Digital Revolution – भविष्य में आएंगे स्मार्ट बेल्ट बाजार में
Digital Revolution: पिछला दशक तकनीक के विकास के मामले में हमारी जिंदगी में क्रांति लेकर आया है। इसने एक तरह से कई वैज्ञानिक आविष्कारों की नींव रख दी है। 1712 के आसपास भाप से चलने इंजन की खोज के लगभग 200 वर्षों के बाद भी दुनिया में मशीनी क्रांति चलती रही। बिजली के आविष्कार औद्योगिक क्रांति का कारण बने जो एक सदी से भी ज्यादा चली। 20वीं सदी में इंटरनेट ने कंप्यूटर क्रांति के लिए रास्ता बना दिया। हालांकि, पिछले दशक में आई डिजिटल क्रांति ने पूरी दुनिया के काम करने का तरीका बदल दिया।
फीचर फोन से टच स्क्रीन तक
पिछले एक दशक में मोबाइल फोन फीचर फोन से टच स्क्रीन तक पहुंच गए हैं। जिस फोन की कीमत 10 साल पहले 25 हजार रूपये से ज्यादा थी वो अब 4000 रूपये तक सिमट गई और कई लोगों के बजट में आ गई। बड़ी रैम साइज, अल्ट्रा स्पीड प्रोसेसर्स, बड़ी इंटरनेट स्टोरेज, मेगा पिक्सल कैमरा, वायरलैस ब्लूटुथ हैड फोन्स, ब्लूटुथ स्पीकर्स और पावरबैंक अब आम बात हो गए हैं। वायरलैस चार्जर्स, सेल्फी कैमरा, सेल्फी स्टिक्स, फिंगर प्रिंट स्कैनर्स, चेहरे की पहचान (फेशियल रिकॉगिनेशन) और मोबाइल फोन के लिए आईरिस कैमरा लॉक ने मोबाइल फोन के फीचर्स में जैसे क्रांति ला दी। इस दशक में आई पैड और टैबलेट भी उभरकर आए हैं। साल 2010 से पहले विंडोज, मैकिन्तोश, लेनक्स ही ऑपरेटिंग सिस्टम हुआ करते थे। हालांकि, साल 2008 में एंड्रॉइड सिस्टम लॉन्च हुआ था लेकिन वो ज्यादा प्रचलित नहीं था। यहां तक कि एप्पल भी अपने आईओएस को लगातार अपडेट कर रहा था।
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3जी से 5जी का सफर
दशक की शुरुआत में आया 3जी डाटा नेटवर्क अब 5जी तक पहुंचने वाला है जिसने लोगों को इंटरनेट का बेहतरीन अनुभव दिया है। डाटा का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लोगों ने 7।1 खरब मेगाबाइट डाटा का इस्तेमाल किया है और 2022 तक इसके 110 खरब मेगाबाइट होने की संभावना है। एरिकसन के मुताबिक साल 2018 में भारत में यूजर्स ने हर महीने 9।8 गीगाबाइट डाटा का इस्तेमाल किया है। इस सेक्टर में हुई वार्षिक वृद्धि 72।5 प्रतिशत से ज्यादा है और अगर 5जी डाटा भारत में आता है तो और ये बढ़ सकती है।
एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट बने पर्सनल सेक्रेटरी
पिछले एक दशक में लोगों के लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव आया है। सेहत से जुड़ी जानकारी देने वाली फिटनेस और स्मार्टवॉच लोगों की ज़िंदगी में जगह बना चुकी है। स्मार्टवॉच साल 2017 तक खास चलन में नहीं थी। लेकिन फिर सैमसंग और एप्पल जैसी कंपनियों ने ऐसी घड़ियां निकालीं जो लोगों के बजट में आ सकती थीं। इसके बाद स्मार्टवॉच की मांग बढ़ गई। इनकी कनेक्टिविटी और सेहतमंद रखने में मदद करने की क्षमता के चलते ये लोगों को पसंद आने लगीं। नालामोटू श्रीधर कहते हैं कि भविष्य में और भी स्मार्ट गैजेट्स और स्मार्ट बेल्ट बाजार में आने वाले हैं। इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ने से ऐसे गजेट्स का इस्तेमाल भी बढ़ा है जो इंटरनेट के ज़रिए काम करते हैं। एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट ने पर्सनल सेक्रेटरी की जगह ले ली है। वॉयस कमांड के जरिए लोग घर के किसी भी कोने से घर के सामान को चला सकते हैं। अमरीका जैसे देशों में डिजिटल होम्स पहले से ही इस्तेमाल हो रहे हैं। होम थियेटर पर फ़िल्म चलाने की कमांड के साथ ही रोशनी मद्धम हो जाती है और एसी अपने आप शुरू हो जाता है। इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इंटरनेट से जुड़ना इस दशक में हुआ सबसे महत्वपूर्ण विकास है। इसके आने वाले दिनों में और बढ़ने की संभावना है।
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बिना ड्राइवर की कारें और ड्रोन का इस्तेमाल
इस दशक में बिना ड्राइवर की कारें (सेल्फ ड्राइविंग कारें) भी सड़कों पर उतरी हैं। टेस्ला जैसी कंपनियों की इन कारों की बाज़ार में मांग है। इंटरनेट से लिंक करके, गूगल मैप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके ये कारें लोगों को बिना किसी जोख़िम के उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं। कई बड़ी कंपनियां सेल्फ-ड्राइविंग कारें बनाने पर काम कर रही हैं। श्रीधर कहते हैं कि हो सकता है कि ये कारें भारत के लिए सही न हों। यहां पर सेल्फ-ड्राइव कारों के साथ डाटा सुरक्षा से जुड़े मसले हैं। इस दशक में ड्रोन को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। ड्रोन कैमरे से आसमान से ज़मीन के विजुअल लेने में आसानी होती है। एयर टैक्सी जैसे विकल्प इसके चलते ही संभव हुए हैं जिससे लोगों को ट्रैफ़िक जाम में फंसने से निजात मिल सकती है। उबर कंपनी ने घोषणा की थी कि वो लॉस एंजेलिस, डलास और मेलबर्न में एयर टैक्सी शुरू करने वाली है। उसने ड्रोन टैक्सी को लेकर एक बयान जारी किया था। इस बयान के मुताबिक साल 2020 तक टेस्ट फ्लाइट लॉन्च की जाएगी और 2023 तक कर्मिशियल सेवाएं शुरू हो जाएंगी। भारत में बैंगलुरू में एयर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। भारत सरकार ने ड्रोन के इस्तेमाल के संभावित ख़तरों को देखते हुए नीति तैयार की है।
मोबाइल गेम की दुनिया और मोबाइल ट्रांजेक्शंस
जिस ऑनलाइन गेम के लिए हाई कॉन्फिगरेशन कंप्यूटर्स की जरूरत होती थी वो अब स्मार्टफोन्स में समा गए हैं। एंग्री बर्ड, पोकेमॉन गो, और पब जी जैसे वीडियो गेम्स अब लोगों को गेम खेलने के लिए वर्चुअली जोड़ रहे हैं। ये गेम वर्चुअल ग्राफिक्स में भी उपलब्ध हैं। सॉफ्टवेयर डेवलपर साई अशोक कहते हैं कि रियल गेमिंग एक्सपीरियेंस और गेम्स के लिए खासतौर पर बने मोबाइल भविष्य में बाजार में आने वाले हैं। मोबाइल ट्रांज़ेक्शंस जो एक समय पर बहुत सीमित थे वो अब गूगल पे, पेटीएम और फोन पे से काफ़ी आसान हुई है और लोग तुरंत भुगतान कर पा रहे हैं। भारत में इन ऐप्स का इस्तेमाल बढ़ने में नोटबंदी ने भी भूमिका निभाई है लेकिन स्मार्ट फोन का बढ़ता इस्तेमाल भी इसका एक अहम कारण है। साल 2016 में जहां 0।6 अरब मोबाइल ट्रांजेक्शंस हुए थे वहीं 2019 में बढ़कर 17 अरब हो गए।
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ऑनलाइन शॉपिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
पिछले एक दशक में ऑनलाइन खरीदारी बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत में लोगों ने ग्रॉसरी, महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान और घर के सामान से लेकर सोना तक ऑनलाइन खरीदना शुरू कर दिया है। अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और मिंत्रा ने रिटेल आउटलेट्स पर काफ़ी असर भी डाला है। ऑनलाइन शॉपिंग से खरीदारी में आसानी और समय बचने से लोगों में इसे लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। भारतीय बाजार में 2014 में आई अमेजन कंपनी के पांच साल के अंदर ही करोड़ों ग्राहक हो गए। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए काम कर रही हैं। एआई की मदद से हमारी ज़िंदगी में रोबोटिक्स का इस्तेमाल दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इसका इस्तेमाल खिलौनों में भी किया जा रहा है। रेलवे की टिकट बुकिंग, फिटनेस गजेट में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये स्टॉक मार्केट और बिजनस मैनेजमेंट में भी इस्तेमाल हो सकता है।
भारत में सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल बढ़ा
भारत में सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल बढ़ा है। व्हाट्सऐप और वाइबर जैसे एप्स ने लोगों के बात करने का पूरा तरीका ही बदल दिया है। ‘वी आर सोशल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल दुनियाभर में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या 13 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। भारत में ये दर 31 प्रतिशत है। जनवरी 2018 तक भारत में एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर बिताया जाने वाला औसत समय दो घंटा 26 मिनट था। सोशल मीडिया इस्तेमाल के मामले में तीन घंटे 57 मिनट के साथ फिलीपिन्स सबसे ऊपर है। जापान में ये औसत समय 48 मिनट है। ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, हैलो और शेयर चैट भी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में घुलमिल गए हैं। टिकटॉक मोबाइल यूजर्स के लिए एक अलग ही अनुभव लेकर आया है।
क्लाउड स्टोरेज, बड़ा डाटा
पिछले दशक में टीवी का इस्तेमाल भी पूरी तरह बदला है। एलसीडी, एलईडी टीवी एक स्मार्ट टीवी की तरह काम करने लगे हैं। अमेज़न प्राइम, नेटफ्लिक्स और हॉट स्टार टीवी देखने के पैटर्न में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए हैं। पिछले एक दशक में क्लाउड स्टोरेज बहुत आम बन गई है। एक ड्राइव, ड्रॉप बॉक्स, गूगल फोटोज हर स्मार्ट फोन में होना आम बात है। हमारी तस्वीरें अपने आप गूगल फोटोज में सेव हो जाती हैं। कई उद्योग क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दशक ने क्लाउड कंप्यूटिंग के इस्तेमाल की नींव रख दी है|
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रोबोटिक्स और क्रिप्टोकरेंसी
उद्योग जगत में रोबोटिक्स का इस्तेमाल भी काफ़ी बढ़ा है। एडवांस रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से रोबोट्स कई मामलों में इंसानों की जगह लेने में सफल हुए हैं। रोबोट्स का इस्तेमाल सुरक्षा, बचाव और उत्पादन में देखने को मिला है। रोबोट सोफिया ने बाजार में आते ही सनसनी पैदा कर दी थी। वो पर्सनल असिस्टेंट की तरह काम कर सकती थी और इंसानों की तरह हावभाव दे सकती थी। औद्योगिक इस्तेमाल में लाए जा रहे रोबोट्स को घरेलू इस्तेमाल के लिए भी लाया गया है। ब्लॉकचेन और बिटकॉइन का इस्तेमाल बढ़ा है। तकनीकी कंपनियां क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने की प्रक्रिया में हैं और विशेष क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने के प्रयास कर रही हैं। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉक चेन तकनीक के आधार पर काम करती है। बिट कॉइन के लिए मांग बढ़ी है। बिटकॉइन को भारत में संचालन की इजाजत नहीं है।
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