Bharatiya Nyaya Sanhita: लिव-इन के लिये मुसीबत साबित होगो नया कानून
Bharatiya Nyaya Sanhita: अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन मुख्य आपराधिक कानूनों की जगह अब नए कानून देशभर में प्रभावी हो गए। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव 1860 से चल रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किया गया है। आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कई बदलाव के साथ कई नए अपराध शामिल किए गए हैं। कानूनों में संशोधन या बदलाव के दौरान रिश्ते, सहमति और विवाह हमेशा से ही मुश्किल क्षेत्र रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद यह महिला-पुरुष में अलगाव एक बार फिर चर्चा में आ गया है। बीएनएस के प्रावधानों के बीच, धारा 69 ने विशेषज्ञों को खासा चिंतित कर दिया है।
10 वर्ष की जेल
धारा 69 में कहा गया है कि अगर शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाया तो 10 वर्ष जेल की हवा खानी पड़ सकती है। इस धारा के तहत शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं बल्कि धोखा देकर संबंध स्थापित करना अपराध सुनिश्चित किया गया है। जिसके लिए 10 वर्ष तक की सजा और जुर्माना का भी प्रविधान है। बीएनएस की यह धारा एक तरह ब्रेकअप को अवैध बनाती है। खासकर जबकि महिला-पुरुष का रिश्ता विवाह तक पहुंचने से पहले टूट जाता है, जब महिला को झूठे वादों के साथ संबंध स्थापति करने का दावा करने का अधिकार यह धारा देती है। इससे पहले आईपीसी की धारा 90 में ऐसे मामलों की सुनवाई होती थी, जिसमें सीधे बलात्कार का आरोप लगाया जाता था।
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अधिकारियों के लिए जादुई छड़ी
दरअसल बीएनएस की धारा 69 पहचान या तथ्यों को छिपाकर की गई शादियों के मामलों के लिए लाई गई है, जो पूरी तरह नई धारा है। इसका उपयोग रोजगार, पदोन्नति, पहचान छिपाकर अंतरधार्मिक शादी या कोई अन्य झूठा वादा कर संबंध स्थापति करने संबंधि महिला की शिकायत पर किया जा सकता है। इस तरह यह धारा जहां लिव-इन के रिश्तों में होने वाले ब्रेकअप से लेकर अन्य अवांछित रिश्तों कायम करने वालों के लिए मुसीबत साबित होने वाली है, वहीं कानून का पालन कराने वाले अधिकारियों के लिए जादुई छड़ी का काम करेगी। हालांकि कानून विशेषज्ञ इस धारा को लेकर अभी से खासे चंतित दिखाई दे रहे हैं। उनका मानना है कि रिश्ता किसी भी कारण से समाप्त हो, धोखा देने का इरादा बेहद आसानी से स्थापित किया जा सकता है। जिसके गंभीर परिणाम पुरुष का भुगतने होंगे।
शिकायतकर्ता की शिकायत ही काफी होगी
धारा 69 के तहत शिकायतकर्ता की शिकायत ही काफी होगी और बगैर विश्वसनीय सबूतों के पुरुष को आसानी से गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस धारा को लेकर वकीलों का कहना है कि शादी का मामला नितांत व्यक्तिगत है। रिश्ता टूटने की वजह लड़की या लड़का, दोनों ओर से संभव है, लेकिन लड़की को दोषी साबित करना, मामला झूठा स्थापित करना बेहद मुश्किल होगा। जिसे साबित करने में महीनों या वर्षों भी लग सकते हैं। यदि तथ्यों के अभाव में मामला गलत साबित नहीं हुआ तो लड़के को 10 साल की जेल हो सकती है। ऐसे में उसकी प्रतिष्ठा के साथ पूरा जीवन प्रभावित होगा।
प्रारंभिक जांच के बाद ही गिरफ्तारी
पुलिस अफसरों के मुताबिक, शिकायत के बाद इस धारा के तहत प्रारंभिक जांच के बाद ही गिरफ्तारी की जा सकती है, लेकिन शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए गए और बाद में वादा झूठा निकला, कोर्ट यह साबित करना बेहद मुश्किल है। अंतरधार्मिक विवाह में इतना मुश्किल नहीं होगा, लेकिन विवाह पूर्व टूटने वाले रिश्तों में पुख्ता मामला बनाना पूरी तरह अलग होगा, क्योंकि कोर्ट सबूतों पर फैसला देगा।
1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। इन कानूनों ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह ली है। 12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। 1 जुलाई से देशभर में तीन कानून प्रभावी हो गए हैं।
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