Womens Empowerment – वैश्विक अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने की क्षमता
Womens Empowerment: हाल ही में किये गये कई अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं को सशक्त बनाने से आर्थिक विकास में काफी योगदान मिलता है। महिला श्रम बल की भागीदारी में वृद्धि से सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी को बढ़ावा मिल सकता है। जबकि महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसाय रोजगार पैदा कर सकते हैं और नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। अक्सर महिलाओं को लक्षित करने वाली सूक्ष्म वित्त पहलों ने गरीबी को कम करने और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की उल्लेखनीय क्षमता का प्रदर्शन किया है।
संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था यूएन वूमेन का कहना है लैंगिक अंतर को पाटने से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने की क्षमता है। एबी फाउंडेशन की सीईओ ध्रुवी शाह के अनुसार भारतीय इतिहास में ऐसी महिलाओं के उदाहरणों की भरमार है, जिन्होंने न केवल अपने जीवन को सफल बढ़ाया है, बल्कि अपने समुदायों को भी आगे बढ़ाया है। 1921 में, बंगीय नारी समाज की सदस्य और महिला श्रम जांच आयोग की आयुक्त कामिनी रॉय के प्रयासों के 1926 के भारत के आम चुनावों में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला।
इसी तरह लगभग पांच दशक बाद, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित रेनी गांव की गौरी देवी चिपको आंदोलन से जुड़कर पर्यावरण की रक्षक बन कर उभरीं और वनों की कटाई के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज उठाई। गौरी देवी के विरोध के कारण अलकनंदा घाटी में इस मुद्दे की जांच के लिए एक समिति का गठन हुआ और व्यवसाय के लिये पेड़ों की कटाई पर 10 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। इतने दशक बाद भी आज लैंगिक समानता सामाजिक और आर्थिक रूप से एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भारत में सरकारी योजनाएं लाभदायक
भारत में सरकारी पहल लगातार महिलाओं के लिए देश के आर्थिक विकास में समान हिस्सेदारी रखने की संभावनाएं पैदा कर रही हैं। हाल के आंकड़ों में स्टैंड-अप इंडिया और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी योजनाओं के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें क्रमशः 84% और 69% महिला लाभार्थी शामिल हैं। इसके अलावा भारत में महिला एसटीईएम यानि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित स्नातकों का एक बड़ा आकंड़ा है जो लगभग 43 परसेंट है।
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26 सप्ताह का प्रसूति अवकाश
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में 2017 को संशोधन किया गया जिसके कारण प्रसूति अवकाश को 26 सप्ताह तक बढ़ाने का प्रावधान रखा गया। कार्यस्थल में लैंगिक समानता की दिशा में भारत का ये एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। इस नीति परिवर्तन से प्रसव के बाद कार्यबल में फिर से शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या में काफी वृद्धि होने लगी है और आगे भी होने की उम्मीद है। यह उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाता है और उन्हें अपने जीवन को प्रभावित करने वाली निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए सशक्त बनाता है।
स्वयं सहायता समूह की भूमिका
इसके अलावा हाल के दशकों में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने विकास में बड़ा योगदान दिया और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में परिवर्तनकारी कदम रहा है। शुरुआत में कृषि, स्वास्थ्य और पोषण जैसे विषयों पर वित्तीय समावेशन और ज्ञान साझा करने के लिए मंच स्वयं सहायता समूह यानि सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) शक्तिशाली माध्यम के रूप में विकसित हुए हैं। आज एसएचजी घरेलू हिंसा और लिंग आधारित भेदभाव जैसे मुद्दों को उठाने में सबसे आगे हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 के अनुसार दीनदयाल अंत्योदय योजना-एनआरएलएम ने 8।3 मिलियन एसएचजी के माध्यम से 89 मिलियन से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाया है। फंडिंग एजेंसियों और कॉर्पोरेट फाउंडेशनों को इन जमीन से जुड़े समूहों के साथ सहयोग करने से काफी लाभ होता है। इन समूहों के पास महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बनाए गए कानूनों, नीतियों, योजनाओं और प्रावधानों को जमीनी स्तर पर लागू कराने की शक्ति होती है।
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अभी भी चल रहा है काम
पर्याप्त प्रगति के बावजूद गहरी सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं और लगातार आर्थिक असमानताएं महिलाओं की उन्नति में बाधा डालती रहती हैं। लैंगिक वेतन अंतर, वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुंच और अपर्याप्त चाइल्ड केयर जैसी चुनौतियां हैं। यह अनिवार्य है कि कार्यस्थलों, सरकारों, कानून प्रवर्तन, न्यायपालिका, वित्तपोषण एजेंसियों, कॉरपोरेट फाउंडेशनों और नागरिक समाज संगठनों द्वारा मिलकर प्रयास किए जाएं।
केवल इन ठोस प्रयासों के माध्यम से ही प्रणालियां महिलाओं को उनके घरों और समुदायों के साथ-साथ कार्यबल में समान रूप से शामिल करने का समर्थन कर सकती हैं। यह विभिन्न स्तरों की महिलाओं पर निर्भर करता है जैसे शिक्षित,अशिक्षित, नियोजित, बेरोजगार, शहरी-निवासी और ग्रामीण-निवासी। हम अपने प्रयासों को अपने अनुभव के हिसाब से सुनाते हैं जिसमें बहिष्कार, भेदभाव, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की कहानियां शामिल हैं। इन सभी में सच्चे भारत कों विकसित करने की शक्ति है।
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