Career Choice: सलाह और सुझावों पर गौर करें, फिर आगे बढ़ें
Career Choice: आखिर एक कामयाब करियर चुनने का कामयाब तरीका क्या हो? लोग कई रास्ते सुझाते हैं। कोई कहता है मम्मी-पापा पर भरोसा रखो तो कोई कहता है वे आप से 20 साल पहले के हैं। इनकी सोच और समझ 20 साल पुरानी हो चुकी है। इसलिए किसी काम की नहीं। बेहतर है अपना करियर खुद चुनें। ये दोनों बातें सही हैं और दोनों ही बातें गलत भी हैं क्योंकि करियर चुनना कभी भी पूरी तरह से श्याम-श्वेत मसला नहीं होता।
इसमें कई तरह की जटिलताओं के साथ कुछ त्वरित समझदारियों की भी जरूरत पड़ती है। इसलिए सच बात यही है कि जब भी अपने करियर के बारे में सोचें, उसमें किसी और से ज्यादा अपनी बात सुनें, और हां, अगर आपके अंदर कोई बात ही न हो तो क्या करें? अपनी आंख, कान और दिमाग को खुला और सक्रिय रखें। साथ ही दूसरों की सलाह पर गौर करें, खासकर मम्मी-पापा की क्योंकि जरूरी नहीं है कि वे आउटडेटिड ही हों। दरअसल करियर का चुनाव भले एक मामूली सा मामला दिखता हो लेकिन यह बहुत जटिल होता है। इसलिए अगर कई तरह की सलाहों से कुछ सकारात्मक ले लें तो यह फायदेमंद होगा। क्यों? आइये समझते हैं।
गलतियां दोहराने से बचें
उनके पास विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं। उन्होंने अपनी कई गलतियों से कई जरूरी सबक सीखे होते हैं। अगर आप उनकी सलाह मानते हैं तो कई गलतियां दोहराने से बच सकते हैं। अक्सर लोग लकीर के फकीर की तरह सोचते हैं कि पुरानी पीढ़ी, नई पीढ़ी से पिछड़ी ही होगी। यह जरूरी नहीं है। कई बार पुरानी पीढ़ी की जानकारियां नई पीढ़ी से भी ज्यादा उपयोगी होती हैं। हालांकि यह भी सच है कि कई बार पुरानी पीढ़ी के लोग नई सोच, नई समझ पर जरा भी भरोसा नहीं करते। यहां तक कि ऐसा करने के बारे में सोचते तक नहीं है। इससे नुकसान होता है क्योंकि यह उनकी सीमा होती है जिसे वह कई बार अपने बच्चों की सीमा बना देते हैं।
आंख मूंदकर न मानें सलाह
इसलिए मां-बाप की सलाह को करियर के मामले में तभी आंख मूंदकर मानें जब आपको भरोसा हो कि वह आपके लिए काम की है। अगर आपको जरा भी संदेह हो तो उस पर निर्भर रहने की बजाय उसे खारिज कर दें। मसलन आपके मम्मी-पापा के दौर में आर्टिफिशियल इंटलेजेंस एक ठोस करियर क्षेत्र नहीं था। इसलिए हो सकता है, वे कभी इसकी बात ही न करें। वजह यही है कि वे इसके बारे में जानते ही नहीं लेकिन आप न सिर्फ एआई के बारे में जानते हैं बल्कि यह भी मानते हैं कि भविष्य का वह ठोस करियर है। इसलिए इस मामले में उनकी न तो सलाह लें और अगर कुछ कहें तो भी विनम्रता से उसे सुनने से मना कर दें।
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समूह के तौर पर सोचते हैं विशेषज्ञ
इसमें कोई दो राय नहीं कि करियर सलाहकारों को बाकी किसी भी शख्स से ज्यादा वर्तमान के करियर के बारे में पता होता है लेकिन कई बार ये विशेषज्ञ भी आप पर इंडिविजुअल फोकस नहीं करते बल्कि समूह के तौर पर सोचते हैं। आजकल इस तरह की भी गड़बड़ी देखी गई है कि कई करियर एक्सपर्ट कुछ खास इंस्टीट्यूट से खास किस्म के कोर्स करने के लिए आपको इन्फ्लूएंस करते रहते हैं। हो सकता है, वाकई उस क्षेत्र में करियर की शानदार संभावनाएं हों और वह इंस्टीट्यूट इसके लिए उपयोगी भी हो।
ऐसा भी हो सकता है कि उस इंस्टीट्यूट में उस विशेषज्ञ महोदय को कोई विशेष लालच दिया गया हो जिसकी वजह से वह आपको अतिरिक्त रूप से उस क्षेत्र और उस इंस्टीट्यूट विशेष के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसलिए हमेशा 100 फीसदी करियर एक्सपर्ट की सलाह पर भी आंख मूंदकर नहीं चलना चाहिए क्योंकि आप से बेहतर आपके बारे में कोई और नहीं जानता।
कुछ कोर्स कभी फीके नहीं पड़ते
जैसे सरकारी विश्वविद्यालय अपना प्रचार नहीं करते। जैसे कई पारंपरिक मगर ठोस नौकरियां नये सिरे से अपने महत्व को प्रदर्शित करने वाले विज्ञापनों से दूर रहती हैं लेकिन इससे इनका महत्व कम नहीं हो जाता। डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्ट ये ऐसे क्षेत्र हैं जो कभी भी फीके नहीं पड़ेगे। इसलिए जरूरी नहीं है कि महज आधुनिक दिखने और कुछ नया दिखाने के लिए ही ऐसे क्षेत्र को करियर बनाया जाए जो रेगुलर न हो। रेगुलर करियर भी आखिरकार अपनी महत्वपूर्ण जगह रखते हैं। इसलिए अगर आप पारंपरिक करियर की तरफ झुकाव रखते हैं तो महज इसलिए गैर पारंपरिक करियर की तरफ मत जाइये कि लोग आपको आधुनिक और इनोवेटिव मानें।
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