Ayodhya Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए PM का कठोर प्रण
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिन के अनुष्ठान का प्रण लिया है। मोदी के इस धार्मिक कार्य न केवल निष्काम कर्मयोग के भाव प्रतिष्ठित बल्कि मोदी दुनिया के ऐसे पहले नेता होंगे जिन्होंने धर्म स्थापना के लिए ऐसा कठोर प्रण लिया है, जिसमें नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
आपको बताते हैं कि निष्काम कर्म का अर्थ होता है कि व्यक्ति को कर्म करते समय फल की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कर्म केवल भगवान के लिए किया जाना चाहिए। ये बात मोदी के लिए सटीक बैठती है।
पुण्य अवसर के साक्षी बनेंगे
मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले ऑडियो मैसेज जारी कर कहा कि मैं भावुक हूं, जीवन में पहली बार, मुझे ऐसे भाव आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने एक संदेश में कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह इस पुण्य अवसर के साक्षी बनेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है और इसे ध्यान में रखते हुए मैं 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वक्त किसी की भावना को शब्दों में बांधना मुश्किल है लेकिन वह कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं भाव-विह्वल हूं। मैं पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं।” मोदी ने कहा, ‘आप भी मेरी स्थिति समझ सकते हैं। जिस सपने को अनेकों पीढ़ियों ने वर्षों तक अपने हृदय में एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, मुझे उसकी सिद्धी के समय उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। प्रभू ने मुझे सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है।’
शास्त्रों के निर्देशों का पालन
मोदी ‘प्राण प्रतिष्ठा’ से संबंधित शास्त्रों में वर्णित कठिन दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। बता दें कि शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद एवं वृहद प्रक्रिया है। इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं, जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है। एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री मोदी, राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति एक आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं। उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है। पीएम ने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा होना मेरे लिए भावुक करने वाला समय है।
पंचवटी से अनुष्ठान की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होगा। वह अपने अनुष्ठान की शुरुआत महाराष्ट्र के नासिक में स्थित पंचवटी से शुरू करेंगे, जहां श्रीराम ने अपने जीवन का काफी समय बिताया था। मोदी ने कहा कि पंचवटी, वो पावन धरा है, जहां प्रभू श्रीराम ने काफी समय बिताया था और मेरे लिए एक सुखद संयोग यह भी है कि आज स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती है। ये स्वामी विवेकानंद ही तो थे जिन्होंने हजारों वर्षों से आक्रांतित भारत की आत्मा को झकझोरा था। आज वही आत्मविश्वास भव्य राम मंदिर के रूप में हमारी पहचान बनकर सबके सामने हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सोने पर सुहागा देखिए, आज माता जीजाबाई की भी जन्म जयंती है। माता जीजा बाई, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महामानव को जन्म दिया था। आज हम अपने भारत को जिस अक्षुंड रूप में देख रहे हैं, इसमें माजा जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान है और साथियों जब मैं माता जीजाबाई का पुण्य स्मरण कर रहा हूं तो सहज रूप से मुझे अपनी मां की याद आना स्वाभाविक है। मेरी मां जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीताराम का नाम भजा करती थी।’
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