Science of Success: ऐसे लोगों को दोस्त बनाएं जो सपने देखते हों
कुछ लोग जीवन में इसलिए भी नहीं सफल हो पाते, क्योंकि असफलता के डर से वह कभी कोई प्रयोग नहीं करते, कोई जोखिम नहीं लेते। जब हम ऐसा करते हैं तो असफल होने से बच पाना लगभग असंभव होता है और सफलता तो किसी भी रूप में नहीं मिलने वाली। जाहिर है सफलता पाने के लिए हमें जोखिम लेना भी सीखना होगा और गलतियां करने का साहस भी करना होगा। सफल होने का एक प्रमुख सूत्र यह भी है कि हम लगातार अपने होने का मूल्य बरकरार रखें। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम जहां पर सक्रिय हों, वहां हम महत्वपूर्ण माने जाएं। अगर हम अपनी मौजूदगी में महत्वपूर्ण नहीं होते तो हमारे लिए किसी भी लक्ष्य को साधना भी आसान नहीं होता। अगर हम अपने मूल्यों की रक्षा कर सकते हैं तो अपने लक्ष्य को पाने के लिए जी जान लड़ा सकते हैं।
यह कहने की बात है कि हम अपने मन से संचालित होते हैं, हमें अपने इर्दगिर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता। हकीकत में ऐसा नहीं है। हकीकत में हमें फर्क पड़ता है। अगर हम अपने इर्दगिर्द के लिए ऐसे लोगों को चुनेंगे जो हमारी तरह ही महत्वाकांक्षी हों, हमारी तरह ही सफल होने के सपने देखते हों और हमारी तरह ही उनके अपने लक्ष्य हों। ऐसे लोगों के आसपास होने से हम लगातार प्रेरित और मोटीवेटेड होते रहते हैं और जिस भी क्षेत्र में होते हैं, वहां सफलता पाने के हमारे अनुमान कई गुना ज्यादा बेहतर हो जाते हैं। सही लोग हमें प्रोत्साहित करते हैं, हमें ऊर्जा देते हैं और हमें नया कुछ सोचने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इसलिए हमारे इर्दगिर्द हमेशा ऐसे लोग होने चाहिए, जैसा होना हमारी ख्वाहिश हो।
लक्ष्य के प्रति फोकस जरूरी
खुद को अपने लक्ष्य के प्रति फोकस में बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है। यह चुनौती तभी सधती है, जब हम इसके लिए एक विशिष्ट कार्य योजना बनाएं और उसे अपनाएं। मसलन अपने लक्ष्य में हर समय फोकस रहना चाहिए और अपने साथ एक ऐसी पॉकेट डायरी रखनी चाहिए, जिसमें हमारे लक्ष्य लिखे हों और उन्हें हम दिन में कई बार निकालकर देख लें। अपने ज्यादातर काम हम तब करें जब ऊर्जा से लबालब हों और हां, काम करने के पहले भी काम का एक शिड्यूल बना लें, उन्हें विविधवत विभाजन कर लें। खुद के लिए एकांत और शोरशराबे से दूर रहने का प्रबंधन कर लें।
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अगर यह संभव न हो तो कान में हेडफोन लगा लें और अपने मस्तिष्क को काम पर नियमित रूप से केंद्रित रखने के लिए प्रशिक्षित करें। जो उपकरण बार बार हमें लक्ष्य से भटकाए, उसे एक तरफ रख दें, विशेषकर मोबाइल फोन और फिर तल्लीनता से अपने लक्ष्य में डूब जाएं। मशहूर अमेरिकी लेखक नेपोलियन हिल की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब ‘थिंक एंड ग्रो रिच’ में साइंस ऑफ सक्सेज का जो फार्मूला बताया गया है, उसके मुताबिक अगर हम सफल होना चाहते हैं तो इसका सबसे सटीक विज्ञान यही है कि हम अपने इर्दगिर्द की हर बात से खुद को काटकर अपने किये जाने वाले काम पर डूब जाएं।
कारगर विधि अपनाएं
वास्तव में अपने लक्ष्य पर फोकस करना और लगातार फोकस में बने रहना ही साइंस ऑफ सक्सेज है। हालांकि यह सुनने में जितना आसान लगता है, उतना आसान होता नहीं है। उन लोगों से तो खास तौरपर नहीं होता, जो लोग इसे हल्के में लेते हैं और इसके लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया नहीं अपनाते। वैसे अपने काम में ध्यान केंद्रित करने के एक नहीं कई तरीके होते हैं ये तरीके तभी कारगर होते हैं, जब हम अपने मस्तिष्क को केंद्रित करने की कोई कारगर विधि अपनाएं। दूसरे शब्दों में अपने काम पर फोकस करने के लिए मस्तिष्क की एकाग्रता जरूरी है। हर दिन के हिस्से का काम अगर हम उसी दिन कर लेते हैं तो न सिर्फ काम में लगातार मन लगा रहता है बल्कि यह हमें उत्साहित भी करता है।
शुभचिंतकों की मौजूदगी सुनिश्चित करें
दिन में काम शुरू करने के पहले मन ही मन एक तात्कालिक लक्ष्य भी निर्धारित करें और उस लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने की कोशिश करें। बेहतर तरीके से हमारा मन किसी काम में तभी लगता है, जब हम अपने विचारों और भावनाओं को भी अपने लक्ष्य के साथ जोड़ लेते हैं। इससे मन और मस्तिष्क में दो अलग अलग धाराएं नहीं रहतीं। दुनिया में जितने भी सफल लोग हैं, उन सबके पास अपना मौलिक सक्सेज ऑफ साइंस होता है।
इसका दूसरे शब्दों में मतलब यह होता है कि साइंस ऑफ सक्सेज कोई निश्चित और तकनीकी रूप से एक ही अवधारणा नहीं होती बल्कि हम जिस भी तरह से खुद को बेहतर कन्विंस कर सकें, वही साइंस ऑफ सक्सेज का सबसे ठोस तरीका और फार्मूला होता है। कुछ लोग अपने लक्ष्य को हासिल करने में तब तक सफल नहीं होते, जब तक उन्हें किसी अन्य से इस मामले में जबरदस्त प्रेरणा न मिले। अगर आपकी भी यह समस्या है तो अपने इर्दगिर्द कुछ ऐसे शुभचिंतकों की मौजूदगी सुनिश्चित करें, जो आपको लगातार सफल होने के लिए प्रेरित करते रहें।
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