Anti-Incumbency Haryana – कुछ मंत्री समेत 7 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं मिला
Anti-Incumbency Haryana: हरियाणा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। लिस्ट में पार्टी का सर्वे और आरएसएस का फीडबैक सबसे दमदार रहा। यह जिनके पक्ष में था, उन्हें हारने के बावजूद टिकट मिला। इनमें 4 बड़े चेहरे शामिल हैं। जिनके खिलाफ रहा, उनके मंत्री या सिटिंग विधायक होने पर भी पार्टी ने टिकट काट दिया। मंत्री डॉ. बनवारी लाल हों या सीमा त्रिखा, इनके समेत 7 विधायकों को दोबारा टिकट नहीं मिला। इस सूची में पार्टी केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को खुश करने की कोशिश की। इस बार उनके विरोध पर 2 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया।
खट्टर के करीबी का टिकट कटा
पहले जारी 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में उनके विरोध को दरकिनार कर उनके 4 कट्टर विरोधियों को टिकट दिया गया था। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी हाईकमान से झटका मिला है। उनके विरोध के बावजूद पटौदी से बिमला चौधरी को टिकट दिया गया। 2019 में खट्टर ने टिकट कटवा दिया था। इस बार राव की सिफारिश चल गई। खट्टर के करीबी रहे विधायक बनवारी लाल और सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काट दिया गया। अहीरवाल बेल्ट वाली दक्षिण हरियाणा में अपने गढ़ में भाजपा हाईकमान ने जमकर उलटफेर किया। यहां भाजपा ने 5 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया। इस लिस्ट में भाजपा ने एक मुस्लिम नेता का टिकट भी काट दिया। जिन 2 मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताया, वहां मुस्लिम वोट बैंक के दूसरे वर्ग से बड़ा होने की मजबूरी रही। एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए 14 नए चेहरे उतार दिए। जीटी रोड बेल्ट में भी नए चेहरों को मौका देने से गुरेज नहीं किया।
Read more: Manipur Violence: मणिपुर में हाईटेक हथियार आ कहां से रहे हैं ?
RSS विधायकों की परफॉर्मेंस से नाराज
हथीन, होडल, बड़खल, गन्नौर ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि RSS के लोग भी विधायकों की परफॉर्मेंस से नाराज थे।
पटौदी सीट पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत का विरोध विधायक सत्यप्रकाश जरावता को ले डूबा। लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट से राव को यहां से अच्छा समर्थन नहीं मिला। बावल से डॉ. बनवारी लाल पहले राव इंद्रजीत के करीबी थे। वह मंत्री तक बने। मगर, उसके बाद तत्कालीन सीएम खट्टर के करीबी हो गए। जिससे राव इंद्रजीत नाराज थे। राई से मोहन लाल बड़ौली को टिकट नहीं मिली। चूंकि वह इस वक्त पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पार्टी में एक पद, एक व्यक्ति की नीति के चलते उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी नहीं हो पाई।
SC कोटे से 4 को मौका
पार्टी ने सबसे ज्यादा 4 उम्मीदवार एससी वर्ग से हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जाट के बाद सबसे ज्यादा एससी वर्ग से ही नुकसान हुआ। ऐसे में कृष्ण कुमार बेदी, बिमला चौधरी को दोबारा से टिकट दिया गया है। 2019 में कृष्ण बेदी पिछला चुनाव हार गए थे और बिमला चौधरी का पार्टी ने टिकट काट दिया था। जबकि एससी वर्ग से ही आने वाले स्वास्थ्य विभाग में निदेशक पद से एक दिन पहले नौकरी छोड़ने वाले डॉ। कृष्ण कुमार को टिकट दिया है। होडल से हरिंदर सिंह रामरतन को मैदान में उतारा है।
जाट और OBC से 3-3 प्रत्याशी
दूसरी लिस्ट में जाट और ओबीसी समाज से 3-3 प्रत्याशी उतारे हैं। लोकसभा चुनाव में ओबीसी बड़ा मुद्दा बना हुआ था। जाट पहले से ही भाजपा से नाराज थे। ऐसे में दोनों लिस्ट में सबसे ज्यादा उम्मीदवार इन दोनों ही समाज से उतारे गए हैं। जाट वर्ग से राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान और जुलाना से योगेश बैरागी को टिकट दिया है। वहीं ओबीसी वर्ग से पवन सैनी, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव को दोबारा मौका दिया गया। पुंडरी से सतपाल जांबा को टिकट दिया है।
Read more: US Presidential Debate: इजराइल से नफरत करती हैं कमला हैरिस
पंजाबी वोट बैंक का भी रखा ध्यान
पंजाबी वोटरों के लिहाज से मनीष ग्रोवर, अमीर चंद मेहता, धनेश अदलखा को उतारा गया हैं। इनमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को रोहतक से हार के बाद भी मौका दिया गया। ग्रोवर पहले चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे थे। भाजपा के परंपरागत वोट बैंक कहे जाने वाले ब्राह्मणों को दूसरी लिस्ट में भी साधने की कोशिश की गई। पिहोवा सीट पर कवलजीत सिंह का पाकिस्तानी आर्मी के साथ फोटो वायरल होने के बाद यहां ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जयभगवान शर्मा को टिकट दिया है। पिछली बार यहां पर संदीप सिंह को उतारा था। खेल मंत्री बनने के बाद महिला कोच से विवाद के चलते उनका टिकट काटा गया।
- Content Marketing : भारत में तेजी से बढ़ रहा है कंटेंट मार्केटिंग का क्रेज - January 22, 2025
- Black Magic Hathras: ‘काले जादू’ के नाम पर 9 वर्ष के बच्चे की बलि - January 18, 2025
- Digital Marketing: आपके व्यवसाय की सफलता की कुंजी ‘डिजिटल मार्केटिंग’ - January 18, 2025