Ayodhya Ram Mandir: दीपिका चिखलिया जाहिर किया दुख
Ayodhya Ram Mandir: रामानंद सागर की रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया ने कहा कि मुझे इस बात का दुख है कि राम के साथ सीताजी की मूर्ति नहीं है। अपना दुख जाहिर करते हुए दीपिका कहती हैं, ‘मुझे हमेशा लगा था कि रामजी के बगल में सीताजी की मूर्ति होगी। हालांकि यहां ऐसा नहीं है, जिसका मुझे अफसोस है। मैं हमारे प्राइम मिनिस्टर को रिक्वेस्ट करना चाहती हूं कि वो आयोध्या में राम के साथ सीताजी की मूर्ति को भी विराजमान करें। कहीं न कहीं उन्हें जगह दें। जरूर कोई तो जगह होगी कि जहां राम और सीताजी विराजमान हो सकते हैं। मैं विनती करती हूं कि रामजी को अकेला मत रखिएगा। मैं मानती हूं कि आयोध्या में उनका बालस्वरूप है। बहुत सुंदर स्वरूप है, प्रभावशाली है। मुझे क्या बल्कि सभी महिलाओं को बहुत खुशी होगी अगर रामजी के साथ सीता मां को भी रखा जाए।’
स्पेशल गेस्ट के रूप में शिरकत करेंगी
दीपिका चिखलिया अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन में बतौर स्पेशल गेस्ट शिरकत करने जा रही हैं। दीपिका ने कहा कि 22 जनवरी मेरे लिए बहुत ही ऐतिहासिक दिन है। यह आने वाले जनरेशन के लिए बहुत मायने रखेगी क्योंकि 500 साल बाद रामजी वापस अयोध्या आ रहे हैं। अपने घर में आ रहे हैं। मेरे बारे में तो लोग जानते हैं कि मैं राममयी रही हूं। मैं रामजी में बहुत विश्वास भी रखती हूं। मैंने अपनी जिंदगी में सीता का किरदार भी निभाया है। मेरे लिए वाकई में बहुत ही इमोशनल मोमेंट होने वाला है। बल्कि सभी भारतीय के लिए यह एक ऐसा गौरान्वित दौर रहेगा कि हम आने वाली पीढ़ियों से यही कहेंगे कि हम इसके साक्षी रहे हैं।’
आरएसएस के ऑफिस से कॉल आया
इनविटेशन मिलने पर रिएक्ट करते हुए दीपिका कहती हैं, ‘मैं बिलकुल भी इस इनविटेशन को लेकर तैयार नहीं थी। मैंने तो उम्मीद ही नहीं की थी। जब मुझे आरएसएस के ऑफिस से कॉल आया, तो उन्होंने कहा कि आप हमारे लिए सीता जी हैं, पूरी दुनिया आपको इसी नाम से जानती हैं। आपका होना वहां बहुत जरूरी है। इसलिए आप हमारा इनविटेशन स्वीकार करें। हालांकि उस वक्त मैं इतनी खुश हो गई थी कि मेरे मुंह से निकल गया कि आप भी मुझे सीता मानते हैं। वो कहने लगे, इसमें कोई शक नहीं है।’
5 वर्ष के बालक के रूप विराजित होगी
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का महासचिव चंपत राय ने बताया कि, मंदिर परिसर के जिस गर्भगृह में रामलला विराजेंगे, वहां माता सीता की कोई मूर्ति नहीं होगी। यहां केवल रामलला की मूर्ति विराजित होगी। यहां रामलला की मूर्ति 5 वर्ष के बालक के रूप विराजित होगी। यानी यह भगवान का ऐसा स्वरूप होगा, जिसमें उनकी शादी नहीं हुई होगी। यही कारण है कि यहां माता सीता की मूर्ति नहीं रहेगी। क्योंकि यहां रामलला बालक रूप में विरामान रहेंगे।
7 और अन्य मंदिर बनाने का कार्य
अयोध्या में मुख्य मंदिर के अलावा जन्मभूमि परिसर में 7 और अन्य मंदिर बनाने का कार्य भी चल रहा है। इनमें भगवान के गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ, ब्रह्मर्षि विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, अगस्त्य मुनि, रामभक्त केवट, निषादराज और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं। 2024 के अंत तक इन मंदिरों का कार्य भी पूरा हो जाएगा।
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