Krishna Yadav, Shri Krishna Pickles – 500 उधार लिये और बना दिया 500 करोड़
Krishna Yadav, Shri Krishna Pickles: दिल्ली की रहने वाली कृष्णा यादव ने एक छोटे से कमरे से अपने कारोबार की शुरुआत की थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर बड़ी सफलता हासिल की है। कृष्णा यादव को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 2015 में नारी शक्ति सम्मान के लिए चुना गया था। उन्होंने एक छोटे से कमरे में अचार बनाना का काम शुरू किया था और आज 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। आज उनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है।
बुलंदशहर की रहने वाली हैं
कृष्णा यादव मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर की रहने वाली हैं। साल 1995-96 उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और उनके बेरोजगार पति गोवर्धन यादव मानसिक परेशानी के गुजर रहे थे। कृष्णा यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव दौलतपुर में हुआ था। उन्हें कभी स्कूल जाने का मौका नहीं मिला। शादी के बाद वे अपने पति के साथ बुलंदशहर में रहने लगीं, जहां उनके पति ट्रैफिक पुलिस में कार्यरत थे। लेकिन जब उनके पति की नौकरी चली गई और व्यवसाय में भारी नुकसान हुआ, तो परिवार को अपनी दो संपत्तियां बेचनी पड़ीं। हालात इतने खराब हो गए थे कि रोज़मर्रा का खाना जुटाना भी मुश्किल हो गया। परिवार को कई बार सिर्फ रोटी और नमक खाकर दिन गुजारने पड़े।
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खेत की सब्जी से अचार बनाया
कृष्णा यादव की दृढ़ता और साहस ही था कि जिसने उनके परिवार को इस कठिन दौर से उबरने की ताकत दी। उन्होंने अपने एक मित्र से 500 रुपये उधार लिए और परिवार के साथ दिल्ली आने का फैसला किया। दिल्ली में उन्हें जब कोई काम नहीं मिला तो उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन बटाई पर लेकर पर सब्जी उगानी शुरू की। कृष्णा ने अपने खेत की सब्जी से शुरू में अचार बनाने का काम शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने शुरुआत में सिर्फ तीन हजार रुपये का निवेश किया था। इससे कृष्णा ने सौ किलो करौंदे का और 5 किलो मिर्च का अचार तैयार किया था। इसे बेच कर उन्हें शुरुआत में 5 हजार रुपये से ज्यादा मुनाफा हुआ था। इसके बाद कृष्णा ने अपने इसी कारोबार को बढ़ाने का फैसला किया।
छोटे से कमरे में बिजनेस की शुरुआत
हालातों से लड़ते हुए कृष्णा ने 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में तीन महीने की फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग ली। इसके बाद उन्होंने 3000 रुपये की लागत से अपने खेत में उपजी मिर्च और करौंदे से अचार बनाना शुरू किया। पहले प्रयास में उन्होंने 5250 रुपये का मुनाफा कमाया। इस छोटे से कदम ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ा दिया और उन्होंने धीरे-धीरे अपने बिजनेस को बढ़ाना शुरू किया। कुछ सालों में ही उन्होंने अपनी कंपनी “श्री कृष्णा पिकल्स” की स्थापना की, जो आज 5 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। उनकी कंपनी की चार यूनिट हैं, जिनमें से दो दिल्ली और दो हरियाणा में स्थित हैं, जहां 152 तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं।
‘श्री कृष्णा पिकल्स’ नाम की कंपनी बना ली
कृष्णा ने देखा कि वह जब अचार दूसरों के मार्फत बेचती हैं तो मुनाफे का बड़ा हिस्सा वह ले लेता है। इसलिए उन्होंने अपने अचार की मार्केटिंग खुद करने का फेसला किया। वह सड़क पर खुद अचार बेचने लगीं और इसकी मार्केटिंग भी करने लगीं। आज कृष्णा यादव का कारोबार फैल चुका है। उन्होंने ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ नाम की एक कंपनी भी बना ली है, जिसकी मालकिन वही हैं। कुछ समय पहले तक उनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका था। यह भी अजूबा ही है कि कृष्णा यादव खुद कभी स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन आज उन्हें दिल्ली के स्कूलों में खास तौर पर बच्चों को लेक्चर देने के लिए बुलाया जाता है।
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अवॉर्ड्स और पहचान
कृष्णा यादव की मेहनत और सफलता ने उन्हें समाज में एक आदर्श महिला उद्यमी के रूप में स्थापित किया है। आज उन्हें विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
– 2014 में हरियाणा सरकार ने उन्हें “इनवेटिव आइडिया पहली चैंपियन किसान महिला अवार्ड” से सम्मानित किया।
– 2013 में वाइब्रेंट गुजरात इवेंट में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया।
– 2016 में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने उन्हें “नारी शक्ति सम्मान 2015” से भी नवाजा। कृष्णा यादव की यह प्रेरणादायक कहानी साबित करती है कि अगर आपके पास मजबूत इच्छा शक्ति और मेहनत करने का जज्बा हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।