Adani Harbour Services : कतर की कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम पर हस्ताक्षर
Adani Harbour Services – कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी के भारत आगमन से कुछ दिन पहले अदाणी समूह और कतर की एक कंपनी ने एक संयुक्त उपक्रम पर हस्ताक्षर किए थे। इससे गौतम अदाणी की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री परिचालन में उपस्थिति बढ़ गई। यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है, जब श्रीलंका और बांग्लादेश सहित दक्षिण एशिया के कुछ देशों कंपनी पिछले कुछ समय से दिक्कतों का समाना कर रही है। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड की सहायक कंपनी अदाणी हार्बर सर्विसेज ने कतर में सी होराइजन ऑफशोर मरीन सर्विसेज और एक उद्यमी जमाल ए रब एएम अल याफ़ी के साथ एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी की स्थापना की है।
अल अन्नाबी मरीन सर्विसेज नाम रखा
इस संयुक्त उपक्रम का नाम अल अन्नाबी मरीन सर्विसेज रखा गया, जिसे अमीर की भारत यात्रा से पहले पंजीकृत किया गया था। यह कंपनी जहाजों के संचालन और प्रबंधन का कार्य करेगी। इसमें अदाणी हार्बर सर्विसेज की 49% हिस्सेदारी है। 13 फरवरी को जब कंपनी ने इस संयुक्त उपक्रम की जानकारी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी तो अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड (एपीएसईजेड) के शेयरों में थोड़ी वृद्धि देखी गई। यानी कहा जा सकता है कि अमीर के भारत आने से पहले ही अदाणी अमीर हो गए थे। इस संयुक्त उपक्रम से खाड़ी क्षेत्र में अदाणी के पहले से मौजूद समुद्री साम्राज्य को और मजबूती मिलेगी। अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड दुबई में एस्ट्रो ऑफशोर नामक एक ऑफशोर सपोर्ट वेसल कंपनी में बहुसंख्यक हिस्सेदारी के माध्यम से पहले से मौजूद है। पश्चिम एशिया के भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अदाणी पोर्ट्स इज़राइल में भी मौजूद है, जहां यह गडोट ग्रुप के साथ मिलकर हाइफ़ा पोर्ट का संचालन करता है। अल अन्नाबी के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कतर स्थित प्रमोटर सी होराइजन की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी समुद्री सेवाएं प्रदान करेगी। जिनमें ऑफशोर परियोजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए बार्ज, टोइंग सेवाएं और अन्य समुद्री सेवाएं शामिल हैं।
यह सौदा एक पैटर्न को दर्शाता
जब अमीर 17 फरवरी की शाम भारत पहुंचे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। मोदी ने उन्हें एयरक्राफ्ट की सीढ़ियों के नीचे रेड कार्पेट पर रिसीव किया और मोदी ने अपनी विशिष्ट शैली में अमीर को गले लगाया। यह असामान्य है कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री किसी राष्ट्राध्यक्ष को एयरपोर्ट पर रिसीव करे। मोदी ने इससे पहले केवल चार और नेताओं के लिए ऐसा किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप, जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इसे एक विशेष मित्र के लिए विशेष भाव करार दिया। अमीर की यात्रा से पहले अदाणी का यह सौदा एक पैटर्न को दर्शाता है। बांग्लादेश से ग्रीस, श्रीलंका से इजराइल तक प्रधानमंत्री मोदी जहां-जहां द्विपक्षीय यात्रा पर गए हैं, अदाणी उनके पीछे-पीछे व्यापारिक सौदों में शामिल रहे हैं। हाल ही में यह भी सामने आया कि सरकार ने सीमा सुरक्षा नियमों में छूट दी है, ताकि अदाणी गुजरात में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक सौर ऊर्जा परियोजना विकसित कर सकें।
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आठ पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी के कारण चर्चा
अमीर की भारत यात्रा से पहले भारत में उनका नाम भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी के कारण चर्चा में था। अगस्त 2022 के अंत से फरवरी 2024 के मध्य तक ये अधिकारी कतर में हिरासत में रहे, लेकिन दोनों सरकारों ने कभी सार्वजनिक रूप से आरोपों का खुलासा नहीं किया। फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री मोदी की कतर यात्रा से पहले सात अधिकारियों को माफी देकर रिहा किया गया, जबकि एक अधिकारी कमोडोर पूर्णेंदु तिवारी अभी भी कतर में कैद हैं। जब ये अधिकारी जेल में थे, उस दौरान अगस्त 2023 में कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ने अदाणी ग्रीन एनर्जी में 4,300 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह निवेश हिडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट के कुछ महीनों बाद हुआ था, जिससे कतर को शेयर की कीमत बढ़ने का लाभ मिला।
कतर का बढ़ता भू-राजनीतिक प्रभाव
– 8 लाख भारतीय रहते हैं कतर में
– 2022 में कतरन ने बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादास्पद बयान पर आपत्ति की थी
– 2015 के बाद भारत की दूसरी यात्रा है अमीर की
– 2022 के फुटबॉल विश्वकप ने बढ़ाया है कतर का प्रोपाइल
– 15 अरब डॉलर का है भारत-कतर द्विपक्षीय व्यापार