Electronic Goods – बीएसई सेंसेक्स 1,578 अंक उछला, निफ्टी को 500 अंक का लाभ
Electronic Goods: स्थानीय शेयर बाजार में पिछले दिनों लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में जोरदार तेजी आई और बीएसई सेंसेक्स 1,578 अंक उछल गया, जबकि निफ्टी 500 अंक के लाभ में रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कुछ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर शुल्क में छूट दिये जाने और वाहनों पर समीक्षा के संकेत के बाद वैश्विक बाजारों में तेजी के बीच स्थानीय बाजार भी बढ़त के साथ बंद हुए। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,577.63 यानी 2.10 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,734.89 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 1,750.37 अंक तक चढ़ गया था।
सभी खंडवार सूचकांक लाभ में रहे
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 500 अंक यानी 2.19 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,328.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, एक समय यह 539।8 अंक तक चढ़ गया था। ट्रंप के दो अप्रैल को जवाबी शुल्क की घोषणा के बाद बाजार में जो गिरावट आई थी, दोनों सूचकांक उससे उबर गये हैं। बीएसई के सभी खंडवार सूचकांक लाभ में रहे। बीएसई रियल्टी, वाहन, पूंजीगत सामान और औद्योगिक खंडों में पांच प्रतिशत तक की तेजी रही। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह वाहन उद्योग को शुल्क से अस्थायी तौर पर छूट दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को शुल्क से छूट दे सकते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का व्यापक विश्लेषण
नीति आयोग ने ‘इलेक्ट्रॉनिक्स: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को नई शक्ति दे रहा है’ शीर्षक वाली रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का व्यापक विश्लेषण किया गया है, और इसकी क्षमता एवं चुनौतियों पर विशेष जोर दिया गया है। इस रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स के एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत के उभरने के लिए आवश्यक विशिष्ट उपायों की भी रूपरेखा बताई गई है। आधुनिक विनिर्माण में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (जीवीसी) अत्यंत आवश्यक हैं जिसमें डिजाइन, उत्पादन, विपणन, और वितरण में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना शामिल है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (जीवीसी) 70% अंतरराष्ट्रीय व्यापार का प्रतिनिधित्व करती हैं, इसलिए ये विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल, रसायन, और फार्मास्यूटिकल्स में अपनी भागीदारी बढ़ाने की भारत की तात्कालिक आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिसका 75% निर्यात दरअसल ‘जीवीसी’ से होता है।
स्मार्टफोन आयात पर निर्भरता कम
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है जो वित्त वर्ष 2023 में 155 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को छू गया। इसका उत्पादन वित्त वर्ष 2017 के 48 अरब अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2023 में 101 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो मुख्य रूप से मोबाइल फोन की बदौलत संभव हुआ है, और जिसकी हिस्सेदारी कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में अब 43% है। भारत ने स्मार्टफोन आयात पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है, जिसका 99% विनिर्माण अब देश में ही हो रहा है। मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल, बेहतर अवसंरचना एवं कारोबार करने में आसानी के साथ-साथ विभिन्न प्रोत्साहनों ने देश में विनिर्माण को काफी हद तक बढ़ाया है और विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। इनमें हासिल प्रगति के बावजूद भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार अब तक अपेक्षाकृत बेहद सामान्य ही बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी वैश्विक बाजार में केवल 4% है, और जिसने डिजाइन एवं विभिन्न कलपुर्जों के निर्माण में अपनी सीमित क्षमता के साथ अब तक मुख्य रूप से असेंबली पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया है।
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2030 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य
हालांकि, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को देखते हुए इसके प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्रों के लिए अधिक महत्वाकांक्षी नजरिया अपनाना आवश्यक है। अनुकूल कारोबारी माहौल और दमदार नीतिगत सहायता, जिसमें राजकोषीय प्रोत्साहन और गैर-राजकोषीय उपाय शामिल हैं, को देखते हुए भारत को वित्त वर्ष 2030 तक कुल मूल्य के हिसाब से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 500 अरब अमेरिकी डॉलर हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य में 350 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के तैयार माल का विनिर्माण और 150 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के कलपुर्जों का विनिर्माण शामिल है। इस तरह की जोरदार वृद्धि से अनुमानित 5.5 मिलियन से लेकर 6 मिलियन लोगों के लिए रोजगार सृजित होने का अनुमान है, जिससे देश भर में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 240 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है और देश में मूल्य वर्धन बढ़कर 35% से अधिक हो जाने की उम्मीद है।