UP IPS Transfer: एक बार फिर पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल
UP IPS Transfer: उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नए साल पर एक बार फिर से पुलिस विभाग में फेरबदल किया है। साल के पहले दिन ही 7 सीनियर आईपीएल अफ़सरों का तबादला कर दिया गया है।
इसके तहत कई दिग्गजों को साइडलाइन किया गया है। यूपी सरकार ने इनके ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए हैं। इन सभी को तत्काल समय प्रभाव से नई जिम्मेदारी संभालने के निर्देश दिए गए हैं। लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर समेत अन्य स्थानों पर तैनात सात आईपीएस अधिकारियों के तबादले की लिस्ट जारी की गई।
जिन 7 आईपीएस अफसरों के हुए तबादले हुए हैं उनमें रामकृष्ण स्वर्णकार अपर पुलिस महानिदेशक एपीटीसी सीतापुर, अखिल कुमार पुलिस आयुक्त पुलिस कमिश्नरेत कानपुर नगर, ध्रुव कांड ठाकुर अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन, राजीव सभरवाल अपर पुलिस महानिदेशक डॉ बीआर अंबेडकर अकादमी मुरादाबाद, सुजीत पांडेय अपर पुलिस महानिदेशक पीएसी लखनऊ, केएस प्रताप कुमार अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन और अशोक कुमार सिंह अपर पुलिस महानिदेशक यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोनत्ति बोर्ड लखनऊ का नाम शामिल है। आइए जानते हैं इन 7 आईपीएस अफसरों के कामकाज के बार में :-
ट्रेनिंग कॉलेज भेजे गये स्वर्णकार
करीब चार माह पूर्व कानपुर का कमिश्नर बनने के बाद लगातार विवादों में रहने वाले आरके स्वर्णकार को हटा दिया गया है। उनको सीतापुर में ऑर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज भेजा गया है। वह पिछले दिनों काफी विवादों में रहे थे, उन पर भ्रष्टाचार और जनता के साथ बदसलूकी करने के आरोप थे। बताया जा रहा है कि लंबे समय से आर के स्वर्णकार की शिकायतें मिल रही थीं। साथ ही कानपुर में लगातार हुई बड़ी घटनाओं के चलते पुलिसिंग पर सवाल खड़े हो रहे थे।
मातहतों से कोऑर्डिनेशन की कमी की भी शिकायतें शासन तक पहुंची थीं, जिसके चलते आरके स्वर्णकार को हटाया गया है। इसके अलावा स्वर्णकार पर लगातार आरोप लग रहे थे कि वो परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं। कानपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी और व्यापारियों का शोषण बढ़ता जा रहा था। कानपुर पुलिस पर व्यापारियों के उत्पीड़न के आरोप लगने के बावजूद पुलिस कमिश्नर स्वर्णकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। यही उनके तबादले की वजह बना। सूत्र बताते हैं कि कानपुर में लगातार बढ़ते अपराध के ग्राफ और व्यापारियों के गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जाहिर की थी। ये तो तय था कि देर-सवेर आरके स्वर्णकार पर गाज गिरेगी।
वैसे भी लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने का समय बचा है। ऐसे में चुनावी साल में योगी सरकार व्यापारियों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी। दूसरी ओर कानपुर के बीजेपी विधायकों ने भी स्वर्णकार की कार्यशैली को लेकर योगी को अवगत कराया था। बीजेपी विधायकों ने शिकायत की थी कि स्वर्णकार जनता की समस्याओं का समय से निस्तारण कराने के बजाए, फाइलों को लटका कर रहते हैं। इसी वजह से थाने भी निरंकुश हो गए हैं। पुलिसकर्मी किसी भी समस्या पर गंभीर नहीं रहते हैं।
कानपुर के नये CP अखिल कुमार
गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार को कानपुर का नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। आज से 3 साल पहले जिले में CCTV कैमरे सिर्फ दुकानों, मॉल तक ही सीमित थे, लेकिन गोरखपुर जोन का चार्ज लेने के बाद ADG अखिल कुमार ने एक क्रांतिकारी मुहिम शुरू किया, वह था व्यापक पैमाने पर शहर को कैमरे की जद में लाना। काफी होमवर्क करने के बाद ADG ने यह मुहिम शुरू किया था। जिसका लाभ क्राइम कंट्रोल में कुछ दिनों बाद ही मिलने लगा।
आज स्थिति यह है की इन कैमरों की वजह से शहर सुरक्षित हो चला। शहर के हर चौराहे यहां तक की गलियों पर हुई इस तीसरी आंख की नजर है। यह सब एडीजी अखिल कुमार के ऑपरेशन त्रिनेत्र से संभव हो पाया है। इस अभियान के अंतर्गत सभी चौराहों और घर घर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। उन्होंने गोरखपुर में सुरक्षा और अपराध को रोकने के लिए कई अभियान चलाए। इसमे ऑपरेशन त्रिनेत्र एक ऐसा अभियान है, जिसकी कामयाबी देख प्रदेश सरकार ने उसे हर जिले में लागू भी किया।
अखिल कुमार ने एक तरफ प्रदेश को तीसरी आंख दी वहीं दूसरी तरफ नेपाल बॉर्डर को कवच से सुरक्षित भी किया है। एडीजी अखिल कुमार अपने अलग अंदाज के लिए गोरखपुर में हमेशा याद किए जाएंगे। गोरखपुर जोन में 11 जिले हैं, जहां भी कोई बड़ी घटना होती थी वहां अखिल कुमार तत्काल पहुंचते थे। उस घटना का खुलासा तत्काल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट जाते थे। कम ही समय में वह गोरखपुर की पब्लिक के भी दिल में बस गए थे। ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत वह घर-घर भी पहुंचकर कैमरे लगवाने वाले लोगों को सम्मानित करते थे।
मेरठ जोन के ADG डीके ठाकुर
इसी तरह उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड में तैनात डीके ठाकुर को मेरठ जोन का एडीजी बनाया गया है। ठाकुर की लंबे समय बाद वापसी हुई है। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी ध्रुवकांत ठाकुर को मेरठ जोन में अपर पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ध्रुवकांत ठाकुर की जनता में अलग पहचान है। आला अफसरों या नेताओं की परिक्रमा के बजाय वह सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक दफ्तर में बैठकर शिकायतों की सुनवाई करते थे।
लखनऊ में डीआईजी/एसएसपी के पद पर रहे ध्रुवकांत ठाकुर ने न सिर्फ अपराध और कानून व्यवस्था पर काम किया, बल्कि नियमित रूप से दफ्तर में बैठकर बरसों से लंबित मामले निपटा डाले। टालमटोल करने वाले थानेदारों को कसा और शिकायत लेकर अक्सर आने वाले लोगों को भी चिह्नित कर लिया। थानों पर नागरिकों की सुनवाई शुरू हुई और फर्जी शिकायत करने वालों का आना बंद हो गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के दफ्तर में फरियादियों की संख्या घटने लगी। ऐसा वक्त आया कि कक्ष का दरवाजा खोले बैठे कप्तान फाइलों के निस्तारण के साथ गैलरी में टकटकी लगाए रहते थे।
गेट पर नजर आए व्यक्ति को बुलाकर समस्या पूछते थे। फाइलों पर दस्तखत कराने के लिए पेशकार और बाबुओं को बस्ता बांधकर शिविर कार्यालय में देर रात तक कप्तान का इंतजार नहीं करना पड़ता था। ध्रुवकांत ठाकुर शाम पांच बजे तक दफ्तर में ही विभिन्न अनुभागों के लिपिकों को बुलाकर पत्रावलियों का निस्तारण करते थे। ध्रुवकांत ठाकुर ने लखनऊ में छह नए थानों का प्रस्ताव तैयार किया और शासन में पैरवी करके पीजीआई, गौतमपल्ली, जानकीपुरम, पारा चौकी, विभूति खंड और इंदिरानगर थाने की स्थापना कराई। इसके अलावा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में थाने की तर्ज पर काम शुरू कराया।
पुलिस अकादमी भेजे गये राजीव सभरवाल
मेरठ के एडीजी जोन राजीव सभरवाल को मुरादाबाद में डॉ। बीआर अंबेडकर पुलिस अकादमी भेजा गया है। सभरवाल काफ़ी विवादों में रहे थे, उनका मानना था कि उन्हें कोई नहीं हटा सकता है। राजीव सभरवाल पर भी करप्शन के कई आरोप लगे थे। योगी सरकार ने सभरवाल को पूरा समय दिया, लेकिन पुलिसिंग और छवि दोनों को ही बचा पाने में राजीव सभरवाल असफल रहे। विवादित मामले में राजीव सभरवाल की फोटो और ऑडियो भी वायरल हो चुका है, जिससे प्रदेश सरकार की साख को भी बट्टा लगा। इन तमाम कारणों से राजीव सभरवाल को एडीजी जोन मेरठ के पद से हटाया गया। कहा तो यह भी जाता है कि एडीजी राजीव सभरवाल अपने मातहतों से कहते फिरते थे कि उन्हें मेरठ जोन से कोई हटा नहीं सकता है।
एडीजी पीएसी बने सुजीत पांडेय
ऑर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में तैनात सुजीत पांडेय को एडीजी पीएसी बनाया गया है। सुजीत पांडेय को APTC सीतापुर से अपर पुलिस महानिदेशक PAC लखनऊ में तबादला हुआ है। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी सुजीत पांडेय पहले लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं। सुजीत पांडेय मूल रुप से भागलपुर (बिहार) के रहने वाले हैं जो 1994 बैच के आईपीएस हैं। इनके पिता बिहार कैडर में आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं।
वह सीबीआई में सात साल तैनात रहे हैं। वह बॉम्बे ब्लास्ट, नंदी ग्राम समेत अन्य कई बड़े बम ब्लास्ट मामलों में मुख्य रूप से काम किया है। वहीं अगर बात करे उत्तर प्रदेश की तो 12 से अधिक जिलों की कमान संभाल चुके हैं। वह आईजी एसटीएफ का चार्ज भी संभाल चुके हैं। साथ ही कुछ जानकारों के मुताबिक पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के समय में कुछ अंदरूनी विवाद के चलते उनको साइड लाइन कर दिया गया था और आईजी टेलीकॉम की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। बताने वाले कहते हैं कि उनको जो भी जिम्मेदारी दी गई उन्होंने बखूबी उसको पूरा किया हैं।
गोरखपुर जोन एडीजी प्रताप कुमार
एडीजी पीएसी केएस प्रताप कुमार को गोरखपुर जोन का एडीजी बनाया गया है। 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी डॉ केएस प्रताप कुमार इससे पहले भी गोरखपुर के SSP रह चुके हैं। ऐसे में वे गोरखपुर के पूरी तरह परिचित हैं। डॉ। केएस प्रताप कुमार 1993 बैच के सीनियर IPS अफसर हैं। वे मूल रुप से हैदराबाद के रहने वाले हैं। इससे पहले SSP इलहाबाद, SP बलरामपुर और साल 2002 में SSP गोरखपुर समेत कई शहरों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
प्रोन्नति बोर्ड भेजे गये अशोक कुमार सिंह
डायल 112 में काम करने वाली सैकड़ों टेली कॉलर से जुड़े विवाद को लेकर सरकार ने तत्कालीन एडीजी 112 अशोक सिंह को इस लिए पद से हटा कर डीजीपी मुख्यालय से अटैच कर दिया था, क्योंकि वे इस मामले को लेकर गंभीर नहीं दिखे थे और कई दिनों तक अपातकाल सेवा 112 बाधित हुई थी। हालांकि अब सरकार ने उन्हें भर्ती बोर्ड में तैनाती दी है। अशोक कुमार सिंह को उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड भेजा गया है। अब वह पुलिस भर्ती बोर्ड के मुखिया बन गए हैं।
34 आईपीएस अफसरों के प्रमोशन का आदेश जारी
उल्लेखनीय है कि बीते हफ्ते ही यूपी के 34 आईपीएस अफसरों के प्रमोशन का आदेश जारी हुआ था। जिसमें स्पेशल DG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के प्रमोशन का आदेश जारी हुआ था। वह एक जनवरी को DG बन गए हैं। जिन 34 आईपीएस अफसरों का प्रमोशन किया गया था वे सभी 2009 और 2010 बैच के अधिकारी हैं। प्रमोशन के बाद उनकी तैनाती का आदेश जल्द जारी होगा। बताते चलें कि प्रशांत कुमार 1990 के आईपीएस अधिकारी है।
मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार को सीएम योगी आदित्यनाथ के बेहद भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है। अपनी बहादुरी के लिए प्रशांत कुमार को 3 बार पुलिस पदक मिल चुका है। इसके अलावा राष्ट्रपति से वीरता का पुलिस पदक भी मिल चुका है।
बड़ा प्रशासनिक फेरबदल भी हुआ
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने रविवार को बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है। राज्य सरकार ने सात आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। सरकार की ओर से जारी सूची के मुताबिक रायबरेली की जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव को भूतत्व और खनिकर्म का निदेशक बनाया गया है। वहीं कासगंज की जिलाधिकारी हर्षिता माथुर को रायबरेली भेजा गया है। इसके अलावा संयुक्त राज्य निर्वाचन आयुक्त सुधा वर्मा को कासगंज का जिलाधिकारी बनाया गया है। वहीं प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव को प्रतीक्षारत किया गया है। सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी संजीव रंजन का प्रतापगढ़ ट्रांसफर किया गया है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पवन अग्रवाल को सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी के पद पर भेजा गया है।
7 सितंबर को भी हुआ था 4 आईएएस अधिकारियों का तबादला
इसी तरह गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के संभागीय खाद्य नियंत्रक अनुज मलिक को गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाया गया है। इससे पहले यूपी सरकार ने बीते सात सितंबर को भी बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया था, तब चार आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था। जिलाधिकारी मथुरा से सीईओ यूपीआरआरडीए भेजे गए 2011 बैच के आईएएस पुलकित खरे का तबादला ग्रेटर नोएडा में एसीईओ के पद पर किया गया था।
वहीं आईएएस रवीश गुप्ता एआईजी स्टांप को सीईओ यूपीआरआरडीए बनाया गया था। आईएएस आंनद वर्धन एसीईओ ग्रेटर नोएडा को गोरखपुर विकास प्राधिकरण का वीसी नियुक्त किया गया था। आईएएस रमेश रंजन को विशेष सचिव गन्ना और चीनी को निदेशक कौशल विकास बनाया गया था। इससे पहले 1 जून को भी यूपी में पांच आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया था। आयुष घोटाले में नाम आने के बाद अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशांत त्रिवेदी हटाए गए थे। इसके अलावा कानपुर के कमिश्नर राजशेखर का तबादला किया गया था।
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