Tourism Graph: देश में सबसे ज्यादा भा रहा है हिमाचल
अगर किसी शहर की हवा अक्सर खराब रहती हो यानी साल के ज्यादातर समय उसमें हानिकारक गैसों, विषैले तत्वों आदि की भरमार रहती हो, जिससे वहां के वातावरण में लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने के साथ-साथ कई दूसरी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हों, तो समर्थ लोग आजकल ऐसे शहरों से रहने के लिए बाहर जाने लगे हैं। यह सूचना युग है और लोग अपनी जिंदगी से जुड़ी छोटी-छोटी गतिविधियों के संबंध में भी जरूरी सूचनाएं गूगल करके जान लेते हैं।
यही वजह है कि अब लोग ऐसी जगहों में सैर-सपाटे के लिए जाने से कतराते हैं जहां की हवा साफ न हो। आजकल पर्यटक घूमने जाने के पहले पर्यटन स्थलों का जायजा लेने से नहीं कतराते। इसलिए वे उन जगहों पर जाने से बचते हैं जहां की वायु गुणवत्ता के पैमाने पर खरी न उतरती हो। फिर चाहे ये कितने ही बड़े, महत्वपूर्ण और खूबियों से भरे शहर ही क्यों न हों? दूसरी तरफ ऐसी जगहों और शहरों में पर्यटकों की रुचि अब बढ़ी है जहां की हवा साफ और सेहतमंद है,
भले ये कितने ही दूरदराज वाले इलाके हों। हिमाचल प्रदेश के सुदूर गांवों और उत्तर-पूर्व के छोटे मगर महंगे शहरों में हाल के सालों में इसीलिए पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है क्योंकि यहां की हवा देश के दूसरे शहरों और इलाकों के मुकाबले कहीं ज्यादा शुद्ध और साफ है। सम्पन्न विदेशी पर्यटक ही नहीं आम मध्यवर्गीय देसी पर्यटक भी अब जहां घूमने-फिरने जाता है, जाने से पहले वहां की आबोहवा के बारे में बहुत अच्छी तरह से जान लेता है। पिछले कुछ सालों से हिमाचल प्रदेश में, देश के दूसरे इलाकों के मुकाबले, पर्यटकों की संख्या में सालाना 15 से 20 फीसदी का नियमित इजाफा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह हिमाचल प्रदेश की हवा शुद्ध और साफ है।
पर्यटन फ्रेंडली स्टेट बनकर उभरा हिमाचल
हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर शहर ही नहीं बल्कि गांव भी हाल के सालों में अगर लगातार पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करने में सफल रहे हैं तो इसका कारण यहां की साफ हवा और निर्मल आसमान है। हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके मसलन किन्नौर तथा दूसरे सुदूर गांवों के इलाके पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री हैं। इसीलिए विश्व पर्यटन के नक्शे में भारत का हिमाचल प्रदेश पर्यटन फ्रेंडली स्टेट बनकर उभरा है।
इसके किन्नौर जैसे इलाके तो बिना किसी व्यवस्थित प्रचार के बावजूद पूरी दुनिया में अपनी शुद्ध हवा और साफ आसमान के लिए इन दिनों लोकप्रिय हो गए हैं। कुछ साल पहले किन्नौर जब भारत में चर्चा का विषय बना था तब भी वजह एयर क्वालिटी ही थी। पाया गया था कि हिमाचल के इस खूबसूरत जनजातीय इलाके के वातावरण में पीएम यानी पार्टीकुलेट मैटर का स्तर सालाना 3।7 प्लस माइनस वन प्रति क्यूबिक मीटर था।
दूसरी तरफ दिल्ली के वातावरण में पार्टीकुलेट मैटर का स्तर 148 प्लस माइनस वन प्रति क्यूबिक मीटर था। यह राष्ट्रीय एयर क्वालिटी की स्थिति नहीं बल्कि उसके लक्ष्य से भी 10 फीसदी कम था। यदि हवा साफ हो तो हिंदुस्तान में हर साल करीब 8 लाख लोग असमय मौत के मुंह में न समा जाएं।
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80 फीसदी से भी अधिक इलाके में जंगल
इस स्थिति को देखते हुए हिमाचल प्रदेश और विशेषकर उसका किन्नौर जैसा दूरदराज का साफ इलाका धरती पर स्वर्ग के माफिक है। शायद इसकी वजह पर्यावरण के प्रति चिंतित लोगों का साझा प्रयास है। किन्नौर के 80 फीसदी से भी अधिक इलाके में जंगल हैं और जहां का जनसंख्या घनत्व 13 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर है।
कुछ साल पहले हिमाचल प्रदेश में भी देश के दूसरे हिस्सों की तरह पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण बुरा हाल था। फिर यहां के स्थानीय वन विभाग ने पेड़ लगाने और लगे हुए पेड़ों की देखभाल कर उन्हें बचाने का बीड़ा उठाया, इसके लिए राज्य सरकार ने कई करोड़ रुपये खर्च किये। आज स्थिति यह है कि हिमाचल प्रदेश की ज्यादातर जगहें वायु प्रदूषण से मुक्त हैं।
यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से कई सुविधाओं की कमी होने के बावजूद यह प्रदेश देश के उन गिने-चुने प्रदेशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा देशी विदेशी पर्यटक आते हैं।
चलो भाग चलें दक्षिण की ओर
मिजोरम के आईजोल के बाद तमिलनाडु का कोयंबटूर शहर भी तमाम गतिविधियों के बावजूद साफ और सेहतमंद हवा का मालिक बना हुआ है। इसलिए बड़े पैमाने पर पर्यटक कोयंबटूर भी जाना शुरु किया है। कोयंबटूर की ही तरह आंध्र प्रदेश की मौजूदा राजधानी अमरावती, कर्नाटक का छोटा सा खूबसूरत और सांस्कृतिक शहर दावणगेरे तथा आंध्र प्रदेश का ही विशाखापट्टनम, पर्यटन के नक्शे में ऐसे शहरों में रूप में उभर रहे हैं
जहां की हवा दूसरे शहरों के मुकाबले बहुत अच्छी है। इसलिए पिछले कुछ सालों से यहां पर्यटकों के आने की संख्या में भारी इजाफा देखा जा रहा है। दरअसल अब लोग एंज्वॉय को पागलपन की तरह नहीं लेते बल्कि एंज्वॉय के समय भी सजग रहने की कोशिश करते हैं। इसलिए जब लोग घूमने-फिरने की योजना बनाते हैं तो भले अभी यह चेतना कुछ ही प्रतिशत लोगों में आयी हो लेकिन ये लोग ऐसी जगह जाना चाहते हैं जो इनका मूड चेंज तो करे ही, जब ये लोग यहां से लौटें तो हेल्थ के नजरिये से भी काफी प्रफुल्लित महसूस करें।
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विश्व लिस्ट में सबसे ऊपर नॉर्थ ईस्ट
अगर साफ हवा के कारण बढ़े पर्यटन को समझना हो तो पूर्वोत्तर भारत के शहरों को देखा जा सकता है। पिछले 10 सालों में चाहे वह असम हो या मणिपुर, मेघालय हो या नगालैंड इन सभी छोटे-छोटे प्रांतों ने अपने वातावरण की हवा को जहरीली होने से बचाने के लिए पूरी सजगता के साथ सामने आये हैं।
यही कारण है कि आज नॉर्थ ईस्ट के कई शहर पर्यटकों की विश्व लिस्ट में सबसे ऊपर आ गए हैं। उदाहरण के लिए आईजोल को लें जो मिजोरम की राजधानी है। यह भारत की सबसे शुद्ध और सेहतमंद हवाओं वाली जगहों में गिना जाता है।
इस खूबसूरत शहर में आप कई शानदार म्यूजियम, खावंगलांग वन्यजीव अभ्यारण्य, तामडील झील, वानत्वांग वाटरफॉल्स और डर्टलांग पहाड़ियां व रेइक हेरिटेज गांव में न सिर्फ चारों तरफ बिखरी हरियाली और मन को मोह लेने वाले लैंडस्कैप देख सकते हैं बल्कि इसके वातावरण में जो शुद्ध और साफ हवा है, उसकी भी बहुत कीमत है।
अब आकर्षित नहीं करती दिल्ली
दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक दिल्ली में इस बीच पर्यटकों की संख्या में हिमाचल प्रदेश या देश के दूसरे पर्यटन फ्रेंडली शहरों के मुकाबले बहुत कम बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह भी हवा है। दिल्ली की हवा देश के दूसरे शहरों के मुकाबले ज्यादा जहरीली है।
इसलिए अब बड़े पैमाने पर पर्यटक यहां घूमने-फिरने के लिए आने से कतराने लगे हैं। दिल्ली में दूसरे शहरों के मुकाबले खराब हवा के कारण हर साल मरने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए अपनी विशिष्ट ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बाद भी दिल्ली पर्यटकों को उस तरह आकर्षित नहीं कर पाती जैसे इतनी महत्वपूर्ण स्थिति न होने के बावजूद देश के कई दूसरे शहर करते हैं।
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