Jasprit Bumrah – करामाती गेंद से भारत के लिए जीत के दरवाजे खोले
Jasprit Bumrah: 1983 ओडीआई विश्व कप के विजेता कप्तान और लीजेंडरी तेज गेंदबाज कपिल देव, बुमराह को अपने से 1000 गुना बेहतर गेंदबाज मानते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि वसीम अकरम आज तक के सर्वश्रेष्ठ लेफ्ट-आर्म तेज गेंदबाज हैं लेकिन बुमराह के बारे में कहते हैं, ‘बुमराह इस समय विश्व में बेस्ट हैं, सीढ़ी के सबसे ऊपरी पायदान पर। गेंद पर नियंत्रण, पेस व विविधता के कारण वह सम्पूर्ण गेंदबाज बन गए हैं। उन्हें गेंद करते हुए देखने में मजा आता है।
नई गेंद से जो उन्हें किसी भी प्रकार की पिच पर जो मूवमेंट मिलता है, वह अदभुत है और फिर पुरानी गेंद से भी वह रिवर्स स्विंग की काबलियत रखते हैं।’ बोलिंग क्रीज की तरफ अनियंत्रित अंगों से दौड़ते हुए, सीने को सामने रखकर और फिर एकदम सीधे हाथ से बहुत तेज गेंद करना, वह भी निशाने पर- बुमराह यह कुछ निरंतर सफलता के साथ उच्चस्तर पर कैसे कर लेते हैं, यह विशेषज्ञों के लिए भी अभी तक रहस्य बना हुआ है। (बुमराह भी इसका कारण नहीं जानते हैं)। इस प्रकार की स्वीकृति अनंत है।
जीनियस हैं, जादूगर हैं
बुमराह जीनियस हैं, जादूगर हैं और अगर बॉक्सर मुहम्मद अली के बाद किसी खिलाड़ी को ‘द ग्रेटेस्ट’ कहा जा सकता है तो वह जसप्रीत बुमराह हैं। यह तो था बुमराह का वाइट बॉल से कमाल। अब रेड बॉल से भी उनके जादू को संक्षेप में याद कर लेते हैं। इस साल के शुरू में इंग्लैंड के विरुद्ध विशाखापत्तनम में दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन जसप्रीत बुमराह ने जिस शानदार गेंद पर जो रूट को आउट किया, उसमें थोड़ी सी रिवर्स स्विंग थी लेकिन बुमराह की गेंदबाजी का यह सार नहीं है।
जॉनी बेयरस्टो को उन्होंने गेंद से कम अपने दिमाग से अधिक अपने जाल में फंसाया था कि लम्बे समय तक इनस्विंगर फेंकते रहे और फिर वाइड, लेंथ बॉल की जिसे बेयरस्टो एज कर बैठे। बेन स्टोक्स को आउट करने के लिए बुमराह ने पिच की असमतल उछाल का भरपूर फायदा उठाया लेकिन जिस गेंद ने वास्तव में ओली पोप, इंग्लैंड और संभवतः सम्पूर्ण क्रिकेट मेटावर्स को आश्चर्य में डाल दिया, वह हवा में लहराती हुई तेज यॉर्कर थी जिसने पोप के स्टंप्स को उखाड़ दिया। इस गेंद ने हमें बताया कि जसप्रीत बुमराह के संसार में सब कुछ संभव है।
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बल्लेबाज शॉन मार्श जाल में फंसकर आउट हो गए
बुमराह की कला का एक और बेहतरीन नमूना याद कीजिये। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध बॉक्सिंग डे टेस्ट के चौथे दिन भारतीय गेंदबाज कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे थे। लंच से पहले की आखिरी गेंद फेंकने के लिए जैसे ही बुमराह अपने रन-अप मार्क पर पहुंचे तो रोहित शर्मा (जो अब भारतीय कप्तान भी हैं और उस समय विराट कोहली कप्तान थे) ने उनसे कहा, ‘आखरी गेंद है, तुम धीमी गेंद क्यों नहीं ट्राई करते। वाइट बॉल क्रिकेट में तो तुम इसका खूब प्रयोग करते हो तो यहां क्यों नहीं ट्राई करते?’ रोहित के सुझाव पर बुमराह ने धीमी यॉर्कर डाली और सेट बल्लेबाज शॉन मार्श जाल में फंसकर आउट हो गए। यह गेंद वर्ष 2018 की सर्वश्रेष्ठ गेंद के रूप में खेल प्रेमियों की याद में चस्पां हो गई है।
एक नया रूप दिखाया था
बहरहाल, जब दुनियाभर के वीडियो समीक्षक बुमराह की अंदर आती हुई तेज गेंदों (इन-डिपर) की समीक्षा करने में लगे हुए थे तो बुमराह ने अपना एक नया रूप दिखाया था, एंटीगुआ में उन्होंने लेट आउटस्विंग गेंदें फेंकीं और मात्र 7 रन देकर 5 विकेट लिए। उन्होंने जिस जिस गेंद पर विकेट लिए, वह राइट-हैंड बल्लेबाज से बहार निकली और लेफ्ट-हैंड बल्लेबाज के लिए अंदर आयी। पांच विकेट लेने में उनसे कम रन सिर्फ 2 अन्य गेंदबाजों ने दिए हैं। ऑस्ट्रेलिया के एर्नी तोशैक ने 1947-48 में बिस्ब्रेन में भारत के विरुद्ध मात्र 2 रन देकर 5 विकेट लिए थे और ऑस्ट्रेलिया के ही बर्ट आयरनमोंगर ने 1931-32 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6 रन देकर 5 विकेट लिए थे जबकि दक्षिण अफ्रीका के वेरनों फिलैंडर ने 2012-13 में केप टाउन में न्यूजीलैंड के विरुद्ध 7 रन देकर ही 5 विकेट लिए थे।
इसलिए यह ताज्जुब की बात नहीं है कि एशिया में पाकिस्तान के वक़ार यूनुस (27 टेस्ट) के बाद बुमराह (34 टेस्ट) तेज गेंदबाजों में सबसे तेज 150 टेस्ट विकेट लेने के मामले में दूसरे स्थान पर हैं। यह अलग बाद है कि इस जादुई आंकड़े को स्पर्श करने के मामले में भारत में स्पिनर्स आर अश्विन (29 टेस्ट, 2015) व रवींद्र जडेजा (32 टेस्ट, 2017) उनसे आगे हैं और एरापल्ली प्रसन्ना (34 टेस्ट, 1975) व अनिल कुंबले (34 टेस्ट, 1997) उनके साथ हैं।
सलाह सुनने व मानने के लिए हरदम तैयार
बुमराह न सिर्फ सलाह सुनने व मानने के लिए हरदम तैयार रहते हैं बल्कि उनमें जो गजब की प्रतिभा है उसके कारण पूर्ण नियंत्रण के साथ तय की गई योजना को व्यावहारिक रूप भी दे देते हैं और यह काम वह चूंकि तीनों फॉर्मेट- टेस्ट, एक दिवसीय व टी-20 में बराबर की योग्यता से करने में सक्षम हैं, इसलिए उन्हें विशेषज्ञ वर्तमान समय का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज कह रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब वह सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज कहलाये जायेंगे। ब्रिजटाउन (बारबाडोस) में 29 जून, 2024 को आईसीसी टी-20 विश्व कप के नवें सत्र के फाइनल में भारत ने 177 रन का लक्ष्य रखा था जिसे अच्छे खेल रहे विकेट पर दक्षिण अफ्रीका के लिए हासिल करना मुश्किल न था।
इसलिए कप्तान रोहित शर्मा को गेंद से अच्छी शुरुआत चाहिए थी ताकि एडन मार्करम की टीम को दबाव में लाया जा सके। इसके लिए रोहित के पास एक ही हथियार था- जसप्रीत बुमराह। फॉर्मेट चाहे जो हो, गेंद का रंग चाहे जो हो, पिच से गेंदबाजों को मदद मिल रही हो या न मिल रही हो, बैटर जमा हुआ क्यों न हो …लेकिन बुमराह है तो कमाल तय है। इस दिन भी बुमराह ने निराश नहीं किया बल्कि कहना चाहिए जादू किया। सामने दक्षिण अफ्रीका के सलामी बैटर रीजा हेंड्रिक्स थे। बुमराह की गेंद पहले कोण बनाती हुई प्रतीत हुई लेकिन जब परफेक्ट सीम पर लैंड की तो पहले स्लिप की ओर मुड़ गई और ऑफ स्टंप उखाड़ते हुए निकल गई। बुमराह ने अपनी करामाती गेंद से भारत के लिए जीत के दरवाजे खोल दिए थे। भारत (2007, 2024) ने इंग्लैंड (2010, 2022) व वेस्टइंडीज (2012, 2016) के बाद दूसरी बार टी-20 विश्व कप ट्राफी उठाने का श्रेय प्राप्त किया जबकि पाकिस्तान (2009), श्रीलंका (2014) व ऑस्ट्रेलिया (2021) ने यह कारनामा अभी तक एक-एक बार ही किया है।
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बिना कोई मैच हारे विजेता बनी टीम
भारत की 2024 की जीत इस लिहाज से अधिक शानदार है कि इस प्रतियोगिता में पहली बार कोई टीम बिना कोई मैच हारे विजेता बनी है। हालांकि क्रिकेट टीम गेम है और जीत में सभी का योगदान कम या ज्यादा होता है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि बुमराह का प्रदर्शन अधिक नुमायां व प्रभावी रहा जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट से सम्मानित किया गया। बुमराह ने इस विश्व कप में कुल 15 विकेट लिए। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं कि लगभग सभी क्रिकेट विशेषज्ञ बुमराह को वर्तमान युग का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज मानते हैं। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा कि ‘मेरा मानना है कि बुमराह सर्वकालिक महानतम वाइट बॉल सीम गेंदबाज हैं।’ वहीं गेंदबाज इरफान पठान का कहना है कि ‘हम भारतीय किस्मत के धनी हैं कि जसप्रीत बुमराह के रूप में हमारे पास महानतम वाइट-बॉल गेंदबाज है।’
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