Sports Industries: 2022 में भारत का खेल राजस्व बढ़कर 14,000 करोड़
Sports Industries: खेलों में भारत की बढ़ती ताकत का संकेत बढ़ता हुआ भारतीय खेल उद्योग भी दे रहा है। साल 2022 में भारत का खेल राजस्व बढ़कर 14,000 करोड़ रुपया हो गया जो कि काफी आकर्षक धनराशि है। अगर इस दौरान भारत में खेल उद्योग की प्रगति को देखें तो यह 49 फीसदी के आसपास बैठती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ सालों में खेल के क्षेत्र में कितनी जबरदस्त प्रगति हुई है। साल 2021-22 में खेल उद्योग का कुल राजस्व 9,530 करोड़ रुपये था।
हालांकि खेल राजस्व में अभी भी सबसे बड़ी भागीदारी लगभग 85 फीसदी क्रिकेट की बनी हुई और बाकी 15 प्रतिशत में दूसरे सभी खेल हिस्सेदारी करते हैं। यह अपने आप में एक बेहद असंगत यानी गैर बराबरी का आंकड़ा है लेकिन अब क्रिकेट के साथ-साथ दूसरे खेलों में भी भारत तेजी से अपनी जगह बना रहा है। सवाल है कि हाल के सालों में ऐसी क्या बात हुई है कि खेलों की दुनिया में हम तेजी से आगे बढ़ें हैं?
निश्चित रूप से इसमें देश के केंद्रीय नेतृत्व की सोच और इस दिशा में उसके द्वारा किया गया निवेश भी इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह जरूरी भी है क्योंकि हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं और युवा तो ऊर्जा का प्रतीक होते हैं जिनके केंद्र में विभिन्न तरह के खेल भी होते हैं। वास्तव में जिस तरह से भारतीय राजनीति में नये विमर्श की जगह खेल ले रहा है, उसके चलते अगर अगले 25 सालों में जिसे अमृतकाल कहा जा रहा है, भारत एक बड़ी खेल ताकत बनकर उभरे तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
कई खेलों में शानदार प्रदर्शन भारतीय खिलाड़ियों का
हमने पिछले कुछ सालों में कई खेलों में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करायी है और दुनिया को संकेत दिया है कि हम इन खेलों में बड़ी ताकत बनकर आ रहे हैं। जिन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने पिछले कुछ सालों में शानदार प्रदर्शन किया है उनमें हैं क्रिकेट, शूटिंग, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, शतरंज, एथलेटिक्स, विलियर्ड, स्नूकर, हॉकी और कुश्ती। निश्चित रूप से इनमें से कई खेलों में हम पहले भी कई बार महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करते रहे हैं लेकिन उसमें निरंतरता नहीं रहीं। फिलहाल जितने खेलों का यहां जिक्र किया गया है, इसमें भारत अपनी स्थिति अब लगातार मजबूत कर रहा है।
हालांकि टेनिस और गोल्फ में भी हाल के सालों में भारत ने कई शानदार प्रदर्शन किए हैं। मौजूदा एशियाई खेलों में भी रोहन बोपन्ना और उनकी साथी भोंसले ने मिलकर मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता लेकिन जिस तरह शूटिंग, शतरंज, बैडमिंटन या मुक्केबाजी अथवा कुश्ती में हमारी चेन मजबूत हुई है वैसी चेन अभी इन खेलों में नहीं बनी लेकिन भारत निश्चित रूप से अगले एक दशक में कम से कम 20 खेलों में दुनिया के किसी भी देश को टक्कर देने वाली ताकत बनकर उभर सकता है।
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नये खिलाड़ी उभर रहे हैं
टेबल टेनिस, फुटबॉल, लॉन टेनिस में तेजी से भारत में नये खिलाड़ी उभर रहे हैं। मोदी सरकार ने भी आशा व्यक्त की है कि अगले 5 साल में खेलों के लिए मौजूद बजट को 5 गुना तक बढ़ा दिया जाएगा। निश्चित रूप से सरकार द्वारा बजट बढ़ाने से देश में खेलों के विकास में आसानी होगी, खेलों के लिए माहौल बनेगा लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि हमारे यहां स्वस्थ खेल प्रतिस्पर्धाएं संपन्न हों।
इन प्रतिस्पर्धाओं में कोई राजनीति न हो। इसके लिए जरूरी है कि खेल संगठनों या संस्थाओं में राजनेताओं की जगह महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को लाया जाना चाहिए। वास्तव में सभी तरह के खेल संगठन और खेल संस्थान रिटायर्ड खिलाड़ियों के हाथ में ही होने चाहिए तभी देश में खेलों के लिए खुला वातावरण बनेगा और युवाओं में इसके लिए और ज्यादा जोश भी बढ़ेगा।
62 पदक जीत चुका है
हांगझोऊ में इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक चल रहे 19वें एशियाई खेलों में भारत कुल 62 पदक जीत चुका है और अभी आयोजन के 5 दिन बाक़ी हैं जिसमें 4 दिनों तक कई प्रतिस्पर्धाओं में भारत हिस्सा लेगा। इससे अब साफ लगने लगा है कि हम इस बार तय किये गए 100 पदकों का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। गौरतलब है कि अभी तक हिंदुस्तान ने जो 62 पदक जीते हैं उसमें 13 गोल्ड, 24 सिल्वर और 25 ब्रांजपदक हैं। अगर भारत के अब तक इन खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बात करें तो साल 1951 में हम पहले एशियाई खेलों में, जो कि नई दिल्ली में आयोजित हुए थे,
पदक तालिका में दूसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन तब हमारे कुल जीते हुए पदक महज 51 थे जिसमें 15 स्वर्ण पदक थे। इसके बाद हमने अपना दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चौथे एशियाई खेलों में किया जो कि 1962 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित हुआ था। हालांकि इन खेलों में पदक तो हमने कुल 33 ही जीते थे, जिनमें 10 स्वर्ण पदक थे लेकिन हमारी रैंक तीसरी थी। जहां तक सबसे ज्यादा पदकों का सवाल है तो अब के पहले हमने 69 पदक साल 2018 में जकार्ता में ही जीते थे जो कि एशियाई खेलों का 18वां संस्करण था। जकार्ता में हमने 15 गोल्ड, 24 सिल्वर और 30 ब्रांज जीते थे। रैंक की बात करें तो इन खेलों में हमारी रैंक 8वीं थी।
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क्रिकेट में बादशाहत का डंका
आबादी के लिहाज से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है और आज तक हमारा इसी वजह से खेलों की बात छिड़ते ही मजाक उड़ाया जाता रहा है कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाला देश होते हुए भी हम वैश्विक खेल आयोजनों में इतने पिछड़े क्यों रहते हैं।
अब धीरे-धीरे जिस तरह भारत अर्थव्यवस्था से लेकर विकास के दूसरे क्षेत्रों में अपनी धाक जमा रहा है, उसी क्रम में खेलों में भी हम लगातार विभिन्न वैश्विक प्रतिस्पर्धाओं में अपनी ताकत दिखा रहे हैं। चाहे नीरज चोपड़ा का बार-बार विश्व की बड़ी प्रतियोगिताओं में भाला फेंक प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण या रजत पदक जीतना हो या क्रिकेट की दुनिया में बार-बार हमारी बादशाहत का बज रहा डंका हो, भारत एक बड़ी खेल ताकत के रूप में उभर रहा है।
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