Agricuture Sector: GDP में कृषि का 25% से अधिक योगदान जरूरी
Agricuture Sector: वर्तमान में यह बहुत जरूरी है कि भारत जैसे विकासशील देश हर साल अधिक GDP विकास दर हासिल करें, क्योंकि हमारी आबादी दुनिया में सबसे अधिक है औऱ इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन बहुत जरूरी है। NSO यानी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े कुछ समय पहले जारी किए. ये चौथी तिमाही के आंकड़े हैं और अनुमान से काफी बेहतर रहे हैं।
NSO के मुताबिक भारत की GDP विकास दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही है वहीं देश में कृषि क्षेत्र का GDP में योगदान 15 फीसदी के करीब है और लगभग 40 फीसदी जनसंख्या इससे जुड़ी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि देश कृषि से जुड़ी चुनौतियों को समझकर आत्मनिर्भरता की राह में आगे बढ़े तो, GDP में कृषि का 25% से अधिक योगदान होना आवश्यक होना आवश्यक है।
विस्तार के कारण आई गिरावट
अर्थव्यवस्था के कुल सकल मूल्य वर्धित (GVA) में कृषि का हिस्सा 1990-91 में 35 प्रतिशत था जो उस समय से घटकर 2022-23 में अब 15 प्रतिशत हो गया है. कृषि क्षेत्र से होने वाली कमाई में यह गिरावट कृषि जीवीए में गिरावट से नहीं बल्कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र जीवीए में हो रहे तेजी से विस्तार के कारण आई है।
सरकार के अनुसार औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में तेजी से वृद्धि के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 1990-91 में 35 प्रतिशत से घटकर पिछले वित्तीय वर्ष में 15 प्रतिशत हो गया। हालांकि पिछले पांच वर्षों के दौरान कृषि और संबंधित क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों में पिछले पांच वर्षों में विकास हुआ है। इस दौरान औसतन कुल 4 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई है।
50.2 बिलियन डॉलर हो गया कृषि निर्यात
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा भारत हाल के वर्षों में कृषि उत्पादों के निर्यातक के रूप में उभरकर सामने आया है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि निर्यात बढ़कर 50.2 बिलियन डॉलर हो गया। देश में कुल खरीफ खाद्यान उत्पादन 149.9 मिलियन टन अधिक रहने का अनुमान है, जो कि पिछले पांच वर्षों के औसत खरीफ खाद्यान उत्पादन से अधिक है।
हालांकि धान की बुवाई का क्षेत्रफल लगभग 20 लाख हेक्टेयर था, जो वर्ष 2021 की तुलना में कम है। रबी की बुवाई में हुई अच्छी प्रगति की सहायता से कृषि क्षेत्र में वृद्धि होने की व्यापक संभावना है। रबी की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में अधिक रहा है। इसकी बदौलत ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान आर्थिक परिदृश्य की अस्थिरता को दर्शाता है। इसके बावजूद, यह सेक्टर भारतीय जनसंख्या के बहुमूल्य स्रोत में से एक है और उसे आत्मनिर्भर बनाने का कुंजीय स्तम्भ माना जा सकता है।
सरकारी नीतियों से मिल रहा लाभ
सरकार ने कृषि में उपज बढ़ाने के साथ साथ, कृषि के लिए उपलब्घ संसाधन के बेहतर उपयोग करके दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने की दिशा में कई विकासात्मक कार्यक्रमों, योजनाओं, सुधारों और नीतियों को अपनाया/कार्यान्वित किया है. इसका लाभ किसानों को मिल रहा है औऱ जमीनी स्तर पर इसके बदलाव भी दिखाई दे रहे हैं।
53% लोग कृषि से जुड़े हैं श्रमशक्ति के
माना जा सकता है कि पिछले कुछ दशकों में, अर्थव्यवस्था के विकास में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा सेक्टरों का योगदान बढ़ा है, जबकि कृषि का योगदान घटा है। इसमें उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक महत्वपूर्ण कारण है। किसानों को बीज, उर्वरक, बिजली, और पानी पर सब्सिडी मिलती है, लेकिन उनकी समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए नए प्रविधान पेश करने की आवश्यकता है। हालांकि तकनीकी प्रगति के आगमन ने कृषि को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसने श्रम-गहन प्रकृति को भी घटा दिया है। श्रमशक्ति के 53% लोग कृषि से जुड़े हैं और इसलिए इसे समर्थन देना महत्वपूर्ण है।
कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा देना जरूरी
सरकार को कृषि क्षेत्र को विविधिकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बागवानी, डेरी फार्मिंग, और कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा देने से किसानों के लिए आय के नए अवसर बन सकते हैं। कृषि से जुड़े चुनौतियों को समझकर और समाधान निकालकर ही हम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सकते हैं। जीडीपी में कृषि का योगदान 25% से अधिक होना अत्यंत आवश्यक है, और इसे हासिल करने के लिए सभी स्तरों पर सही नीतियों की आवश्यकता है।
रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है कृषि
भारत में कृषि क्षेत्र रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी विकास दर में गिरावट न केवल किसानों को प्रभावित करती है बल्कि ग्रामीण श्रम बल पर भी व्यापक प्रभाव डालती है जिससे संभावित रूप से बेरोजगारी और अल्परोजगार में वृद्धि होती है। इस क्षेत्र से अपनी आजीविका कमाने वाले लोगों में भूस्वामी जमीन के एक टुकड़े में खेती करने वाले काश्तकार और खेतिहर श्रमिक शामिल हैं। आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा जा रहा है, तब इसके जतन किए जाने आवश्यक हैं कि कृषि क्षेत्र का भी उत्थान हो। हमारी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में अपनी आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी 1947 में 60 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 15 प्रतिशत हो जाना एक गहन बदलाव का प्रतीक है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य की उभरती अस्थिरता को दर्शाता है।
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INFOGRAPHICS PARTS
– 35 % था कृषि का हिस्सा 1990-91 में
– 15 % हो गया है 2022-23 में
– 05 वर्षों में काफी विकास हुआ है कृषि और संबंधित क्षेत्र में
– 4 % की दर से वृद्धि दर्ज की गई इस दौरान
( PM किसान योजना के फीचर्स )
– 2019 में शुरू की गई थी पीएम किसान योजना
– 03 किस्तो में 6000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है किसानों को
– 30 नवंबर, 2023 तक 11 करोड़ किसानों को लाभ
– 2.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए जा चुके हैं अब तक
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