Ammu Swaminathan: जानिए अम्मूकुट्टी स्वामीनाथन के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं के बारे में
Ammu Swaminathan: 1950 में भारत के संविधान को लागू किया गया था। संविधान के निर्माण के लिए 379 सदस्य की एक टीम का गठन किया गया था। इस टीम में मात्र 15 महिलाएं शामिल थीं, जिसमें से एक अम्मू स्वामीनाथन भी थी। उनका पूरा नाम अम्मूकुट्टी स्वामीनाथन था। आइए जानते हैं कि अम्मूकुट्टी स्वामीनाथन कौन थीं और उन्हें संविधान सभा का सदस्य क्यों और कब बनाया गया।
भारत को 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली। आजाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाना था। एक ऐसा लोकतांत्रिक राष्ट्र जो किसी राजा-महाराजा और नवाबों द्वारा नहीं, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के जरिए कानून के तरीके से कार्य कर सके। जहां कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका निष्पक्ष रूप से कार्य करें। इसके लिए भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। ताकि देश के लोगो को फिर किसी राजा ,महाराजा के सामने सर ना झुकाना पड़े। बल्कि सभी लोग देश में स्वतंत्र और शांति से रह सके।
अम्मू स्वामीनाथन का जीवन परिचय
अम्मूकुट्टी जी का जन्म 1894 में केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता जी पंडित गोविंदा मेनन की मृत्यु हो गई थी। इसलिए वह अपनी मां के मायके में ही पली-बढ़ी थी। 13 भाई- बहनों में सबसे छोटी होने के कारण वह सबकी लाडली हुआ करती थी। अम्मू कभी स्कूल नहीं गई. क्योकि उस समय स्कूल दूर था और सिर्फ लड़को को ही घर से बहार जाकर पड़ने की अनुमति थी तो उन्होंने घर पर ही अल्पविकसित शिक्षा प्राप्त की, जिसमें मलयालम में न्यूनतम पढ़ना, लिखना और खाना बनाना शामिल था साथ ही विवाहित जीवन के लिए तैयार करना शामिल था।
बाद में उनकी शादी 13 साल में प्रसिद्ध वकील स्वामीनाथन के साथ हुई। जिन्हे वह बचपन से जानती थी। स्वामीनाथन उनसे उम्र में काफ़ी बड़े थे। अम्मू ने स्वामीनाथन के समक्ष शादी से पहले कुछ शर्तें रखीं, जैसे वह शहर में रहेंगी और उन से आने-जाने को लेकर कभी कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा, क्योंकि उनके घर में भाइयों से भी कोई सवाल नहीं करता था। स्वामीनाथन ने उनकी सारी शर्तों को मानते हुए अम्मू से शादी कर ली। और यही से अम्मू का जीवन बदल गया।
स्वामीनाथन शादी के बाद उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत प्रोत्शाहित करते थे।स्वामीनाथन ने घर पर उनके लिए ट्यूटर लगाया, ताकि वह पढ़ सकें और अंग्रेजी बोलना सीखें। अम्मूकुट्टी ने मन लगा कर पढ़ाई करी। स्वामीनाथन की प्रेरणा से अम्मूकुट्टी आगे चलकर आजादी आंदोलन में सक्रिय हुईं और 1934 में तमिलनाडु कांग्रेस का बड़ा चेहरा बनकर उभरी। साथ ही उन्होंने देश के लिए कई बड़े आंदोलनो में भी हिंसा लिया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अम्मू महात्मा गांधी की अनुयायी बन गई ।
संविधान निर्माण में अम्मू स्वामीनाथन की भूमिका
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में अम्मू स्वामीनाथन को भारत की संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया। संविधान पारित करते समय उनका भाषण काफी सुर्खियों में रहा। जहां उन्होंने कहा था “बाहर के लोग कह रहे हैं कि भारत ने अपनी महिलाओं को बराबर अधिकार नहीं दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि जब भारतीय लोग स्वयं अपने संविधान को तैयार करते हैं तो उन्होंने देश के हर दूसरे नागरिक के बराबर महिलाओं को अधिकार दिए हैं।”
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आगे चलकर 1952 में उन्हें मद्रास (तमिलनाडु) राज्य की डिंडीगुल संसदीय सीट से सांसद चुना गया। 1934 में उन्हें तमिलनाडु में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा बनाया गया था। भारतीय संविधान को बनाने में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने प्रमुख भूमिका अदा की थी।आज उन्हें ही संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है। अम्मूकुट्टी स्वामीनाथन ने भी भीमराव आंबेडकर के साथ मिलकर संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाईं थी।
उन्होंने संविधान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने की बात रखी थी। 1952 में तमिलनाडु के डिंडिगुल लोकसभा से चुनाव जीतकर अम्मूकुट्टी संसद में पहुंचीं थी।
अपनी शादीशुदा जिंदगी में अम्मू स्वामीनाथन को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि वह एक छोटे जाति से थी और उनके पति ऊंची जाति के ब्राह्मण से, जिसकी वजह से उन्हें उनके पति के पैतृक घर में भी जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। अम्मू ने बचपन से ही गलत के खिलाफ आवाज उठाना सीख लिया था। अपनी बात को बड़ी ही मुखरता से कहना सीखा था। अम्मूकुट्टी स्वामीनाथन के चार बच्चे थे दो बेटे और दो बेटियां। उन्होंने अपने सभी बच्चों को समान शिक्षा और बाकि सभी समान अवसर प्रदान किया थे।
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