Period Paid Leave: सोशल मीडिया में मुद्दा गरमाया, स्मृति के समर्थन में उतरी कंगना रनौत
Period Paid Leave: हाल ही में देशभर में पीरियड्स के दौरान वर्कप्लेस में छुट्टी को लेकर बहस छिड़ गई वहीं इसे लेकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान ने भूचाल ला दिया है। स्मृति ईरानी ने कहा है कि पीरियड्स की छुट्टी से वर्कफोर्स में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव हो सकता है। संसद में बहस के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा कि आज महिलाएं अधिक से अधिक आर्थिक अवसरों का विकल्प चुन रही हैं, हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को किसी तरह से समान अवसर से वंचित कर दिया जाए। स्मृति ईरानी ने कहा कि मैं खुद एक महिला हूं। इसलिए यह कहूंगी कि पीरियड्स कोई बाधा नहीं है। यह महिला की जीवन यात्रा का स्वाभाविक हिस्सा है। राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा के सवाल का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म कोई ‘बाधा’ नहीं है और ‘पेड लीव’ के लिए किसी विशिष्ट नीति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हर परिस्थिति में खुद को ढालना और सामना करना आना चाहिए। स्मृति ईरानी ने ये बातें उस सवाल के जवाब में कहीं, जिसमें पूछा गया था कि, क्या सरकार पीरियड्स अवकाश के लिए कोई कानून बनाने पर विचार कर रही है। वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत भी स्मृति ईरानी के समर्थन में उतर आई हैं कंगना ने महिलाओं के काम गिनवाए और कहा कि उनके रास्ते में कुछ भी रुकावट नहीं बन सकता।
दवाई से मिल जाता है आराम
स्मृति ईरानी ने तर्क कि कुछ महिलाओं और लड़कियों में डिसमेनोरिया यानी मेन्स्ट्रुअल क्रैम्प्स यानी पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है, लेकिन इसमें दवाई से आराम मिल जाता है लेकिन माहवारी को अकसर सोशल टैबू की तरह देखा जाता है, जिससे महिलाओं की स्वतंत्रता, रोजमर्रा की गतिविधियां करने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है, उनको अलग-थलग कर दिया जाता है, और इसके बारे में दबे-छिपे तरीके से बात की जाती है। ये व्यवहार तब और हानिकारक बन जाता है जब कोई माहवारी से पहले-पहल गुजरना शुरू करता है तो उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर हो रहे बदलावों से गुजरना पड़ता है।
महिलाएं हमेशा से वर्किंग ही रही हैं – कंगना
वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी स्मृति ईरानी के बात का समर्थन किया है। कंगना ने कहा कि कैसे महिलाएं हमेशा से वर्किंग ही रही हैं। कंगना ने महिलाओं के काम गिनवाए और कहा कि उनके रास्ते में कुछ भी रुकावट नहीं बन सकता। कंगना ने कहा कि महिलाओं को पीरियड पर पेड लीव नहीं मिलनी चाहिए। कंगना ने कहा कि कामकाजी महिला एक मिथ है, मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसी कोई महिला नहीं रही है। खेती से लेकर घर के काम, बच्चों में उत्साह पैदा करना, महिलाएं हमेशा काम करती रही हैं, परिवार, समुदाय या राष्ट्र के लिए उनके कमिटमेंट के रास्ते में कभी कुछ नहीं आया। जब तक कि कुछ स्पेशल मेडिकल कंडीशन न हो, महिलाओं को पेड पीरियड लीव की जरूरत नहीं, कृपया इसे समझें। यह पीरियड है कोई बीमारी या कमी नहीं।
स्वच्छता नीति का मसौदा तैयार
स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हितधारकों के परामर्श से मासिक धर्म स्वच्छता नीति का मसौदा तैयार किया है। केंद्र पहले से ही 10-19 आयु वर्ग की लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए एक योजना लागू कर रहा है। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाना है। स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए लागू की गई मिशन शक्ति के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ घटक के तहत मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाना एक प्रमुख क्षेत्र है जिस पर किया जा रहा है।
बिहार में लागू है पीरियड पेड लीव
साल 1992 में पहली बार बिहार में सरकारी कर्मचारियों को पीरियड लीव्स का प्रावधान दिया गया था। यह अपने आप में एक अनोखी बात थी। लालू यादव की सरकार ने इसकी मंजूरी दी थी। इसके दौरान वर्कप्लेस में दो दिन की पीरियड पेड लीव की सुविधा दी गई थी। और आज भी बिहार की महिलाओं को यह लीव मिलती है। वहीं बिहार के बाद केरल ऐसा स्टेट है जहां पर महिलाओं को पीरियड लीव्स दी जाती है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार पीरियड्स के लिए छुट्टी की नीति बनाने वाला पहला राज्य था।
विदेशों में भी है प्रावधान
विदेशों में भी है पेड पीरियड लीव्स का व्यवस्था है। यह ‘हेल्थ राइट्स’ से अलग है। कुछ देशों में तीन से 5 दिनों तक का पीरियड लीव्स मिलता है। इसमें जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया और जाम्बिया जैसे देशों में 3-5 दिनों का पीरियड्स लीव्स मिलता है। स्पेन और यूरोपियन कंट्री में हेल्थ राइट्स अलग से है। स्पेन ने अपने यहां ये प्रावधान किया है कि पीरियड के दौरान होने वाली दर्द के समय महिलाओं और लड़कियों को छुट्टी दी जाएगी। स्पेन यूरोप में ऐसा करने वाला पहला देश बना है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
ये एक ऐसा सवाल है जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बीते कुछ दिनों से बहस जारी है। लेकिन इस बहस ने महिलाओं को ही दो पक्षों में बांट दिया है। महिलाओं का एक पक्ष मानता है कि अगर पीरियड के लिए छुट्टियां दी जाने लगें तो इससे समाज विशेषत: वर्किंग कल्चर में पीरियड को एक स्वीकार्यता मिलेगी। वहीं, महिलाओं का एक अन्य पक्ष इसका विरोध करते हुए कह रहा है कि इससे वर्क प्लेस में असमानता बढ़ेगी।
– शिल्पा गोडबोले नाम की एक महिला ने लिखा कि इस मुद्दे पर कोई एक तय नीति नहीं हो सकती। उन्होंने लिखा, “हम सभी इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि महिलाओं के लिए साफ-सुथरा शौचालय उपलब्ध होना समय की मांग है। चाहे कॉरपोरेट ऑफिस हो या सार्वजनिक स्थान, चाहे स्कूल हो या कॉलेज, खासकर पीरियड्स के दिनों में जिन कारणों से हम महिलाओं के लिए अपने घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, उसमें साफ शौचालयों की कमी भी शामिल है।”
– ब्यूटी ब्रांड ममा अर्थ की सह-संस्थापक गजल अलघ ने इस भी मुद्दे पर अपनी राय दी है। अलघ ने कहा कि सदियों से महिलाएं अपने अधिकारों और समान अवसरों के लिए लड़ती रही हैं और अब पीरियड लीव के लिए लड़ना कड़ी मेहनत से अर्जित समानता को पीछे धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं को इस दौरान दर्द होता है, उन्हें वर्क फ्रॉम होम का विकल्प मिलना चाहिए।
– एक और महिला यूजर ने लिखा कि अगर कोई महिला अपने पीरियड्स के दौरान बीमार महसूस कर रही है, तो उसे बीमारी की छुट्टी लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी लिखा, “हालांकि हर महीने छुट्टी देने की कोई व्यापक नीति नहीं होनी चाहिए, जो अनुचित होगी।”
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