Prime Ministers Museum and Library – इतिहासकार रिजवान कादरी ने लिखा सोनिया गांधी को पत्र
Prime Ministers Museum and Library: प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी (पीएमएमएल) के सदस्यों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें सोनिया गांधी से कहा गया है कि या तो वह नेहरू के निजी दस्तावेजों को पीएमएमएल को सौंप दें। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो कॉपी या फिर डिजिटिलाइज्ड एक्सेस ही मुहैया करा दें। अहमदाबाद के इतिहासकार और लेखक रिजवान कादरी पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले पीएमएमएल (पूर्व में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी) के सदस्य हैं। सोनिया गांधी को पत्र में उन्होंने लिखा है कि नेहरू से जुड़े रिकॉर्ड्स बेहद अहम हैं। इनके अध्ययन से देश के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

वार्षिक आम बैठक में चर्चा
पीएमएल सोसायटी ने फरवरी में अपनी पिछली वार्षिक आम बैठक में सोनिया गांधी के पास रखे दस्तावेजों की स्थिति पर चर्चा की थी। इसके बाद कानूनी राय लेने का फैसला लिया गया था। सोनिया के पास मौजूद दस्तावेजों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण के बीच हुआ पत्राचार शामिल है। इसके अलावा नेहरू के साथ एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और बाबू जगजीवन राम के बीच के लेटर्स भी हैं।
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पटेल ने नहीं किया दस्तावेज जमा
कादरी ने पत्र में लिखा है कि मेरी अकादमिक यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885-1947) के इतिहास के साथ गहराई से जुड़ी हुई है और इसके इतिहास से जुड़े विभिन्न तथ्यों और रिकॉर्डों में, खासकर गुजरात में, मेरी गहरी रुचि है। उन्होंने लिखा कि यहां तक कि गांधीजी के लेखन का दस्तावेजीकरण बहुत बारीकी से किया गया है। दुर्भाग्य से, पटेल ने स्वतंत्रता से पहले इस तरह का दस्तावेज नहीं जमा किया। 1997 में कादरी की पीएचडी थीसिस महात्मा गांधी, वल्लभभाई पटेल और गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर केंद्रित थी। उन्होंने पत्र में लिखा है कि एक इतिहासकार के तौर पर मैं पटेल के योगदानों को जानने में गहरी दिलचस्पी रखता हूं।
वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत
पत्र में कहा गया है कि जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू अपने योगदान के महत्वपूर्ण दस्तावेज छोड़ गए हैं, जिन्हें एनएमएमएल में संरक्षित किया गया था। राष्ट्र निर्माण में उनके अपार योगदान के लिए गहन वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है, जिसके लिए पूरे रिकॉर्ड तक पहुंच आवश्यक है। हाल ही में पूछताछ करने पर, पता चला कि इनमें से अधिकांश रिकॉर्ड प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय में रखे गए हैं। यह भी बताया गया कि सोनिया गांधी के ऑफिस ने भी कुछ रिकॉर्ड लिए हैं क्योंकि वह परिवार की प्रतिनिधि और दानदाता थीं।
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इतिहास की व्यापक समझ सुलभ होगी
कादरी ने लिखा है कि मुझे यकीन है कि ऐसा इन अमूल्य दस्तावेजों के संरक्षण के लिए किया गया होगा। यह महत्वपूर्ण है कि ये रिकॉर्ड हमारे देश के इतिहास की व्यापक समझ सुनिश्चित करने के लिए सुलभ रहें। इन दस्तावेजों को हासिल करने की अनुमति मांगते हुए पत्र में कहा गया है कि आप इस बात से सहमत होंगी कि पंडित नेहरू अपने योगदान पर निष्पक्ष और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त शोध के हकदार हैं। उन्होंने लिखा कि मैं अपने दो योग्य सहयोगियों की सहायता से इन दस्तावेजों को स्कैन करने का प्रस्ताव करता हूं। इससे दस्तावेजों पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित रहेंगे।
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