Mangal Grah: क्यूरियोसिटी रोवर ने कैद की तस्वीरें, दुनिया दंग
Mangal Grah: क्या आपको पता है, पृथ्वी के समान मंगल ग्रह पर सुबह और शाम होती है. मंगल का एक दिन 24 घंटे से थोड़े ज़्यादा का होता है. मंगल सूरज की एक परिक्रमा धरती के 687 दिन में करता है. यानी मंगल का एक साल धरती के 23 महीने के बराबर होगा. वहीं मंगल की शाम बड़ी सुहानी होती है, यहां शाम होती ही आसमान पर तारे चमकने लगते हैं. मंगल के आसमान पर तारों का नजारा देखते ही बनता है. हाल ही में क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह की शानदार तस्वीरें कैद की हैं, जिन्हें देखकर सारी दुनिया आश्चर्यचकित है.
12 घंटे की फुटेज ने मचाया तहलका
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का क्यूरियोसिटी रोवर कई वर्षों से मंगल ग्रह पर विज्ञान मिशन पूरा कर रहा है। हाल ही में, इस रोवर ने सुबह से शाम तक मंगल ग्रह की 12 घंटे की फुटेज कैप्चर की और नासा ने इस वीडियो को 18 सेकंड के टाइम-लैप्स वीडियो के रूप में साझा किया है। रोवर ने हेज़कैम का उपयोग करके अपनी ही छाया कैद की। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे मंगल ग्रह पर दिन होता है और फिर शाम होते ही आसमान में तारे चमकने लगते हैं.
मंगल ग्रह पर 4,002वां मंगल दिवस था
नासा के मुताबिक, वीडियो 8 नवंबर का है। क्यूरियोसिटी रोवर के लिए यह मंगल ग्रह पर 4,002वां मंगल दिवस था। याद रखें कि मंगल पर एक दिन पृथ्वी के 24 घंटों से थोड़ा अधिक लंबा होता है। यूट्यूब पर साझा किए गए वीडियो क्लिप के कैप्शन में कहा गया है कि क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह की 12 घंटे की तस्वीरें लेने के लिए अपने आगे और पीछे लगे काले और सफेद हेजकैम का इस्तेमाल किया। फ्रंट हेज कैम से ली गई फुटेज में ग्रह की सतह पर रोवर की छाया दिखाई दे रही है। क्यूरियोसिटी रोवर का एक नया वीडियो दिखाता है कि यह मंगल ग्रह पर कितना सक्रिय है।
2012 में मंगल ग्रह पर उतरा था
क्यूरियोसिटी रोवर 2012 में मंगल ग्रह पर उतरा था और अब तक बहुत सारी जानकारी एकत्र कर चुका है। रोवर द्वारा देखी गई मिट्टी की दरार के पैटर्न का विश्लेषण करने के बाद, वैज्ञानिकों ने पिछले साल निष्कर्ष निकाला कि मंगल पर कभी पानी था, जो वाष्पित हो गया। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि किसी समय मंगल शुष्क और गीले मौसम चक्र वाला ग्रह रहा होगा, यानी यह रहने योग्य था। नासा ने मंगल ग्रह के लिए यहां तक अनुमान लगाया है कि मंगल ग्रह पर कभी महासागर रहा होगा।
जानवरों के कंकाल अवशेषों की तरह पत्थरों की बनावट
इसके पहले भी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने तस्वीरें भेजी हैं. इन तस्वीरों में मंगल के पत्थरों की अंदरूनी बनावट को दिखाया गया है। ये बनावट पूर्व ऐतिहासिक काल के जानवरों के कंकाल अवशेषों की तरह दिखते हैं। क्यूरियोसिटी रोवर की इन तस्वीरों में चट्टान जैसी संरचना से बाहर निकली हुई स्पाइक्स का एक गुच्छा भी दिखाई दे रहा है। ये तस्वीरें मंगल ग्रह पर 154 किलोमीटर लंबे गेल क्रेटर के सतह पर ली गई थीं। इन तस्वीरों को कैद करने के लिए क्यूरियोसिटी रोवर ने मास्ट कैमरा और केमकैम का उपयोग किया था। अब इन तस्वीरों ने मंगल पर प्राचीन जीवन की उपस्थिति को लेकर एक बहस छेड़ दी है। नासा के मार्स साइंस लेबोरेटरी (MSL) मिशन के हिस्से के रूप में क्यूरियोसिटी रोवर अगस्त 2012 से गेल क्रेटर में घूम रहा है।
देवदार पेड़ या मछली का अवशेष
इन तस्वीरों को देखने वाले कुछ लोगों का मानना है कि यह एक मछली का अवशेष है। जबकि, कई अन्य का मानना है कि यह एक देवदार के पेड़ की शाखा जैसा दिखता है। हालांकि, एक बात सुनिश्चित है, जो सभी लोग मान रहे हैं कि ये तस्वीरें अविश्वसनीय हैं। गेल क्रेटर के कुछ पत्थरों में हड्डी जैसी संरचना भी पाई गई है। गेल क्रेटर की खोज से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मंगल ग्रह पर कभी पानी के बड़े-बड़े तालाब थे। यह भी संभावना है कि इसकी सतह के नीचे आज भी कुछ पानी छिपा हो सकता है। गेल क्रेटर मंगल ग्रह पर मौजूद सबसे बड़ी झीलों में से एक है। इसकी उत्पत्ति 3.5 से लेकर 3.8 अरब साल पहले की बताई जा रही है। गेल क्रेटर जो कभी झील हुआ करती थी, वो अब 154 किलोमीटर चौड़ा एक गड्ढा है।
पर्यावरण और भूविज्ञान का अध्ययन
क्यूरियोसिटी रोवर के मिशन के उद्देश्यों में मंगल ग्रह के पर्यावरण और भूविज्ञान का अध्ययन करने के साथ-साथ जीवन की उपस्थिति के सबूत खोजना भी है। यह रोवर लगातार मंगल की सतह से अजीबोगरीब चीजों की तस्वीरें भेज रहा है। बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें यह विश्वास है कि मंगल पर कभी जीवन हुआ करता था, हालांकि वर्तमान में उनके चुनिंदा सबूत ही मौजूद हैं।