Exchange-Traded Fund – 3-इन-1 अकाउंट खोलने का भी विकल्प
Exchange-Traded Fund: एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध म्यूचुअल फंड होते हैं। एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ शेयर बाजार में लिस्ट और ट्रेड होने वाले फंड हैं। न्यू फंड ऑफर यानी एनएफओ की अवधि के दौरान फंड हाउस से खरीदने के लिए ये उपलब्ध होते हैं। एनएफओ के बाद फंड की यूनिटें शेयर बाजार पर लिस्ट होती हैं। फिर इन्हें वहां से खरीदा और बेचा जा सकता है। इनकी खरीद-फरोख्त भी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध शेयरों की भांति ही की जाती हैं। इंडेक्स ईटीएफ को संस्थागत निवेशकों द्वारा एक इंडेक्स टोकरी में शेयरों की स्वैपिंग करके तैयार किया जाता है। ईटीएफ केवल एक सूचकांक की प्रतिलिपि बनाता है और इसके प्रदर्शन को सही रूप से प्रतिबिंबित करने की कोशिश करता है।
इसमें बाज़ार के समय के दौरान वास्तविक समय के आधार पर मौजूदा बाज़ार मूल्यों पर इन्हें खरीदा भी जा सकता है और बेच भी जा सकता है। इसके अंतर्गत मूल रूप से केवल बाज़ार पर नज़र रखी जाती थी, परंतु हाल के वर्षों से इनके द्वारा विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों को भी ट्रैक करने का काम किया जा रहा है। आजकल बहुत से लोकप्रिय ईटीएफ द्वारा कस्टम-निर्मित इंडेक्सों को भी ट्रैक किया जाता है। इसकी प्रभावशीलता को रिटर्न के अलावा, ट्रैकिंग में होने वाली त्रुटि के माध्यम से भी मापा जाता है। ट्रैकिंग में होने वाली त्रुटि के तहत इस बात पर भी ज़ोर दिया जाता है कि ई.टी.एफ. द्वारा चुने हुए सूचकांक को कितनी बारीकी से ट्रैक किया गया है।
मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं
इंडेक्स फंडों की तरह ईटीएफ अमूमन किसी खास मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। इनका प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा होता है। यह इंडेक्स निफ्टी ईटीएफ जैसा शेयर मार्केट इंडेक्स हो सकता है या गोल्ड ईटीएफ जैसा कमोडिटी इंडेक्स या बॉन्ड ईटीएफ के तौर पर बॉन्ड मार्केट। एसेट मैनेजमेंट कंपनी ईटीएफ लॉन्च करती हैं। इन्हें किसी अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम की तरह ही पेश किया जाता है। ईटीएफ में निवेश के लिए डीमैट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। कोई व्यक्ति 3-इन-1 अकाउंट खोलने का भी विकल्प चुन सकता है। इसमें बैंक अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की सुविधा मिलती है। इस तरह आप ज्यादा कुशलता के साथ एक ही जगह अपने निवेश को मैनेज कर पाते हैं। इस अकाउंट को खोलने के लिए एक फॉर्म भरना पड़ता है। साथ ही केवाईसी दस्तावेज भी जमा करने पड़ते हैं।
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इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर
कारोबारी घंटों के दौरान ईटीएफ की मनचाही यूनिटें खरीदकर निवेश किया जा सकता है। निवेशक अपने ब्रोकर को निवेश का इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं या ब्रोकर की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर निवेश कर सकते हैं। जिस तरह दूध के दाम बढ़ जाने से पनीर और घी महंगे हो जाते हैं। ठीक वैसे ही ईटीएफ में भी इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर होता है। यानी ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।
लेनदेन के समय दामों का पता
ईटीएफ के पोर्टफोलियो में तमाम तरह की प्रतिभूतियां होती हैं। इनका रिटर्न इंडेक्स जैसा होता है। ईटीएफ की पेशकश पहले एनएफओ के रूप में होती है। फिर ये शेयर बाजार में लिस्ट होते हैं। एनएफओ किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नई स्कीम होती है। इसके जरिये कोई म्यूचुअल फंड कंपनी शेयरों, सरकारी बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने के लिए निवेशकों से पैसे जुटाती है। ट्रेडिंग पोर्टल या स्टॉक ब्रोकर के जरिये शेयर बाजार पर ईटीएफ की खरीद-फरोख्त होती है। ईटीएफ के मूल्य वास्तविक समय में पता चल जाते हैं। यानी लेनदेन के समय ही इनके दामों का भी पता लग जाता है। जबकि म्यूचुअल फंडों के एनएवी के साथ यह नहीं होता है। एनएवी का कैलकुलेशन दिन के अंत में होता है। ईटीएफ पैसिव तरीके से मैनेज किए जाने वाले फंड हैं। लिहाजा, इनमें फंड मैनेजमेंट फीस एक्टिव मैनेज्ड म्यूचुअल फंड स्कीम की तुलना में कम होती है। दिन में खरीदे गए ईटीएफ के मूल्य और दिन के समाप्त होने पर ईटीएफ की एनएवी में अंतर हो सकता है। इसका कैलकुलेशन ईटीएफ में शामिल प्रतिभूतियों के बंद भाव के आधार पर होता है।
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एक्सपेंस रेशियो 0.5 से 1% के बीच
शेयरों की तरह ईटीएफ की खरीद-फरोख्त होने से कीमतों पर नजर रखी जा सकती है। ईटीएफ हर रोज निवेश की जानकारी देते हैं, जिससे इसमें निवेश ज्यादा पारदर्शी होता है। ईटीएफ को आसानी से बेचा जा सकता है। ईटीएफ में निवेश करके अलग-अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है। ईटीएफ डिविडेंड पर आयकर नहीं लगता है। हर ईटीएफ के लिए फंड मैनेजर होते हैं, जिससे निवेशक को शेयरों की खरीदारी या बिकवाली नहीं करनी पड़ती है। ईटीएफ म्यूचुअल फंड की तुलना में कम खर्च के अनुपात में एक किफायती निवेश करते हैं। ईटीएफ में एक्सपेंस रेशियो भी म्यूचुअल फंड की स्कीमों के मुकाबले कम होता है। इसमें एक्सपेंस रेशियो 0.5 से 1% के बीच होता है। इसमें म्यूचुअल फंड्स स्कीम की तरह आपको एग्जिट लोड भी नहीं देना पड़ता।