Bhupinder Singh Hooda – 80% से अधिक सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री की पसंद से उम्मीदवार तय
Bhupinder Singh Hooda : हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस बार चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को अपने प्रत्याशी घोषित करने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी। इसके बाद भी असंतोष नहीं थम रहा है और टिकट मिलने से पहले और बाद तक दोनों ही दलों के उम्मीदवारों ने नामांकन भरकर अपने मंसूबे साफ कर दिए थे। हुड्डा पर कांग्रेस नेतृत्व ने पूरा भरोसा जताया है। लोकसभा चुनावों की तर्ज पर इस बार विधानसभा की टिकट आवंटन में भी हुड्डा को ‘फ्री-हैंड’ दिया गया। घोषित किए गए उम्मीदवारों के चयन में हुड्डा सभी पर भारी पड़े। 80 प्रतिशत से अधिक सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री की पसंद से उम्मीदवार तय हुए हैं। भाजपा ने इस बार टिकट वितरण के लिए पार्टी के सर्वे और आरएसएस को तवज्जो दी।
वहीं, कांग्रेस की बात करें तो इस बार यहां के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के आगे राहुल गांधी के साथ आलाकमान भी नतमस्तक हुआ है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हुड्डा ने अपने अधिकांश समर्थकों को टिकट दिलवाया है। कांग्रेस हाईकमान ने उनके 38 करीबियों को टिकट दी है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की पैरवी की थी लेकिन हुड्डा शुरू से ही इसके खिलाफ थे। एक प्रकार से कहा जा सकता है कि इस चुनाव में हुड्डा का दबदबा रहेगा। हुड्डा ने बिना टिकट मिले पलवल सीट से अपने समधी करण दलाल और हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण का कलायत से नामांकलन दाखिल करवाकर पार्टी को खुला चैलेंज दिया था, हालांकि बाद में पार्टी को इन दोनों लोगों का टिकट देना पड़ा।

शैलजा समर्थक 10 नेताओं को मौका
शैलजा की पसंद से चार मौजूदा विधायकों सहित दस नेताओं को टिकट मिला है। विधायकों की टिकट की राय इसलिए आसान हो गई क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने ‘सिटिंग-गैटिंग’ का फार्मूला लागू कर दिया था। वहीं सुरजेवाला अपने बेटे के अलावा एक अन्य नेता को टिकट दिलवा सके हैं। पार्टी के मौजूदा 28 विधायकों में से 24 हुड्डा के ही समर्थक हैं। सैलजा समर्थक चार विधायकों – नारायणगढ़ से शैली चौधरी, सढ़ौरा से रेणु बाला, कालका से प्रदीप चौधरी व असंध से शमशेर सिंह गोगी को टिकट मिला है।
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टिकट बंटवारे में हुड्डा का दबदबा
हुड्डा ने 2019 ही नहीं बल्कि 2005 से खुद से जुड़े नेताओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट दिलवाई है। इनमें बड़खल से 2009 में विधायक रहे महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप, पृथला रघुवीर तेवतिया, पलवल करण दलाल, हथीन जलेब खान के बेटे मुहम्मद इजराइल और अटेली से 2009 में विधायक रहीं अनीता यादव का नाम शामिल है। यह सभी लोग हुड्डा की अगुवाई वाली दो सरकारों में उनके साथ रहे।राज्य में शैलजा कुमारी और रणदीप सुरजेवाला के पुरजोर विरोध के बावजूद हुड्डा ने लगातार दो चुनाव हार चुके अपने करीबियों को भी टिकट दिलवाया है। इनमें नारनौल से राव नरिंदर, बरवाला रामनिवास घोड़ेला और पृथला से रघुवीर तेवतिया शामिल हैं। राव नरिंदर 2009 में हजकां की टिकट पर जीते और उसके बाद हुड्डा से जुड़ गए थे। सिरसा से कांग्रेस का दामन थामने वाले गोकुल सेतिया और हांसी से पूर्व जेजेपी नेता राहुल मक्कड़ को मौका दिलवाने में हुड्डा खेमा सफल रहा। आदमपुर सीट से पूर्व आईएस अधिकारी चंद्रशेखर को मिली टिकट के पीछे भी उनका ही हाथ है।
जीटी रोड बेल्ट में 13 चेहरे बदले
कांग्रेस ने भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ जीटी रोड बेल्ट में बड़ी सर्जरी की है। 10 साल से सरकार में बैठी भाजपा के खिलाफ भले ही एंटी इनकंबेंसी बताई जा रही हो, लेकिन पार्टी ने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा। उसने पंचकूला से सोनीपत तक इस बेल्ट की पेंडिंग 13 में से 10 सीटों पर 2019 के मुकाबले चेहरे बदल दिए। इनमें से कुछ हुड्डा के 10 से 15 साल पुराने साथी रहे हैं। खास बात यह भी है कि कांग्रेस ने इस एरिया की दो सीटों पर पंजाबी चेहरे भी उतारे हैं।
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राहुल की हां के बाद नहीं हो सका आप से गठबंधन
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका। हुड्डा तो आप के साथ गठबंधन के पक्ष में ही नहीं थे। वह अपनी राय हाईकमान को पहले ही बता चुके हैं। चूंकि राहुल ने पहले गठबंधन का ऑफर दिया था, इसलिए हुड्डा उनकी बात का लिहाज करते हुए आप के लिए सीट छोड़ने को तैयार थे। पिछले 20 साल में हुड्डा हरियाणा में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। चौटाला परिवार के सितारे गर्दिश में जाने के बाद वह जाट बिरादरी के बड़े नेता बन चुके हैं।
हरियाणा में 22 फीसदी जाट वोटर हैं, जो सीधे तौर पर रोहतक, हिसार, झज्जर, भिवानी, सोनीपत, कैथल, जींद, भिवानी और फतेहाबाद की 32 सीटों पर जीत-हार का फैसला करते है। साथ ही 17 विधानसभा सीटों पर भी जाटों का प्रभावी दखल है। अपने सीएम के कार्यकाल के दौरान मेवात के मुस्लिम वोटर और नेताओं में भी सीनियर हुड्डा ने पकड़ मजबूत कर ली। फिलहाल उनका विरोध करने वाले खामोश हैं या पार्टी से बाहर जा चुके हैं। हाईकमान भी इस सच को जानता है। खुद हुड्डा अपने गढ़ गढ़ी सांपला किलोई सीट से चुनाव लड़ेंगे।
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