Human Brain: 10 फीसदी ही इस्तेमाल कर पाता है बड़ा से बड़ा जीनियस
Human Brain: अगर अचानक आपसे कोई सवाल करे कि दुनिया की सबसे जटिल और सबसे ताकतवर चीज क्या है? तो बिना समय गंवाए या कुछ आगा पीछा सोचे बिना आप कहत सकते हैं- Human Brain। जी, हां! इन्सान का दिमाग ताकत और जटिलता का ऐसा रहस्यलोक है जिसे अभी तक दुनिया पूरी तरह से नहीं जान पाई है। निस्संदेह ब्रह्मांड में एक से बढ़कर एक जटिल मशीनरीयां हैं, एक से एक सिंद्धात है लेकिन इन्सान के दिमाग के सामने ये सब कुछ भी नहीं है। इन्सान का दिमाग धरती ग्रह पर न सिर्फ सबसे जटिल चीज है बल्कि यह सबसे शक्तिशाली भी है। इन्सान की दिमाग की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इसमें हर रोज 70,000 से ज्यादा नये विचार आते हैं, ये अलग बात है कि बड़ा से बड़ा जीनियस भी अपने दिमाग का 10 फीसदी ही इस्तेमाल कर पाता है। 90 फीसदी दिमाग तो बड़े-बड़े जीनियसों का भी बिना इस्तेमाल किए रह जाता है तो सोचिए आम लोगों का क्या होता होगा।
20 फीसदी अकेले इस्तेमाल करता है
वैज्ञानिकों का मानना है आम लोग आम तौर पर पूरी जिंदगी में अपने दिमाग का दो से -सजयाई फीसदी ही इस्तेमाल करते हैं। इन्सान का दिमाग कितना ताकतवर है, इसका इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारा मस्तिष्क शरीर के कुल ऑक्सीजन और खून का 20 फीसदी अकेले इस्तेमाल करता है। इन्सान की दिमागी क्षमता का इस बात से भी अंदाजा लगता है कि हमारा मस्तिष्क 30 लाख घंटे की किसी वीडियो को भी न सिर्फ याद रख सकता है बल्कि डेढ़ से पांच सेकेंड के भीतर उसका एक रिव्यू इमेज भी बना लेता है। इन्सान अपने शुरुआती जीवन के तीन साल की घटनाओं को याद नहीं रख पाता है क्योंकि उस समय तक इन्सानी दिमाग का अग्र भाग यानी हिप्पोकैंपस भाग पूरी तरह से विकसित नहीं होता है।
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25 लाख गीगाबाइट डाटा स्टोर करने की क्षमता
तीन साल के बाद इन्सान अगर चाहे तो जिन्दगी की हर एक बात को याद रख सकता है। हां, उसे अपनी क्षमता का व्यवस्थित इस्तेमाल करना सीखना पड़ेगा। बहरहाल इन्सान के दिमाग की जटिलता और इसकी विशिष्टता इस बात से भी जानी जा सकती है कि हमारे मस्तिष्क में 100 अरब न्यूरान होते हैं। इन्सानी दिमाग की एक खासियत यह भी है कि अगर सर्जरी के द्वारा हमारे दिमाग का आधा हिस्सा भी निकाल दिया जाये तो भी हमारी स्मरण शक्ति में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हमारे मस्तिष्क में तकरीबन 25 लाख गीगाबाइट डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है और यह भी जान लीजिए कि इतना डाटा होने के बावजूद हमारा दिमाग इस पूरे डाटा को एक सेकेंड से भी कम समय में प्रोसेस कर सकता है, जबकि इतने कम समय में इतने डाटा को प्रोसेस करने की दुनिया की सबसे ताकतवर कंप्यूटर से भी कल्पना नहीं की जा सकती।
सूचनाओं का आदान प्रदान तेजी से
मानव मस्तिष्क एक सेकेंड में जितना डाटा प्रोसेस करता है, उतने डाटा को प्रोसेस करने के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर सुपर कम्प्यूटर को 40 मिनट का समय लगता है। इसीलिए तकनीक की यात्रा आज भी दिमाग के मुकाबले शुरुआती स्तर की ही है। एक इन्सान को अपने मस्तिष्क में किसी इमेज को प्रोसेस करने में महज 13 मिलीसेकेंड का समय लगता है। हमारा दिमाग सूचनाओं का आदान प्रदान इतनी तेजी से करता है कि तेज से तेज फार्मूला रेसिंग कार उसका मुकाबला नहीं कर सकती। हालांकि इतना ताकतवर होने के बावजूद अगर 5 से 6 मिनट तक इन्सान के दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिलती तो वह मर जाता है। हमें एक और सच्चाई जान लेनी चाहिए। हमें लगता है हम दिन भर जितने फैसले लेते हैं उन सबका निर्णय हमारा दिमाग लेता है, जबकि ऐसा नहीं है। हमारे 24 घंटे के 95 फीसदी से ज्यादा फैसले हमारा दिमाग नहीं बल्कि हमारा अवचेतन मन करता है। इन्सान की पूरी जिन्दगी में एक से डेढ़ फीसदी फैसले ही दिमाग से किए होते हैं। एक खाते पीते स्वस्थ आदमी के दिमाग का वजन लगभग 1।4 किलोग्राम होता है। हालांकि अगर दिमाग के वजन के हिसाब से देखें तो दुनिया में सबसे बड़ा दिमाग स्पर्म व्हेल का होता है, जो करीब 9 किलोग्राम का होता है।
क्या करना होगा?
भले हर किसी में अलग-अलग स्तर का दिमाग होता हो, लेकिन दिमाग के बारे में यह भी एक सच्चाई है कि हम इसकी ताकत को बढ़ा सकते हैं। कहने का मतलब यह है कि जिस तरह हम रोजाना के व्यायाम के जरिये अपने शरीर को संतुलित और ताकतवर बना लेते हैं, उसी तरह दिमागी कसरतों के जरिये हम अपने दिमाग को भी ताकतवर बना सकते हैं। सवाल है इसके लिए क्या करना होगा? आइये देखते हैं।
- – हर दिन किसी से बिना मतलब की मगर समझदारी भरी गुफ्तगू करनी चाहिए।
- – योग और कसरत शरीर की तरह मस्तिष्क को भी ताकतवर बनाते हैं।
- – गुस्से पर काबू रखना और हँसी मजाक करते रहना भी दिमाग की ताकत बढ़ाने का जरिया है।
- – धीमी आवाज में सुरीले गाने सुनने से और पौष्टिक आहार लेने से भी दिमाग स्वस्थ रहता है।
- – ….और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिस तरह हम अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं, उसी तरह दिमाग की भूख को भी मिटाने के लिए हमें ब्रेन गेम्स, पहेलियां और कई ऐसे ही खेल खेलने चाहिए, जिनमें हमें सोचने और विचारने की जरूरत पड़ती हो।
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