Indian Women’s Cricket: अपने सपने साकार करने कांटों भरी रहा पर चलना पड़ा का
Indian Women’s Cricket: भारत में महिला क्रिकेट अब उस मुकाम पर पहुंच गई है जहां युवा लड़कियों को रोल मॉडल के लिए पुरुष क्रिकेटरों के नाम लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनके सामने मिथाली राज, झूलन गोस्वामी आदि प्रेरणा के लिए मौजूद हैं। ICC अंडर-19 टी20 विमेंस वर्ल्ड कप में टीम की कप्तानी शेफाली वर्मा को सौंपी गई थी. शेफाली का कहना है, ‘बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट में बहुत पैसा निवेश किया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि अधिक से अधिक प्रतियोगिताएं जीतें।
प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता से ही महिला क्रिकेट का विकास होगा। हम जानती हैं कि यह करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी लेकिन साथ ही हमें पुरुष क्रिकेट के बराबर ही अच्छा होना होगा।’ टीम इंडिया ने इंग्लैंड को सात विकेट से पराजित कर अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया। भारतीय टीम की जीत में सभी खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी भूमिका को बखूबी निभाया।
भारतीय टीम के इस खिताबी सफर में सभी खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी भूमिका का शानदार तरीके से निर्वहन किया। भारतीय अंडर-19 विमेंस क्रिकेट टीम ने अपना पहला ICC अंडर-19 टी20 विमेंस वर्ल्ड कप जीत लिया है। टीम इंडिया ने टी 20 महिला वर्ल्ड कप को इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर अपने नाम किया. दोनों टीमों के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल साउथ अफ्रीका के पोचेस्ट्रूम मे खेला गया था।
अर्चना की प्रतिभा को पहचाना
अपने सपने साकार करने के लिए ये युवा लड़कियां अति कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हैं। अर्चना को ही ले लें। वह बहुत गरीब परिवार से आती है। उनकी मां सावित्री देवी के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि गांव से शहर स्कूल भेजने के लिए बस का दैनिक किराया भी दे सकें। पति के निधन के बाद 6 वर्ष पहले उनके छोटे बेटे की भी सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी।
छप्पर पड़ी झोपड़ी में रहने वाली सावित्री व उनके परिवार की रोटी 2 गायों का दूध बेचने से चल रही थी। फिर स्टार स्पिनर कुलदीप यादव के कोच कपिल पांडे ने उनकी बेटी अर्चना की प्रतिभा को पहचाना। उसे गंज मुरादाबाद के कस्तूरबा गांधी गर्ल्स स्कूल हॉस्टल में दाखिल कराया। इसके बाद हालात ऐसे हुए कि अर्चना को उच्च स्तर पर खेलने का अवसर मिला। गांव के जो लोग सावित्री देवी को बुरा-भला कहते थे कि उन्होंने अपनी लड़की को खेलने के लिए दूर भेज दिया, अब वे ही उन्हें मुबारकबाद देने के लिए आ रहे हैं।
रतईपुरवा की सावित्री देवी
उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के गांव रतईपुरवा की रहने वाली सावित्री देवी ने 29 जनवरी, 2023 को स्थानीय तौर पर बना एक इन्वर्टर खरीदा। हालांकि उनकी बेटी ने उन्हें हाल ही में एक नया स्मार्टफोन खरीद कर दिया था लेकिन वह कोई चांस नहीं लेना चाहती थीं। अगर उस दिन खेले जाने वाले पहले आईसीसी अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप के फाइनल के दौरान उनके गांव में पॉवर कट हो जाता तो वह अपनी बेटी अर्चना देवी को स्क्रीन पर खेलते हुए देखने से वंचित हो जातीं जिसका उन्हें जीवनभर मलाल रहता। भारत की हरफनमौला खिलाड़ी अर्चना ने अपनी मां को निराश नहीं किया।
Read more: Ravichandran Ashwin: 150 विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज़ बने अश्विन
उन्होंने फाइनल में 17 रन देकर 2 विकेट चटकाये और भारत की शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। अर्चना ने प्रतियोगिता में 7 मैच खेले और 13.12 की औसत से कुल 8 विकेट लिए। उनसे ज्यादा भारत के लिए सिर्फ पार्शवी चोपड़ा (11) और मन्नत कश्यप (9) ने विकेट लिए।
सौम्या तिवारी का पंच
पॉटशेफस्ट्रूम (दक्षिण अफ्रीका) में खेले गए फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 7 विकेट से पराजित किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की टीम तितस साधू (2/6), चोपड़ा (2/13) व अर्चना (2/17) की घातक गेंदबाजी के सामने 17.1 ओवर में मात्र 68 रन पर ढेर हो गई। जवाब में जब सौम्या तिवारी ने हन्नाह बेकर की गेंद को कवर्स में पंच किया तो भारत की गोल्डन गर्ल्स ने 7 विकेट की जीत के साथ पहले आईसीसी अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप की ट्राफी अपने नाम कर ली।
यह सफलता इस तथ्य का संकेत है कि महिला क्रिकेट में भारत ने प्रभावी विकास किया है। यह जीत इस लिहाज से भी अधिक महत्वपूर्ण है कि यह पहला अवसर है जब भारतीय महिलाओं ने कोई आईसीसी ट्राफी जीती है। इससे पहले वह सफलता के बहुत करीब पहुंचकर आखिरी फ्रंटियर को पार करने में असफल ही होती रही थीं।
शेफाली वर्मा के टूटे सपनों पर मरहम
सीनियर टीम 50 ओवर फॉर्मेट में 2005 व 2017 में रनरअप रही और 2020 में टी-20 के विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। खैर, जहां अंडर-19 विश्व कप जीत युवा महत्वाकांक्षी लड़़कियों के लिए आगे बढ़ने का स्टेपिंग स्टोन रहा वहीं भारत की मुख्य कोच नोशीन अल-कदीर और कप्तान शेफाली वर्मा के लिए टूटे सपनों पर मरहम लगने जैसी बात रही।
नोशीन 2005 में एकदिवसीय विश्व कप फाइनल हारने वाली भारतीय टीम की सदस्य थीं और शेफाली ने 3 वर्ष पहले मेलबर्न में टी-20 विश्व कप के फाइनल में पराजय देखी थी। शेफाली के लिए तो अंडर-19 की जीत इस लिहाज से भी विशेष रही कि फाइनल से एक दिन पहले ही वह 19 वर्ष की हुई थीं। यह ट्राफी उनके लिए परफेक्ट बर्थडे गिफ्ट रही।
Read more: Ravi Shastri on Indian Team: खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज सकारात्मक नहीं
कई लड़कियों ने छोड़ी छाप
हालांकि शेफाली व ऋचा घोष, जो सीनियर टीम में भी खेलती हैं, से उम्मीद थी कि वे अंडर-19 की टीम को अपने कंधों पर लेकर आगे बढ़ेंगी लेकिन प्रतियोगिता में ताबड़तोड़ बैटर श्वेता शेहरावत, लेग स्पिनर पार्शवी चोपड़ा, मीडियम पेसर तितस साधू, आल राउंडर अर्चना देवी, लेफ्ट आर्म स्पिनर मन्नत कश्यप, बैटर गोंगादी तृषा आदि ने अपने खेल से अधिक प्रभावित किया। भविष्य में सीनियर स्तर पर भी इनके बारे में अधिक सुनने को मिल सकता है।
अब तो आईपीएल की तर्ज पर भारत में महिला प्रीमियर लीग भी खेली जायेगी। इसलिए इन लड़कियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अधिक अवसर मिलेगा। इस लीग के ब्रॉडकास्ट राइट्स 951 करोड़ रुपये में बिके हैं और 5 टीमों को खरीदने के लिए कॉरपोरेट जगत ने 4,699 करोड़ रुपये का निवेश किया है।