INDIA Alliance vs NDA: एनडीए ने किया चारों खाने चीत
INDIA Alliance vs NDA: बिहार में हुए लोकसभा चुनाव में ‘NDA’, I.N.D.I.A. Alliance से आगे रहा है। इस चुनाव में NDA ने शानदार जीत हासिल करते हुए 40 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की और विपक्ष को सिर्फ 9 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। राष्ट्रीय जनता दल की विफलता भी चौंकाने वाली थी। एनडीए के दोनों प्रमुख दलों बीजेपी और जेडीयू ने 12-12 सीटें जीतीं, जबकि एलजेपी (रामविलास) ने 5 सीटें और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 01 सीट जीती। दूसरी ओर, विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 4, कांग्रेस ने 3 और सीपीआई (एमएल) ने 2 सीटें जीतीं। NDA ने बिहार में उत्तर प्रदेश की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन इसके वोट शेयर में काफी गिरावट आई है। साथ ही इसके उम्मीदवारों की जीत का अंतर भी काफी कम हो गया है।
जबकि बिहार में जेडी(यू) ने भाजपा की तुलना में बेहतर स्ट्राइक रेट दर्ज किया। इसने अपनी 16 सीटों में से केवल 4 खोईं, जबकि भाजपा ने 17 में से पांच सीटें गंवाई, लेकिन इसके वोट शेयर बीजेपी की तुलना में ज्यादा घट गया, लेकिन उसके बाद भी जेडीयू किंगमेकर की भूमिका भी उभर कर सामने आई हैं। पूर्णिया सीट से निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को 23 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया। इस चुनाव में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 5 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। विपक्षी I.N.D.I.A. Alliance राजद ने 23 सीटों पर, कांग्रेस ने 9, सीपीआई (एमएल) और विकासशील इंसान पार्टी ने 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि सीपीआई (एम) और सीपीआई (एम) ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा।

राजद को सबसे ज्यादा 22.14 फीसदी वोट मिले
इस चुनाव में राजद को सबसे ज्यादा 22.14 फीसदी वोट मिले, लेकिन वह पार्टी इन वोटों को मतपेटियों में बदलने में सफल नहीं हो पाई। बीजेपी को उससे भी कम यानी 20.52 फीसदी वोट मिले। जेडीयू को 18.52 फीसदी, कांग्रेस को 9.2 फीसदी, एलजेपी को 6.47 फीसदी वोट मिले। 2.07 फीसदी मतदाताओं ने नोटा को चुना यानी किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। ये आँकड़ा चौंकाने वाला निकला। 2019 में, भाजपा ने लोकसभा की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की। जद (यू) ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और सोलह सीटें जीतीं। एलजेपी ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और सभी सीटों पर जीत हासिल की। उस समय विपक्षी मोर्चा ध्वस्त हो गया था। एकमात्र मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र किशनगंज कांग्रेस द्वारा जीता गया था।
तब राजद खाता भी नहीं खोल पायी थी। इस बार हाजीपुर सीट से एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने राजद उम्मीदवार शिवचंद्र राम को 6,15,718 वोटों के अंतर से हरा दिया। यह सीट उनके दिवंगत पिता राम विलास पासवान हमेशा रिकॉर्ड अंतर से जीतते रहे हैं। काराकाट सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की हार ‘NDA’ के लिए करारा झटका है। उसे सीधे तीसरे स्थान पर धकेल दिया गया। वहां सीपीआई (एमएल) उम्मीदवार राजाराम सिंह ने बीजेपी के बागी उम्मीदवार और भोजपुरी गायक-अभिनेता पवन सिंह पर 3,80,581 वोटों के अंतर से शानदार जीत हासिल की। पवन की उम्मीदवारी से ‘NDA’ को बड़ा झटका लगा है।
दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा
जहां तक I.N.D.I.A. Alliance की बात है तो राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसाभारती पाटलिपुत्र सीट से जीत गईं। उन्होंने बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव को 6,13,283 वोटों के अंतर से हराया; लेकिन लालू प्रसाद की एक और बेटी रोहिणी आचार्य को सारण सीट से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी से 4,71,752 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। आरा विधानसभा क्षेत्र से एनडीए गठबंधन के लिए सीपीआई (एमएल) पार्टी ने चौंकाने वाला परिणाम दर्ज किया है। इस पार्टी के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह 5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हार गये थे। औरंगाबाद सीट से राजद के अभय कुशवाहा ने भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह को चार लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया। इस बार राजद ने कुशवाहा समाज के सात नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा था। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। क्योंकि, इन सात में से सिर्फ दो ही जीत पाए थे।
चुनावी गणनाएं गड़बड़ा गईं
जेडी(यू) को गठबंधन से फायदा हुआ, क्योंकि पीएम मोदी के नाम ने इसे “सत्ता विरोधी लहर” में मदद की। वो कहते हैं कि असली फर्क यह था कि विपक्ष ने कई गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देकर अच्छी लड़ाई लड़ी, जिससे चुनावी गणनाएं गड़बड़ा गईं। हालांकि, जेडी(यू) के एक नेता ने जोर देकर कहा कि नतीजे महिलाओं और गरीबों के लिए नीतीश सरकार की योजनाओं की स्थायी लोकप्रियता का सबूत हैं। इस जीत ने यह भी रेखांकित किया कि एनडीए के भीतर नीतीश कुमार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 2025 के चुनाव अभी बहुत दूर हैं, और राजनीतिक गठबंधन 2020 जैसे नहीं हैं।
2020 के विधानसभा चुनावों में जेडी(यू) 2015 में 70 से ज़्यादा सीटों से गिरकर 43 सीटों पर आ गई थी। इससे वह आरजेडी (चुनाव नतीजों के बाद पहले स्थान पर) और बीजेपी दोनों से बहुत पीछे रह गई। जेडी(यू) नेताओं ने उस समय एनडीए के भीतर से “तोड़फोड़” को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें एलजेपी (जो बिहार में अलग से लड़ी थी) ने जेडी(यू) के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ़ अपने उम्मीदवार उतारे थे। नीतीश कुमार के दम पर एनडीए को बिहार में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इसलिए, वह और तेलुगु देशम प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ‘NDA’ के प्रमुख स्तंभ बन गए हैं। आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम, जन सेना और बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में चमत्कार कर मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी की ताकत को कमजोर कर दिया है। भाजपा अन्य दलों के सहयोग से केंद्र में दोबारा अपनी सत्ता स्थापित करेगी। I.N.D.I.A. Alliance ने भविष्यवाणी की थी कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू हमारे पास आएंगे, लेकिन वह पूरी तरह से गलत साबित हो गये ।
Party Wise Vote Percentage
दल 2019- 2024
भाजपा – 24.1 20.52
जदयू – 22.3 18.52
राजद – 15.7 22.14
कांग्रेस – 7.9 9.20
लोजपा – 7.8 6.47
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