Agriculture literacy: तब वास्तव में समृद्ध बनेगा कृषि प्रधान देश
जीवित रहने के लिए मानव जाति के पास ‘अनाज’ से निर्मित भोजन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ये भी सच्चाई है कि अनाज को कारखाने में पैदा नहीं होता है, इसके लिए खेती की जरूरत पड़ती है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अनाज की पैदावार करने वाले किसान और उसकी खेती का भी कोई विकल्प नहीं है। हाल ही में आई कोरोना महामारी ने दुनियाभर की गतिविधियों पर विराम लगा दिया था, लेकिन किसान और उसकी खेती अनवरत चलती रही है। कोरोना से बिना डरे किसान अपनी खेती करने में डटे रहे।
इसलिए किसान और उसकी खेती का महत्व सिद्ध हो जाता है। इसीलिए किसानों को दुनिया का अनमोल खजाना कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसके अलावा किसानों को जागरूक करने के लिए संगोष्ठियां, सेमिनार, वर्कशाप आयोजित करने की भी जरूरत है। आज किसानों को साक्षर होने की जरूरत है, क्योंकि शिक्षा के अभाव में तकनीकों को नहीं सीखा जा सकता जिसके कारण लक्ष्य प्राप्ति मुश्किल हो जाती है। आज के समय में कृषि साक्षरता क्रांति को विस्तृत रूप देना अनिवार्य है।
50% से अधिक की जनसंख्या कृषि पर निर्भर
भारत कृषी प्रधान देश है और 50% से अधिक की जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आजादी के 75 साल होने के बावजूद किसानों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने न तो किसी भी पार्टी की सरकार ने ध्यान दिया और न ही प्रशासन को चलाने वाले नौकरशाहों ने इस गंभीरता दिखाई। इसके विपरीत, मुट्ठीभर उद्योगपतियों और श्रमिक वर्ग को खुश करने के लिए विशेष छूट व रियायतें दी जाती हैं। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के लिए एक के बाद एक वेतन आयोग को लागू दिया जाता है।
किसान इसके विरोध में नहीं हैं, लेकिन यदि सरकार किसानों के लिए ‘भरपूर पानी’, ‘24 घंटे बिजली आपूर्ति’, ‘खेत के लिए अच्छी सड़कें’ ‘बेहतर गुणवत्ता वाले कृषि आदान-इनपुट’ और ‘उत्पादन लागत के आधार पर कृषि उपज का उचित मूल्य’ आदि मांगों पर गंभीरता से विचार कर उसे लागू करे तो कोई भी किसान सरकार से कर्ज माफी या अन्य रियायतों की उम्मीद नहीं करेगा। वह आत्मनिर्भर बनेगा और कृषि प्रधान देश वास्तव में समृद्ध बनेगा।
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केंद्र सरकार ने ‘हर खेत को पानी’ के लक्ष्य के साथ ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ शुरू की है. इसके तहत देश के हर जिले के सभी खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने की योजना है. सरकार का लक्ष्य 30-40 प्रतिशत अतिरिक्त खेतों को स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई तकनीक से सिंचित करने का है। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों, निगमित कंपनियों, उत्पादक किसानों के समूहों और अन्य पात्र संस्थानों के सदस्यों को भी लाभ प्रदान किया जाता है।
जानकारी के अभाव में धोखाधड़ी
देश के किसानों को चाहिये कि वे कृषि पुस्तकों, समाचार पत्र, इंटरनेट, यूट्यूब आदि के माध्यम से उपयोगी जानकारी प्राप्त करें। जानकारी के अभाव में धोखाधड़ी हाने की संभावना बनी रहती है। एक सफल किसान में जानकारी प्राप्त करने की ललक होती है, वह प्रयोग धर्मी होता है और उसमें सीखने की प्रवृत्ति हमेशा होती है। जिस व्यक्ति में सीखने की चाहत होती है, वह हमेशा सीखते रहता है। अतः उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए लगातार ज्ञान प्राप्त करते रहना चाहिए।
राजनीति से दूर रहें
वर्तमान में नफरत, मतभेद, छल-कपट, गुस्सा भुलाकर किसानों को संगठित होने की जरूरत है, जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हमें पद और सम्मान नहीं मिलेगा। एकता में शक्ति होती है, बड़ा बदलाव लाना है तो संगठित रहना जरूरी है। नेताओं द्वारा हमारा उपयोग केवल चुनावों के लिए किया जाता है, इससे किसी को भला होने वाला नहीं है, न ही कभी होगा। झूठी महानता दिखाने के बदले खुद को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत करें। नेताओं के पीछे भागने के बजाय उन्हें ही अपने घर में आमंत्रित करें।
कृषि विकास के लिए अच्छी योजना बनाकर आर्थिक मजबूती हासिल की जा सकती है। समय, पैसा, काम बर्बाद करके भगवान की भक्ति करना भगवान को ही पसंद नहीं है, इसलिए कहा जाता है “कर्म ही पूजा है”, यदि किसान कृषि कार्य को उत्कृष्ट करेंगे, तो भगवान भी प्रसन्न होंगे। कृषि कार्य को करे हुए ही भगवान की भक्ति करनी चाहिए, यही भगवान की असली पूजा है।
शहर पलायन जरूरी
घर-परिवार के एक बच्चे को शहर जरूर जाना चाहिए, वहां कोई व्यवसाय या नौकरी भी करना चाहिए ताकि घर के अन्य बच्चों के लिए शिक्षा के द्वार खुल सकें। बाहर से पैसा आएगा तो कृषि पर निर्भरता कम होगी। ये भी गांठ बांध लें कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर वह सफल व्यक्ति आपका आदर्श होना चाहिए जिसने गांव से शहर जाकर अपना एक मुकाम बनाया है।
खेती को समय दें
नौकरी, बिजनेस करने वाले लोग 8 से 10 घंटे काम करते हैं, इसी तरह हमें भी एक योजना बनाकर खेती करनी होगी। खेती के लिए कम से कम 8 घंटे देना होगा। मिट्टी और फसल को अपना साथी से बनाकर उनसे बातचीत करने की कोशिश करनी चाहिए। फसलों की समय-समय पर विशेष देखभाल करें। अपने लिए मेहनत करोगे तो कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी। वहीं नुकसान से बचने के लिए कृषि उपज की बिक्री के समय पर ध्यान देना जरूरी है।
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कृषि उपज को चरणबद्ध रूप में बेचने से ज्यादा लाभ होता है। बाजार की मांग और आपूर्ति पर विशेष ध्यान दें। वहीं दूसरी तरफ किसानों को कर्ज लेकर शादी-ब्याह, पर्व-आयोजनों पर कम खर्च करना चाहिए, दिखावे में पैसा बर्बाद करने से सदा हाथ खाली रहता है। आपके कार्यक्रम को दिल से 10-20% लोग ही अच्छा ही कहेंगे, बाकी 80-90% लोग तो बस मुंह से अच्छा कहते, दिल से नहीं, इसलिए आपको चाहने वाले 10-20% लोगों को ही आमंत्रित करना चाहिए।
तकनीक को अमल करें
ऐसा देखा गया है कि कई किसान यूट्यूब या अन्य मीडिया से तकनीकी जानकारी तो हासिल कर लेते हैं लेकिन सही मायने में उसपर अमल नहीं करते। यदि आपको ऐसी जानकारी में संशय है तो इसे कुछ क्षेत्रों में ही प्रयोग करें और फायदा होने पर इसे सभी बड़े स्तर में अपनाएं। याद रखें – उचित योजना, अत्यधिक परिश्रम और प्रमाणिकता, ये तीन सूत्र सफलता की कुंजी हैं।
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