो गई थी कि शनिदेव ही स्त्री का रूप धारण किए हुए हैं। इसके बावजूद हनुमानजी ने शनिदेव को नारी रूप में माफ कर दिया। क्षमा मिलने के बाद शनिदेव ने हनुमानजी से कहा कि उनके भक्तों पर शनि दोष का असर नहीं होगा। उसके बाद शनिदेव ने हनुमानजी के भक्तों पर से अपना प्रकोप हटा लिया। इस मंदिर में इसी प्रसंग के आधार पर शनिदेव को हनुमानजी के चरणों में स्त्री रूप में पूजा जाता है। भक्तों के कष्टों का निवारण करने की वजह से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।
सारंगपुर में स्थित है मंदिर
ये मंदिर सारंगपुर में स्थित है। यहां आने के लिए पहले भावनगर जाना होता है। भावनगर से सारंगपुर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। भावनगर के लिए सभी बड़े शहरों से आवागमन के कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। सभी बड़े शहरों से भावनगर के लिए रेलगाड़ियां आसानी से मिल जाती हैं। भावनगर सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
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