Modern India: वे पुरुष जिन्होंने किया भारत का निर्माण
भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी से लेकर सुभाषचंद्र बोस और युवा भगत सिंह जैसे कई नेताओं और क्रांतिकारियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन कई नेता ऐसे रहे जिन्होंने आजाद भारत को आधुनिक रूप देने के लिए अपना सर्वेस्व न्यौछावर कर दिया। आइए जानते हैं आजादी के बाद भारतीय राजनीति के ऐसे महान नेता, जिन्होंने देश में सामाजिक और आर्थिक विषमता कम करने, गरीबी हटाने और देश में शिक्षा व आधुनिकता के विकास के लिए काम किया और भारत की दशा और दिशा को मोड़ कर 21वीं सदी के मॉर्डन इंडिया की नींव रखी।
जवाहरलाल नेहरू
एक वकील के रूप में अपना कॅरियर शुरू करने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने आजादी के आंदोलन में गांधी जी के साथ मिलकर बेहद सक्रिय भूमिका निभाई। पंडित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। पूरी दुनिया में अंतररराष्ट्रीय राजनीति में भारत को गुटनिरपेक्ष नीति का पैरोकार बनाने वाले नेहरू ने भारत को आधुनिक देश के रूप में प्रस्तुत किया। कारखाने, नदियां, बांध और कई पंचवर्षीय योजनाओं के जरिये नेहरू ने देश को आधुनिकता की तरफ मोड दिया। कुल मिलाकर आज जिस शाइनिंग इंडिया और मॉर्डन इंडिया को हम देख रहे हैं वे चाचा नेहरू की ही देन है।
लाल बहादुर शास्त्री
चीन से 1962 में युद्ध के बाद जब सदमे में प्रधानमंत्री नेहरू की मृत्यु हो गई, तो देश की बागडोर नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री के हाथों में आईं। अपनी सादगी, ईमानदार छवि और कांग्रेस के वरिष्ठ और भरोसेमंद इस नेता ने 9 जून 1964 से लेकर 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक तकरीबन 18 महीने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश की कमान संभाली। उनके शासनकाल में 1965 में भारत-पाक युद्ध शुरू हुआ, लेकिन उनके नेतृत्व और कुशल राजनीतिक क्षमता के चलते भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। उन्होंने देश में किसानों को विकास का प्रतीक माना और जय जवान, जय किसान जैसा लोकप्रिय और ऐतिहासिक नारा दिया। वे भारत के इतिहास के बेहद सादगीपूर्ण और र्इमानदार छवि वाले नेता माने जाते हैं।
इंदिरा गांधी
पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। अपने कुशल नेतृत्व, शानदार सांगठनिक क्षमता और एक मंझी हुए राजनेता के तौर पर इंदिरा गांधी देश में स्त्री सशक्तिकरण का प्रतीक बन गईं, जो आज भी 21वीं सदी के भारत में हराभरा है। इंदिरा गांधी एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ रहीं। पाकिस्तान से बांग्लादेश का विभाजन कर उसे एक अलग राष्ट्र का दर्जा देने का हिम्मती निर्णय उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर का नेता बना गया। यह एक कठिन और साहसी फैसला था जो उन्होंने अपने कार्यकाल में लिया। आजाद भारत के इतिहास में इतनी तेज महिला राजनेता पहले कभी नहीं हुई। 1976 में आपातकाल घोषित करने वाली वह पहली और आखिरी नेता थीं और उनके इस कदम का बहुत विरोध हुआ।
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सरदार वल्लभ भाई पटेल
सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष भी कहा जाता है। उन्होंने रियासतों, रजवाडों और कई-कई टुकडों में बंटे भारत को एक करने का सबसे महत्वपूर्ण काम किया। कुल मिलाकर कहा जाए तो वे ही वर्तमान अखंड और एक भारत के पुरोधा हैं। भारत जिस रूप में हमें दिखाई देता है यह उनकी ही देन है। मजबूत और दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति वाले सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री रहे। स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनकी अग्रणी भूमिका रही।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
एक महान भारतीय और भारतीय राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण नाम। 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे बाबा साहेब अंबेडकर आजाद भारत के संविधाना निर्माता रहे। भारत के सर्वौच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित बाबा साहेब ने भारत में हिंदू धर्म की चतुवर्णीय प्रणाली और जातिप्रथा के खिलाफ लगातार काम किया। वे आजाद भारत में दलित आंदोलन के पुरोधा माने जाते हैं। विधि विशेषज्ञ और बहुजन राजनीतिक नेता के रूप में बाबा साहेब का योगदान अमूल्य है। वे भारत के आधुनिक युग के मनु भी कहे जाते हैं। उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई। उन्होंने भारतीय सामाजिक संरचना और जातिव्यवस्था में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया।
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नरसिम्हा राव
पामुलापति वेंकट नरसिम्हा राव आजाद भारत के नौवें प्रधानमंत्री थे। भारतीय राजनीति के इतिहास में उन्हें लाइसेंस राज की समाप्ति और खुली अर्थव्यवस्था के पुरोधा के रूप में जाना जाता है। जिस भारत को ग्लोबल इकॉनॉमी के रूप में हम देख रहे हैं, उसके पैरोकार नरसिंम्हा ही थे। राजीव गांधी के असमय निधन के बाद उन्होंने भारतीय राजनीति की डोर को बखूबी संभाला और अर्थव्यवस्था के दरवाजे खोलकर समाजवादी भारत की अर्थव्यवस्था को पूंजीवाद और खुली अर्थव्यवस्था की ओर मोड़ दिया। एक तरह से उन्हें भारत की आर्थिक आजादी का मसीहा भी कहा जाता है।
राममनोहर लोहिया
समाजवादी भारत की कल्पना करने वाले डॉ राम मनोहर लोहिया ने भारत की पिछड़ी, दलित, गरीब और वंचित जनता के लिए भारत का सपना देखा। उन्होंने भारत की आजादी में समाजवादी तरीके से अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला। देश उन्हें एक प्रखर, एक भारतीय समाजवादी चिंतक के रूप में जानता है। वे एक अद्भुत वक्ता और आंदोलनकारी थे। आजाद भारत में वे नेहरू सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले एकमात्र नेता थे। संसद में उनके द्वारा दिए गए भाषण आज भी याद किए जाते हैं। गांधी जी का उन पर बहुत प्रभाव था।
जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण को देश लोकनायक के रूप में भी जानता है। वे स्वतंत्रता सेनानी और आजाद भारत में विपक्ष का नेतृत्व करने वाले तेजतर्रार जननेता थे। वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ थे। 1975 में आपातकाल के दौरान कई नेताओं सहित उन्हें भी गिरफ्तार किया गया। उन्होंने पटना के गांधी मैदान से इंदिरा सरकार के खिलाफ देश में संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया और पूरे देश को इंदिररा सरकार के खिलाफ एकजुट कर लिया। वे आजाद भारत में क्रांतिकारी और आंदोलनधर्मी राजनीति को दिशा देने वाले आखिरी नेताओं में से एक थे।
ज्योति बसु
भारतीय वामपंथी राजनीति में ज्योति बसु एक कद्दावर और लोकप्रिय राजनेता रहे। वे देश के एकमात्र राजनेता रहे जिनके नाम सबसे लंबे समय तक एक ही राज्य का मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान है। वे सन् 1977 से लेकर सन् 2000 तक प. बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। वे सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे। पश्चिम बंगाल की वामपंथी राजनीति में ज्योति बसु जहां मुख्यमंत्री का पर्याय बन गए, तो वहीं उन्होंने बंगाल में भारत के परिप्रेक्ष्य में वामपंथी मॉडल को बहुत हद तक लागू करने में सफलता पाई।
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